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शिक्षिका को आत्महत्या के लिए उकसाने में शिक्षा विभाग के अनुदेशक पर केस दर्ज

 गजरौला। शिक्षिका की संदिग्ध हालात में हुई मौत के मामले में उनके पिता ने अमरोहा देहात थानाक्षेत्र के गांव पचोकरा निवासी अनुदेशक विकास चौधरी उर्फ मोनू के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में

एफआईआर दर्ज कराई है। आरोप है कि शादीशुदा विकास चौधरी उर्फ मोनू ने तलाकशुदा शिक्षिका को शादी का झांसा देकर उनका शोषण किया। बाद में वह शादी करने से मुकर गया। उसके द्वारा शोषण किए जाने से आहत शिक्षिका ने आत्मघाती कदम उठाया है।



मूलरूप से बागपत के दोघट थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी शिक्षिका गजरौला की कॉलोनी में किराए पर रहती थीं। चार दिसंबर की सुबह दस बजे उनका शव कमरे में मिला था। गले में दुपट्टे का फंदा कसा था तो आधा दुपट्टा ऊपर पंखे में बंधा था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण हैंगिंग आया था। मृतका के परिजन शुरू से ही शिक्षिका की मौत को संदिग्ध बता रहे थे। घटना के दस दिन बाद मृतका के पिता ने अमरोहा देहात थाना क्षेत्र के पचोकरा निवासी विकास चौधरी उर्फ मोनू को बेटी की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है। विकास चौधरी उर्फ मोनू शिक्षा विभाग में अनुदेशक के पद पर नियुक्त है। उसी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने की रिपोर्ट दर्ज कराई है।



एफआईआर के मुताबिक उनकी बेटी धनौरा क्षेत्र स्थित विद्यालय में पढ़ाती थी। 2011 में उनकी बेटी का तलाक हो गया था। इस बीच विकास चौधरी उर्फ मोनू उनकी बेटी के संपर्क में आया। उसने शादी करने का ऑफर दिया। शिक्षिका इस पर सहमत हो गईं। शिक्षिका के परिजन भी राजी थे। शिक्षिका और विकास चौधरी के बीच फोन पर बात होती थी। कुछ दिन पहले शिक्षिका के परिजनों को पता चला कि विकास चौधरी शादीशुदा है। तभी विकास चौधरी ने उनकी बेटी से शादी करने से इन्कार कर दिया। जिससे वह मानसिक रूप से परेशान हो गई।

आरोप है कि विकास चौधरी उर्फ मोनू चौधरी ने उनकी बेटी को मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। जिसके चलते उनकी बेटी ने आत्मघाती कदम उठाया। सीओ श्वेताभ भास्कर ने बताया कि मामले में केस दर्ज कर लिया गया है। जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

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एक मंत्री के ओएसडी के दबाव में नामजद को छोड़ने की थी चर्चा

शिक्षिका को खुदकुशी के लिए मजबूर करने में नामजद किया गया विकास चौधरी उर्फ मोनू अनुदेशक है। उसका भाई प्रदेश सरकार में एक कैबिनेट मंत्री का ओएसडी है। घटना के बाद मृतका के परिजनों ने उस पर आरोप लगाए तो पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया था। उसे थाने लाकर पूछताछ की। लेकिन कैबिनेट मंत्री के ओएसडी का फोन घनघनाने लगा। उधर पुलिस पर उसके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं था। इधर ओएसडी का दबाव जिसके चलते पुलिस को वह छोड़ना पड़ा।

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नामजद आरोपी ने की थी पुलिस को भ्रमित करने की कोशिश

पुलिस का दावा है कि मृतका के परिजनों ने अनुदेशक विकास चौधरी उर्फ मोनू का खुलकर नाम लिया था। कहा था कि शिक्षिका और विकास चौधरी उर्फ मोनू की फोन पर लंबी बात होती थी। शिक्षिका की संदिग्ध हालात में मौत हो जाने पर मृतका के परिजनों ने पुलिस से अनुदेशक का फोन चेक करने को कहा। कुछ क्लू हाथ लगने पर पुलिस ने उसका मोबाइल फोन लिया। पुलिस ने उससे अपने मोबाइल का लॉक खोलने को कहा लेकिन उसने अपने मोबाइल का लॉक खोलने में बड़ा परेशान किया। बताया जा रहा है कि काफी देर तक उसने पैटर्न लॉक ही नहीं बताया था। पुलिस ने सख्त रुख अपनाया तब अपने मोबाइल का लॉक खोला। सीओ श्वेताभ भास्कर का कहना है कि विकास चौधरी उर्फ मोनू के फोन में मृतका की ऐसी वीडियो या फोटो नहीं मिले हैं, जबकि मृतका के मोबाइलों के लॉक अभी नहीं खुल सके हैं।

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