कक्षा पांचवीं-आठवीं के बच्चे भी फेल होंगे
सफल नहीं होने पर दोबारा परीक्षा होगी.
दोनों कक्षाओं के बच्चों का मूल्यांकन 100 अंकों के आधार पर किया जाएगा। इसमें से छात्रों को कुल 40 फीसदी अंक प्राप्त करने होंगे। अगर छात्र 40 फीसदी से कम अंक प्राप्त करता है तो उसे दोबारा परीक्षा देनी होगी।
यह परीक्षा 70 फीसदी अंकों के लिए होगी, जबकि 30 फीसदी अंक अतिरिक्त छात्रों को दिए जाएंगे। दिल्ली सरकार की सहमति के बाद अब अगर कोई छात्र चालीस फीसदी अंक नहीं ला पाता है और दोबारा परीक्षा देता है, तो इसमें पास होना जरूरी है। ऐसा न होने पर उसे उसी कक्षा में दोबारा पढ़ना होगा, जिससे आगे की कक्षाओं में उसे दिक्कत न हो।.
अभी तक यह व्यवस्था लागू थी.
नो डिटेंशन पॉलिसी को शिक्षा के अधिकार अधिनियम (2009) का अहम हिस्सा माना जाता रहा है। अधिनियम के जरिए सरकार ने 6 से 14 वर्ष की उम्र के बच्चों के लिए अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा का प्रावधान किया था। साथ ही बच्चों को आठवीं तक फेल ना करने का नियम बनाया गया था। नियम के अनुसार, अगर कोई बच्चा कम अंक भी प्राप्त करता है तो उसे पासिंग ग्रेड देकर अगली कक्षा में भेजने का प्रावधान बनाया गया था। .
नई दिल्ली | वरिष्ठ संवाददाता.
.
न्यूनतम अंक प्राप्त ना करने पर अब बच्चे पांचवीं और आठवीं कक्षा में भी फेल होंगे। दिल्ली सरकार ने सलाहकार समिति की सिफारिशों को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद दिल्ली के निजी और सरकारी स्कूलों में संशोधित नो डिटेंशन पॉलिसी को मंजूरी मिल गई है। इसे इसी शैक्षणिक सत्र से लागू किया जाएगा। .
संसद में इसी साल जनवरी में आठवीं तक ना फेल करने की नीति वाले शिक्षा के अधिकार अधिनियम (2009) के संशोधन को मंजूरी दी थी। इसके बाद सरकार ने राज्यों को नीति के साथ रहने या ना रहने के स्थिति को तय करने के लिए कहा था। .
इस संबंध में दिल्ली सरकार ने दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) के सदस्य अनुराग कुंडू की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। इसने मार्च में अपनी सिफारिशें दिल्ली सरकार को सौंपी थी। .
समिति ने क्या कहा : समिति ने अपनी सिफारिश में कक्षा पांच और आठ तक नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म करने की सिफारिश की थी। साथ ही दोनों कक्षाओं के मूल्यांकन के लिए छात्रों को 30 अंक अतिरिक्त देने के प्रावधान समेत अन्य सिफारिश की थी। .
इसमें स्कूल में छात्रों की 85 फीसदी उपस्थिति पर 15 अंक देने, 10 अंक सह पाठ्यचर्या गतिविधियों में शामिल होने और 5 अंक अभिभावक शिक्षक बैठक में अभिभावकों की उपस्थिति के आधार पर तय किए गए हैं। .
थोड़े बदलाव के साथ सरकार ने सहमति दी : दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, सरकार ने समिति की सिफारिशों में आंशिक संशोधन के बाद इसे लागू करने की सहमति दे दी है। इसके तहत छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए 85 फीसदी की उपस्थिति को घटाकर 80 फीसदी कर दिया गया है। इससे छात्रों को आसानी होगी। दिल्ली सरकार के एक अधिकारी के अनुसार समिति की अन्य सभी सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया है। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि इस महीने के अंत तक सभी स्कूलों को इस संबंध में सूचित कर दिया जाएगा। .
परिणाम में गिरावट नो डिटेंशन पॉलिसी लागू होने के बाद नौंवी कक्षा के परिणाम पर असर देखा गया। इससे उनके परिणाम खराब होते जा रहे थे। दिल्ली के सरकारी स्कूलों के केवल 58 फीसदी छात्र ही पिछले वर्षसफल हो पाए थे।
तीन भागों में मूल्यांकन नई पॉलिसी के तहत दोनों कक्षाओं में पास होने के लिए जहां 30 अतिरिक्त अंक की व्यवस्था की गई है, वहीं 70 अंकों के मूल्यांकन को भी तीन भागों में बांटा गया है। इसमें से 30 अंक स्कूल में प्रचलित मूल्यांकन प्रणाली, 30 फीसदी अंक प्रश्नों के उत्तर के आधार पर और 10 फीसदी अंक प्राथमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर प्राप्त होने वाली क्षमता या प्राप्त गुण के आधार पर दिए जाएंगे।
अंक बच्चों को 80 फीसदी कक्षाओं में उपस्थिति के लिए दिए जाएंगे
. अंकों के लिए दोनों कक्षाओं में परीक्षा देनी की व्यवस्था की गई है
सफल नहीं होने पर दोबारा परीक्षा होगी.
दोनों कक्षाओं के बच्चों का मूल्यांकन 100 अंकों के आधार पर किया जाएगा। इसमें से छात्रों को कुल 40 फीसदी अंक प्राप्त करने होंगे। अगर छात्र 40 फीसदी से कम अंक प्राप्त करता है तो उसे दोबारा परीक्षा देनी होगी।
यह परीक्षा 70 फीसदी अंकों के लिए होगी, जबकि 30 फीसदी अंक अतिरिक्त छात्रों को दिए जाएंगे। दिल्ली सरकार की सहमति के बाद अब अगर कोई छात्र चालीस फीसदी अंक नहीं ला पाता है और दोबारा परीक्षा देता है, तो इसमें पास होना जरूरी है। ऐसा न होने पर उसे उसी कक्षा में दोबारा पढ़ना होगा, जिससे आगे की कक्षाओं में उसे दिक्कत न हो।.
अभी तक यह व्यवस्था लागू थी.
नो डिटेंशन पॉलिसी को शिक्षा के अधिकार अधिनियम (2009) का अहम हिस्सा माना जाता रहा है। अधिनियम के जरिए सरकार ने 6 से 14 वर्ष की उम्र के बच्चों के लिए अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा का प्रावधान किया था। साथ ही बच्चों को आठवीं तक फेल ना करने का नियम बनाया गया था। नियम के अनुसार, अगर कोई बच्चा कम अंक भी प्राप्त करता है तो उसे पासिंग ग्रेड देकर अगली कक्षा में भेजने का प्रावधान बनाया गया था। .
नई दिल्ली | वरिष्ठ संवाददाता.
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न्यूनतम अंक प्राप्त ना करने पर अब बच्चे पांचवीं और आठवीं कक्षा में भी फेल होंगे। दिल्ली सरकार ने सलाहकार समिति की सिफारिशों को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद दिल्ली के निजी और सरकारी स्कूलों में संशोधित नो डिटेंशन पॉलिसी को मंजूरी मिल गई है। इसे इसी शैक्षणिक सत्र से लागू किया जाएगा। .
संसद में इसी साल जनवरी में आठवीं तक ना फेल करने की नीति वाले शिक्षा के अधिकार अधिनियम (2009) के संशोधन को मंजूरी दी थी। इसके बाद सरकार ने राज्यों को नीति के साथ रहने या ना रहने के स्थिति को तय करने के लिए कहा था। .
इस संबंध में दिल्ली सरकार ने दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) के सदस्य अनुराग कुंडू की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। इसने मार्च में अपनी सिफारिशें दिल्ली सरकार को सौंपी थी। .
समिति ने क्या कहा : समिति ने अपनी सिफारिश में कक्षा पांच और आठ तक नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म करने की सिफारिश की थी। साथ ही दोनों कक्षाओं के मूल्यांकन के लिए छात्रों को 30 अंक अतिरिक्त देने के प्रावधान समेत अन्य सिफारिश की थी। .
इसमें स्कूल में छात्रों की 85 फीसदी उपस्थिति पर 15 अंक देने, 10 अंक सह पाठ्यचर्या गतिविधियों में शामिल होने और 5 अंक अभिभावक शिक्षक बैठक में अभिभावकों की उपस्थिति के आधार पर तय किए गए हैं। .
थोड़े बदलाव के साथ सरकार ने सहमति दी : दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, सरकार ने समिति की सिफारिशों में आंशिक संशोधन के बाद इसे लागू करने की सहमति दे दी है। इसके तहत छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए 85 फीसदी की उपस्थिति को घटाकर 80 फीसदी कर दिया गया है। इससे छात्रों को आसानी होगी। दिल्ली सरकार के एक अधिकारी के अनुसार समिति की अन्य सभी सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया है। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि इस महीने के अंत तक सभी स्कूलों को इस संबंध में सूचित कर दिया जाएगा। .
परिणाम में गिरावट नो डिटेंशन पॉलिसी लागू होने के बाद नौंवी कक्षा के परिणाम पर असर देखा गया। इससे उनके परिणाम खराब होते जा रहे थे। दिल्ली के सरकारी स्कूलों के केवल 58 फीसदी छात्र ही पिछले वर्षसफल हो पाए थे।
तीन भागों में मूल्यांकन नई पॉलिसी के तहत दोनों कक्षाओं में पास होने के लिए जहां 30 अतिरिक्त अंक की व्यवस्था की गई है, वहीं 70 अंकों के मूल्यांकन को भी तीन भागों में बांटा गया है। इसमें से 30 अंक स्कूल में प्रचलित मूल्यांकन प्रणाली, 30 फीसदी अंक प्रश्नों के उत्तर के आधार पर और 10 फीसदी अंक प्राथमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर प्राप्त होने वाली क्षमता या प्राप्त गुण के आधार पर दिए जाएंगे।
अंक बच्चों को 80 फीसदी कक्षाओं में उपस्थिति के लिए दिए जाएंगे
. अंकों के लिए दोनों कक्षाओं में परीक्षा देनी की व्यवस्था की गई है