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बहुचर्चित फर्जी शिक्षिका अनामिका शुक्ला प्रकरण फिर चर्चा में आ गया

 बहुचर्चित फर्जी शिक्षिका अनामिका शुक्ला प्रकरण फिर चर्चा में आ गया है। बिना शैक्षिक प्रपत्रों की जांच किए नियुक्ति पत्र जारी करने वाले समन्वयक ( बालिका शिक्षा) ताज मोहम्मद को उनके मूल विभाग में भेज दिया गया है। इस आशय का आदेश 23 नवंबर 2020 को जारी हुआ था। अचरज इस बात पर है कि आदेश पर अमल होने में सात महीन लग गए।



अनामिका शुक्ला पुत्री सुभाषचंद्र शुक्ला ने शैक्षिक अभिलेखों में हेराफेरी कर कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में पूर्णकालिक विज्ञान शिक्षिका के रूप में नियुक्तिपत्र हासिल किया था। नियुक्ति के कुछ ही दिन बाद मामला प्रकाश में आया और प्रदेशभर में चर्चा का विषय बना एक ही दस्तावेज पर कई अनामिका ने नौकरी ली थी। प्रकरण की जांच मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) ने शुरू की तो इसमें पता चला कि नियुक्ति के पूर्व अभ्यर्थी के मूल शैक्षिक प्रमाणपत्रों का मिलान नहीं किया गया। कार्य में लापरवाही व शिथिलता सामने आने पर महानिदेशक स्कूल शिक्षा एवं राज्य परियोजना निदेशक ने प्रतिनियुक्ति पर आए जिला समन्वयक (बालिका शिक्षा ) ताज मोहम्मद को उनके मूल विभाग माध्यमिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में प्रत्यावर्तित करने का आदेश दिया। कहा था कि तत्काल प्रभाव से उनसे संबंधित पटल का कार्य बेसिक शिक्षा अधिकारी को हस्तगत किए जाएं। बावजूद इसके ताज मोहम्मद अपना काम बदस्तूर देखते रहे। अब अचानक पुराने आदेश को अमल में लाया गया और उन्हें उनके मूल स्थान पर भेजा जा रहा है। उनसे संबंधित कार्यों को जिला समन्वयक सामुदायिक सहभागिता सुनीता चौधरी व जिला समन्वयक निर्माण बिंद्रेश मौर्य संयुक्त रूप से देखेंगे।


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