नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) की ओर से आयोजित विशेष DELED को बतौर शिक्षक नियुक्ति के लिए मान्यता न देने का मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंच गया है।
सूत्रों के मुताबिक, बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट में प्रधानमंत्री ने इस मामले पर चिंता जताई और मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को इस मामले में जल्द से जल्द फैसला लेने का निर्देश दिया।
मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री से निर्देश मिलने के बाद निशंक ने अधिकारियों से इस बारे में सभी पक्ष सामने लाने को कहा है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षण संस्थान (NCTE) ने एचआरडी मंत्री को मान्यता न देने के अपने फैसले के पीछे अतिरिक्त महाधिवक्ता की राय को आधार बताया है। वहीं, एनआईओएस चेयरमैन प्रो. सीबी शर्मा ने अपना पक्ष रखने के लिए HRD मंत्री से समय मांगा है।
मालूम हो कि 18 महीने के डीएलएड कार्यक्रम को उन 15 लाख शिक्षकों के लिए आयोजित किया गया था जो अप्रशिक्षित थे और शिक्षा के अधिकार कानून के चलते उनकी नौकरी जाने का खतरा मंडरा रहा था। एनआईओएस ने करीब 13 लाख शिक्षकों को यह कोर्स कराया था। इसके लिए संसद में कानून पारित कर विशेष रूप से मंजूरी ली गई थी। हालांकि, यह कोर्स करने के बाद जब बिहार के निजी स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों ने सरकारी भर्ती के लिए आवेदन किया तो बिहार सरकार ने NCTE से इस बारे में राय मांगी कि क्या ये शिक्षक भर्ती के लिए योग्य हैं? इसके जवाब में NCTE ने 18 महीने के डीएलएड कार्यक्रम को अमान्य करार दे दिया। एनसीटीई के इस फैसले से इन 13 लाख शिक्षकों पर तलवार लटक गई है।
सूत्रों के मुताबिक, बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट में प्रधानमंत्री ने इस मामले पर चिंता जताई और मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को इस मामले में जल्द से जल्द फैसला लेने का निर्देश दिया।
मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री से निर्देश मिलने के बाद निशंक ने अधिकारियों से इस बारे में सभी पक्ष सामने लाने को कहा है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षण संस्थान (NCTE) ने एचआरडी मंत्री को मान्यता न देने के अपने फैसले के पीछे अतिरिक्त महाधिवक्ता की राय को आधार बताया है। वहीं, एनआईओएस चेयरमैन प्रो. सीबी शर्मा ने अपना पक्ष रखने के लिए HRD मंत्री से समय मांगा है।
मालूम हो कि 18 महीने के डीएलएड कार्यक्रम को उन 15 लाख शिक्षकों के लिए आयोजित किया गया था जो अप्रशिक्षित थे और शिक्षा के अधिकार कानून के चलते उनकी नौकरी जाने का खतरा मंडरा रहा था। एनआईओएस ने करीब 13 लाख शिक्षकों को यह कोर्स कराया था। इसके लिए संसद में कानून पारित कर विशेष रूप से मंजूरी ली गई थी। हालांकि, यह कोर्स करने के बाद जब बिहार के निजी स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों ने सरकारी भर्ती के लिए आवेदन किया तो बिहार सरकार ने NCTE से इस बारे में राय मांगी कि क्या ये शिक्षक भर्ती के लिए योग्य हैं? इसके जवाब में NCTE ने 18 महीने के डीएलएड कार्यक्रम को अमान्य करार दे दिया। एनसीटीई के इस फैसले से इन 13 लाख शिक्षकों पर तलवार लटक गई है।