फर्जी प्रमाणपत्र से शिक्षक बनने वालों को चिह्नित करने का कार्य पूरा, 12 जिलों में नहीं मिली फर्जी नियुक्ति

प्रयागराज : बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में फर्जी प्रशिक्षण प्रमाणपत्र से शिक्षक बनने वालों को चिह्नित करने का कार्य पूरा हो गया है। प्रदेश में ऐसे कथित शिक्षकों की तादाद 1388 है, हालांकि 12 जिले ऐसे भी हैं, जहां एक भी शिक्षक फर्जी दस्तावेजों से शिक्षक नहीं बन सका है।
डीजीपी कार्यालय के विशेष अनुसंधान दल उप्र ने परिषद मुख्यालय से चिह्न्ति शिक्षकों के घर का पता मांगा था। अब परिषद सचिव ने जिलों के बीएसए को आदेश दिया है कि वे कथित शिक्षकों के स्थाई व अस्थाई पता व जिस स्कूल में तैनात हैं, उसकी सूचना उपलब्ध कराएं।
डा. भीमराव आंबेडकर विवि आगरा के बीएड सत्र 2004-05 में तमाम अभ्यर्थियों ने फर्जी व टेंपर्ड प्रमाणपत्र हासिल कर लिए थे। इन्हीं फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में शिक्षक पद पर नियुक्ति पा ली है। यह मामला पुलिस महानिदेशक विशेष अनुसंधान दल उप्र की विवेचना में सामने आया। एसआइटी ने 13 दिसंबर 2018 को ऐसे अभ्यर्थियों की सीडी भी उपलब्ध कराई थी। बेसिक शिक्षा निदेशक ने 18 दिसंबर 2018 व एक जनवरी 2019 को बेसिक शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश जारी किए। इसके बाद कुछ जिलों ने तेजी दिखाई लेकिन, अधिकांश कथित शिक्षकों को चिह्न्ति करने से भागते रहे। अब सभी जिलों से परिषद मुख्यालय को रिपोर्ट मिल गई है, 12 जिलों को छोड़कर सभी में कथित शिक्षक चिन्हित हुए हैं, इसीलिए संख्या बढ़कर 1388 हो गई है।

परिषद सचिव रूबी सिंह ने बीएसए को पत्र भेजकर निर्देश दिया था कि जिन अभ्यर्थियों की सेवा समाप्त की जा चुकी है और उसमें अभी तक वाद दायर नहीं हुआ है तो ऐसे मामलों में जल्द कैविएट दाखिल की जाए। जहां पर सेवा समाप्ति के बाद कथित शिक्षकों ने याचिकाएं की हैं उनकी आख्या व शपथपत्र की स्थिति पूछी गई थी। सचिव ने आदेश दिया है कि सभी प्रकरणों की कोर्ट में एक साथ पैरवी की जाए। इसके लिए नोडल अधिकारी की तैनाती की गई है।

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