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e-RUPI: पीएम मोदी ने किया लॉन्च, बोले- डिजिटल भुगतान में जुड़ेगा नया आयाम, जानें इसके बारे में सबकुछ

 e-RUPI डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म है, जिसे पूरी तरह से कैशलेस व कॉन्टेक्टलेस यानी संपर्करहित बनाया गया है। यह डिजिटल प्लेटफॉर्म सुनिश्चित करेगा कि लेनदेन पूरा होने के बाद ही सेवा प्रदाता को भुगतान किया जाए। आइए जानते हैं ई-रुपी क्या है, यह काम कैसे करेगा और इसका इस्तेमाल कहां हो सकता है। बहरहाल इससे पहले जानते हैं इस अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन की प्रमुख बातें...




डिजिटल गवर्नेंस को एक नया आयाम : मोदी
पीएम मोदी ने इस मौके पर कहा कि आज देश, डिजिटल गवर्नेंस को एक नया आयाम दे रहा है। ई-रुपी वाउचर, देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन को, डीबीटी को और प्रभावी बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है। इससे टार्गेटेड, ट्रांस्पेरेंट और लीकेज फ्री डिलिवरी में सभी को बड़ी मदद मिलेगी।


सरकार ही नहीं, अगर कोई सामान्य संस्था या संगठन किसी के इलाज में, किसी की पढाई में या दूसरे काम के लिए कोई मदद करना चाहता है तो, वो कैश के बजाय ई-रुपी दे पाएगा। इससे सुनिश्चित होगा कि उसके द्वारा दिया गया धन, उसी काम में लगा है, जिसके लिए वो राशि दी गई है।

पीएम ने कहा कि ई-रुपी, एक तरह से पर्सन के साथ-साथ परपस स्पेसिफिक भी है। जिस मकसद से कोई मदद या कोई बेनिफिट दिया जा रहा है, वो उसी के लिए प्रयोग होगा, ये ई-रुपी सुनिश्चित करने वाला है। उन्होंने कहा कि लेकिन आज देश ने उन लोगों की सोच को नकारा भी है, और गलत भी साबित किया है। आज देश की सोच अलग है, नई है। आज हम टेक्नोलॉजी को गरीबों की मदद के, उनकी प्रगति के एक टूल के रूप में देख रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पहले हमारे देश में कुछ लोग कहते थे कि टेक्नोलॉजी तो केवल अमीरों की चीज है, भारत तो गरीब देश है, इसलिए भारत के लिए टेक्नोलॉजी का क्या काम? जब हमारी सरकार टेक्नोलॉजी को मिशन बनाने की बात करती थी तो बहुत से राजनेता, कुछ खास किस्म के एक्सपर्ट्स उस पर सवाल खड़ा करते थे।

भारत आज दुनिया को दिखा रहा है कि टेक्नोलॉजी को एडॉप्ट करने में, उससे जुडने में वो किसी से भी पीछे नहीं हैं। इनोवेशन की बात हो, सर्विस डिलीवरी में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो, भारत दुनिया के बड़े देशों के साथ मिलकर ग्लोबल लीडरशिप देने की क्षमता रखता है।

उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने पीएम स्वनिधि योजना की शुरुआत की। आज देश के छोटे-बड़े शहरों में, 23 लाख से अधिक रेहड़ी-पटरी और ठेले वालों को इस योजना के तहत मदद दी गई है। इसी कोरोना काल में करीब-करीब 2300 करोड़ रुपए उन्हें दिए गए हैं।

देश में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल ट्रांजेक्शन के लिए जो काम पिछले 6-7 वर्षों में हुआ है, उसका लोहा आज दुनिया मान रही है। विशेषकर भारत में फिनटेक का बहुत बड़ा आधार तैयार हुआ है। ऐसा आधार तो बड़े-बड़े देशों में भी नहीं है।

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