एक कर्मठ प्रधानाध्यापक की कहानी: आखिर जो वास्तव में अच्छा है उसकी अच्छाई सामने आनी ही चाहिए, by Shakul Gupta

जब से बेसिक में दिए जा रहे पुरस्कारों की सच्चाई पता चली है इससे नफरत सी हो गयी है । आप पैसा खर्च करके आसानी से प्रसिद्धि पा सकते हैं । ऐसे में कुछ ऐसे अध्यापक भी हैं जो अपनी मेहनत और लगन से बेसिक में बहुत कुछ कर रहे हैं पर लाइम लाइट में नही है क्योंकि उनके लिए दिखावे और पुरस्कार से ज्यादा जरूरी सेवा है ऐसे ही एक अध्यापक से आपका परिचय कराना चाहता हूं जो मेरे परम् मित्र और सहपाठी भी हैं श्री अतुल कुमार जी प्रधानाध्यापक प्राथमिक विद्यालय चितौरा विकास क्षेत्र बहजोई जिला सम्भल ।

इनकी नियुक्ति 5 वर्ष पूर्व इसी प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक पद पर प्रोमोशन द्वारा हुई तब ये विद्यालय इस रूप में नही था। न उपस्थिति संतोषजनक थी और न ग्रामीणों में कोई जागरूकता थी । परंतु आज परिवेश पूर्णतया बदल चुका है । *मित्र ने अपनी जेब से एक पैसा विद्यालय में नही लगाया है बल्कि विद्यालय को मिलने वाली सभी ग्रांट का समझदारी और ईमानदारी से उपयोग किया है।* ऐसे में उनको भी सोचना चाहिए जो हर बात में सरकार को या संसाधनों को दोष देकर अपनी कामचोरी छिपाते हैं।

वर्तमान में

छात्र उपस्थिति विषम परिस्थितियों में भी संतोषजनक है।

नियमित रूप से smc मीटिंग और ptm होती हैं ।

विद्यालय में स्मार्ट टीवी द्वारा पढ़ाई होती है और इन्वर्टर सुविधा भी है ।

विद्यालय का प्रांगण पक्का और रंगबिरंगे फूलों से हराभरा है।

मिड डे की क्वालिटी बेस्ट है। नियमित दूध और फल का वितरण होता है।

शिक्षण कार्य श्रेष्ठ, औसत और निम्न श्रेणी में छात्रों का विभाजन करके किया जाता है। जिसका लाभ मिला है।

*विद्यालय का दुखद पहलू*

मात्र 2 अध्यापक (एक प्रधानाध्यापक और एक शिक्षामित्र )... कुल नामांकन 171... विद्यालय में मात्र 3 शिक्षण कक्ष।

इसके बावजूद भी मित्र के हौसले में कोई कमी नही है।

हमे आप पर गर्व है।

धन्यवाद।

विशेष नोट - ये पोस्ट करने का पहले भी मन था पर अतुल भाई को ये सब पसंद नही । वो सब कुछ आत्मसंतुष्टि के लिए करना चाहते हैं । पर मैं खुद को नही रोक पाया क्योंकि जो वास्तव में अच्छा है उसकी अच्छाई सामने आनी ही चाहिए ।

By- Shakul Gupta