हमारे प्रिय शिक्षक साथियों !!!
हमारे जो साथी यह समझ रहे है कि प्रेरणा एप्प केवल समय से आने जाने भर के लिए बनी है उनसे विनम्र अनुरोध है कि कृपया इस विश्लेषण को पूरा पढ़े और सरकार की गहरी साजिश को समझे।
देश मे महामन्दी की शुरुआत हो चुकी है। GDP ग्रोथ रेट कम हो गयी है, अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में मंदी है , प्राइवेट सेक्टर से कर्मचारियों की छटनी चालू हो चुकी है । अब सरकारी क्षेत्रों से कर्मचारियों को निकालने की बारी है।
हमारे राज्य में यह काम होमगार्ड से चालू हो चुका है । अगली बारी प्राथमिक के शिक्षकों की है। चुकी प्राथमिक विद्यालय कोई फैक्ट्री तो है नही जिसका आउटपुट सरकार को दिखाई दे इसलिए सरकार हमे खजाने पर बोझ मानती है। हम लोग संख्या में अधिक है, हमारा वेतन भी अच्छा है और हमारा कोई भी ताकतवर संग़ठन नही है ,इसलिए हम लोगों की छटनी करना आसान है।
यहाँ माननीय मंत्री जी के बयान से दो बाटे स्पष्ट है-
1- 3 बार से ज्यादा अगर 2 मिनट भी विलंब हुआ तो बिना कारण बताओ नोटिस के या सस्पेंसन के सीधे टर्मिनेट कर दिया जाएगा।जिससे कि आपकी बात न सुननी पड़े और न ही आपको कोई कंपनसेशन देना पड़े।
2- इसके बाद अगर आप कोर्ट में जाये तो पहले तो 5 साल आपको केस लड़ाने में खींच दे ताकि आपकी आर्थिक स्थिति और खराब हो जाये और बाद में यह कह दे कि साहब , ये इन्ही सेवा शर्तों पर काम कर रहे थे तो सेवा शर्तों के उल्लंघन के लिए इनकी बरख्शतगी की गई है।
साथियों, एक अनुमान के अनुसार अगर सरकार अगले वित्तीय वर्ष तक केवल 10000 शिक्षकों को प्रेरणा एप्प के माध्यम से कार्य मे लापरवाही बरतने के कारण नौकरी से निकाल दे सरकारी खजाने पर एक वर्ष में 5 अरब रुपये से ज्यादे का बोझ कम हो जाएगा।
फिर यही सरकार गार्गी योजना की तरह हर ग्राम सभा के 5 युवा लड़के लड़कियों को पोस्टग्रेजुएट और बीएड या btc है उनको 5000 रुपये मासिक पर उसी प्रथमिक विद्यालय पर नियुक्त कर देगी अर्थात एक अध्यापक के सैलरी से पूरे स्टाफ का वेतन। और इससे रोजगार देने का डेटा भी बढ़ जाएगा और वोट बैंक कि राजनीति भी सध जाएगी।
अगर 5 वर्ष के भीतर 50000 शिक्षकों को निकाल दिया जाए तो 25 अरब से ज्यादा रुपया खजाने का बचेगा और उससे उन्ही विद्यालयों पर 2.5लाख नए अध्यापक भर्ती किये जायेंगे और सरकार सीना फुला कर कहेगी की हमने इतनी बड़ी संख्या में ग्रामीण युवाओं को उनके गांव में ही रोजगार दिया।
अब रही बात प्रेरणा एप्प के माध्यम से समय पर उपश्थिति देने की तो ये तो बस सुरुवात मात्र है। इसके बाद इससे ग्रामीणों को जोड़ा जाएगा जो हमेशा आपकी शिकायत करेंगे उस आधार पर आपको टर्मिनेट किया जाएगा।
फिर आपसे कहा जायेगा कि आप विद्यालय का टाइम टेबल लोड करें,पाठ्योजना लोड करें, क्लास में ब्लैक बोर्ड पर लिखते हुए पिक्चर लोड करें, smc मीटिंग , MDM है ही , इसके अलावा अन्य कार्यों की पिक्चर लोड करें, दिन में विद्यालय बन्द होने के बाद अन्य कार्य आपको दिए जाएंगे यानी कि किसी न किसी कार्य मे आपकी लापरवाही दिखा कर आपको बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा।
अगर आप बहुत सावधानी से हर कार्य पूरी कर्मठता से काम कर रहे है तो 3 साल बाद आपको अपने विद्यालय से हटाकर कही दूरदराज के क्षेत्र में भेज दिया जाएगा और आपके लिए काम करना मुश्किल हो जाएगा। यानी 3 से 5 साल के भीतर कुछ न कुछ लापरवाही हो ही जाएगी और आप बाहर, वो भी बिना किसी हर्जाने , बेनेफिट या फण्ड के।
आपके जीवन के मध्यकाल में जब आपके ऊपर पूरे परिवार की जिम्मेदारी रहेगी, बच्चों का भविष्य बनाना रहेगा आपकी जेब और नौकरी दोनों खाली रहेगी।
सरकार के इस गेमप्लान में मीडिया भी पूरा साथ दे रही है। अध्यापकों को चोर घोसित करने में मीडिया कोई कोर कसर नही छोड़ रही है।
दोस्तों, सरकार के इस मंसा को समझे अन्यथा आप खुद ही समझदार है और अपने भविष्य के लिए स्वयं ही जिम्मेदार है।
हालांकि हम लोगों के बीच कोई एकता नहीं है फिर भी नारा लगा देते है -" शिक्षक एकता जिन्दाबाद।"
हमारे जो साथी यह समझ रहे है कि प्रेरणा एप्प केवल समय से आने जाने भर के लिए बनी है उनसे विनम्र अनुरोध है कि कृपया इस विश्लेषण को पूरा पढ़े और सरकार की गहरी साजिश को समझे।
देश मे महामन्दी की शुरुआत हो चुकी है। GDP ग्रोथ रेट कम हो गयी है, अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में मंदी है , प्राइवेट सेक्टर से कर्मचारियों की छटनी चालू हो चुकी है । अब सरकारी क्षेत्रों से कर्मचारियों को निकालने की बारी है।
हमारे राज्य में यह काम होमगार्ड से चालू हो चुका है । अगली बारी प्राथमिक के शिक्षकों की है। चुकी प्राथमिक विद्यालय कोई फैक्ट्री तो है नही जिसका आउटपुट सरकार को दिखाई दे इसलिए सरकार हमे खजाने पर बोझ मानती है। हम लोग संख्या में अधिक है, हमारा वेतन भी अच्छा है और हमारा कोई भी ताकतवर संग़ठन नही है ,इसलिए हम लोगों की छटनी करना आसान है।
यहाँ माननीय मंत्री जी के बयान से दो बाटे स्पष्ट है-
1- 3 बार से ज्यादा अगर 2 मिनट भी विलंब हुआ तो बिना कारण बताओ नोटिस के या सस्पेंसन के सीधे टर्मिनेट कर दिया जाएगा।जिससे कि आपकी बात न सुननी पड़े और न ही आपको कोई कंपनसेशन देना पड़े।
2- इसके बाद अगर आप कोर्ट में जाये तो पहले तो 5 साल आपको केस लड़ाने में खींच दे ताकि आपकी आर्थिक स्थिति और खराब हो जाये और बाद में यह कह दे कि साहब , ये इन्ही सेवा शर्तों पर काम कर रहे थे तो सेवा शर्तों के उल्लंघन के लिए इनकी बरख्शतगी की गई है।
साथियों, एक अनुमान के अनुसार अगर सरकार अगले वित्तीय वर्ष तक केवल 10000 शिक्षकों को प्रेरणा एप्प के माध्यम से कार्य मे लापरवाही बरतने के कारण नौकरी से निकाल दे सरकारी खजाने पर एक वर्ष में 5 अरब रुपये से ज्यादे का बोझ कम हो जाएगा।
फिर यही सरकार गार्गी योजना की तरह हर ग्राम सभा के 5 युवा लड़के लड़कियों को पोस्टग्रेजुएट और बीएड या btc है उनको 5000 रुपये मासिक पर उसी प्रथमिक विद्यालय पर नियुक्त कर देगी अर्थात एक अध्यापक के सैलरी से पूरे स्टाफ का वेतन। और इससे रोजगार देने का डेटा भी बढ़ जाएगा और वोट बैंक कि राजनीति भी सध जाएगी।
अगर 5 वर्ष के भीतर 50000 शिक्षकों को निकाल दिया जाए तो 25 अरब से ज्यादा रुपया खजाने का बचेगा और उससे उन्ही विद्यालयों पर 2.5लाख नए अध्यापक भर्ती किये जायेंगे और सरकार सीना फुला कर कहेगी की हमने इतनी बड़ी संख्या में ग्रामीण युवाओं को उनके गांव में ही रोजगार दिया।
अब रही बात प्रेरणा एप्प के माध्यम से समय पर उपश्थिति देने की तो ये तो बस सुरुवात मात्र है। इसके बाद इससे ग्रामीणों को जोड़ा जाएगा जो हमेशा आपकी शिकायत करेंगे उस आधार पर आपको टर्मिनेट किया जाएगा।
फिर आपसे कहा जायेगा कि आप विद्यालय का टाइम टेबल लोड करें,पाठ्योजना लोड करें, क्लास में ब्लैक बोर्ड पर लिखते हुए पिक्चर लोड करें, smc मीटिंग , MDM है ही , इसके अलावा अन्य कार्यों की पिक्चर लोड करें, दिन में विद्यालय बन्द होने के बाद अन्य कार्य आपको दिए जाएंगे यानी कि किसी न किसी कार्य मे आपकी लापरवाही दिखा कर आपको बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा।
अगर आप बहुत सावधानी से हर कार्य पूरी कर्मठता से काम कर रहे है तो 3 साल बाद आपको अपने विद्यालय से हटाकर कही दूरदराज के क्षेत्र में भेज दिया जाएगा और आपके लिए काम करना मुश्किल हो जाएगा। यानी 3 से 5 साल के भीतर कुछ न कुछ लापरवाही हो ही जाएगी और आप बाहर, वो भी बिना किसी हर्जाने , बेनेफिट या फण्ड के।
आपके जीवन के मध्यकाल में जब आपके ऊपर पूरे परिवार की जिम्मेदारी रहेगी, बच्चों का भविष्य बनाना रहेगा आपकी जेब और नौकरी दोनों खाली रहेगी।
सरकार के इस गेमप्लान में मीडिया भी पूरा साथ दे रही है। अध्यापकों को चोर घोसित करने में मीडिया कोई कोर कसर नही छोड़ रही है।
दोस्तों, सरकार के इस मंसा को समझे अन्यथा आप खुद ही समझदार है और अपने भविष्य के लिए स्वयं ही जिम्मेदार है।
हालांकि हम लोगों के बीच कोई एकता नहीं है फिर भी नारा लगा देते है -" शिक्षक एकता जिन्दाबाद।"