69000 शिक्षक पदों के अभ्यर्थियों ने अपनी लड़ाई कैसे लड़ी है। वे कई महीनों से लड़ रहे हैं। खबरें छपवाने के लिए नहीं, अपना हक़ पाने के लिए: वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने 69000 शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों की की सराहना

69000 शिक्षक पदों के अभ्यर्थियों ने अपनी लड़ाई कैसे लड़ी है। वे कई महीनों से लड़ रहे हैं। खबरें छपवाने के लिए नहीं, अपना हक़ पाने के लिए: वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने 69000 शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों की की सराहना

यूपी के निकाले गए जूनियर इंजीनियर ध्यान से सुनें मेरी बात

मुझे मैसेज करने से कुछ नहीं होगा। इस मामले में राज्य सरकार को पता है कि उसने क्या किया है। खबरें भी तमाम छपी हैं। अगर आपको लगता है कि आपकी लड़ाई सही है तो लड़ाई लड़ें। खबरें छपवाने के चक्कर में न पड़ें। आपने देखा होगा कि 69000 शिक्षक पदों के अभ्यर्थियों ने अपनी लड़ाई कैसे लड़ी है। वे कई महीनों से लड़ रहे हैं। खबरें छपवाने के लिए नहीं, अपना हक़ पाने के लिए।

आपकी नौकरी चली गई। दुखद है। सत्य भी है। किसी की भी नौकरी का जाना तकलीफदेह है। आपके भीतर बहुत से यह फ़ैसला लेने वाली सरकार के समर्थक होंगे। उनसे कहें कि अपने संपर्कों का इस्तेमाल करें। चिट्ठी पत्री करें और अदालत जाएँ। आपको कैसे ये नौकरी मिली उस पर मैं टिप्पणी नहीं करना चाहता। लेकिन यूपी बिहार की नौकरियों में यह भी सत्य है। यह मैं क्या आप सभी जानते हैं।

जब राज्य सरकार एक पोस्टर हटाने के लिए कोर्ट के आदेश को नहीं मानती है तो अपने ही फ़ैसले को कैसे पलट देगी, ज़रा सोचिए। आपको पता है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में सरकार ने ही कहा है कि प्रदर्शनकारी के पोस्टर लगाने का कोई क़ानूनी प्रावधान नहीं है। उसके बाद भी लखनऊ में लगे बैनर नहीं हटा रही है ।राज्य सरकार के पास इतना वक्त है कि वो सुप्रीम कोर्ट जा कर लड़ेगी। ऐसे में यह सोचना कि रवीश कुमार को व्हाट्स एप मैसेज करने से सरकार बदल जाएगी, यह भ्रम आपको हो सकता है। मुझे नहीं है।

यह बैनर नागरिकता क़ानून के पचास विरोधियों को डराने या उन्हें कंगाल करने के लिए तो लगाया ही गया है लेकिन इसका मक़सद दूसरा है। अब कोई भी अपने मुद्दों को लेकर प्रदर्शन करेगा तो उसके साथ ऐसा हो सकता है। जो लोग इस तरह के कदम का समर्थन करते हैं वो ज़रूर मुझसे ज़्यादा समझदार होंगे। उन्हें पता होगा कि उन्हें प्रदर्शन करने की नौबत आएगी ही नहीं।

मैं आपका पोस्ट यहाँ लगा दे रहा हूँ। आप कमेंट में जाकर देख सकते हैं कि जनता को भी आपसे कोई सहानुभूति नहीं है। गालियों से पता चलेगा आपको। क्या पता आपमें से कोई इन गाली देने वालों में कभी रहा हो। वो छोड़िए। आप अपने परिवार में ही जाँच लें कि क्या किसी को दुख पहुँचा है कि आपकी नौकरी गई है।

एक टेस्ट और करें। वो खुद से पूछें। क्या आपको नौकरी वाक़ई ईमानदारी से मिली थी? इस सवाल का जवाब आपको लड़ने के लिए बल देगा। मुझे मैसेज न लिखें।

बाक़ी पाठक यहाँ से जूनियर इंजीनियरों का पत्र पढ़ सकती है:

नमस्ते सर(रविश कुमार)
मेरा नाम श्याम सिंह है मैं गोरखपुर का रहने वाला हूँ, मैं उत्तर प्रदेश जल निगम में जूनियर इंजीनियर के पद पर जनवरी 2017 में नियुक्त हुए था,

अब 3 वर्ष 2 माह की सेवा करने के बाद विभाग ने 2 मार्च 2020 को अचानक हमारी नियुक्ति को रदद कर दिया, और कारण यह बताया गया कि SIT की जाँच रिपोर्ट के अनुसार नियुक्ति प्रक्रिया दोषपूर्ण है तथा नियुक्ति में धांधली की आशंका है, तथा दागी और बेदगी अभ्यर्थियों का पता लगाना संभव नही है क्योंकि परीक्षा कराने वाली कंपनी अपटेक लिमिटिड ,मुम्बई ने सारे इनिशल डेटा को डिलीट कर दिया है ।

सर,
आपको अवगत कराना है कि वर्ष 2016 में इस भर्ती की नियुक्ति संबंधी नोटिफिकेशन जूनियर इंजीनियर(853), सहायक अभियंता(122) एवं नैतिक लिपिक(325) के पदों हेतु जारी किया गया था ।

सर,
हम लोगो ने CBT परीक्षा एवं साक्षात्कार पास करके विभाग में वर्ष 2017 में नियुक्ति प्राप्त की थी। सर, इन 3 वर्ष के दैरान हम सब ने विभागीय कार्यो के कारण अन्य विभागों में जाने के अवसरों को छोड़ दिया और कई साथियो ने तो दूसरे विभागों की नौकरी से इस्तीफा देकर यहां जॉइन किया था, और आज पूरी भर्ती (1300 पद) को जल निगम प्रशासन द्वारा रदद कर दिया गया।

सर, प्रकरण में हम अभ्यर्थियों की क्या गलती है जो हम सभी लोगो को बाहर कर दिया गया।

जबकि गलती तो विभाग की है जो सही और गलत की पहचान ही नही कर पा रहा।

प्लीज हम सब अभ्यर्थियों की मदद हेतु आवश्यक कार्यवाही करे।

हम सब आजीवन आपके आभारी रहेंगे।


🙏🙏🙏🙏🙏😢😢