नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश
चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला को राज्य में 3,000 से अधिक शिक्षकों की
अवैध नियुक्ति के मामले में निचली अदालत से सुनाई गई 10 साल कैद की सजा को
गुरुवार को बरकरार रखा।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने कहा कि ओम प्रकाश चौटाला उस दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री थे और इस नाते घोटाले के लिए ज्यादा जिम्मेदार हैं।
न्यायालय ने इस मामले में ओम प्रकाश चौटाला के तीन राजनीतिक सलाहकारों शेर सिंह बदशमी, उनके पूर्व ओएसडी विद्या धर और हरियाणा के पूर्व प्राथमिक शिक्षा निदेशक संजीव कुमार को भी सुनाई गई 10 साल कैद की सजा बरकरार रखी।
न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली अभियुक्तों की सभी 55 अपीलों को भी खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति मृदुल ने कुल 55 आरोपियों में से पांच को सुनाई गई 10 साल कैद की सजा बरकरार रखने के साथ-साथ 50 अन्य आरोपियों की सजा दो वर्ष कम कर दी।
केंद्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत ने 22 जनवरी, 2013 को चौटाला और 10 अन्य आरोपियों को वर्ष 2000 में 3,206 अल्प प्रशिक्षित कनिष्ठ शिक्षकों की अवैध भर्ती के लिए 10 साल कैद की सजा सुनाई थी।
इस मामले में एक दोषी को पांच साल कैद की सजा सुनाई गई है, जबकि 44 अन्य को चार-चार साल कैद की सजा सुनाई गई है।
सभी अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत धोखाधड़ी, जालसाजी, फर्जी दस्तावेजों को असली बनाकर पेश करने, षड्यंत्र करने और भ्रष्टाचार निरोधी अधिनियम के तहत पद का दुरुपयोग करने का दोषी पाया गया था।
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न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने कहा कि ओम प्रकाश चौटाला उस दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री थे और इस नाते घोटाले के लिए ज्यादा जिम्मेदार हैं।
न्यायालय ने इस मामले में ओम प्रकाश चौटाला के तीन राजनीतिक सलाहकारों शेर सिंह बदशमी, उनके पूर्व ओएसडी विद्या धर और हरियाणा के पूर्व प्राथमिक शिक्षा निदेशक संजीव कुमार को भी सुनाई गई 10 साल कैद की सजा बरकरार रखी।
न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली अभियुक्तों की सभी 55 अपीलों को भी खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति मृदुल ने कुल 55 आरोपियों में से पांच को सुनाई गई 10 साल कैद की सजा बरकरार रखने के साथ-साथ 50 अन्य आरोपियों की सजा दो वर्ष कम कर दी।
केंद्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत ने 22 जनवरी, 2013 को चौटाला और 10 अन्य आरोपियों को वर्ष 2000 में 3,206 अल्प प्रशिक्षित कनिष्ठ शिक्षकों की अवैध भर्ती के लिए 10 साल कैद की सजा सुनाई थी।
इस मामले में एक दोषी को पांच साल कैद की सजा सुनाई गई है, जबकि 44 अन्य को चार-चार साल कैद की सजा सुनाई गई है।
सभी अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत धोखाधड़ी, जालसाजी, फर्जी दस्तावेजों को असली बनाकर पेश करने, षड्यंत्र करने और भ्रष्टाचार निरोधी अधिनियम के तहत पद का दुरुपयोग करने का दोषी पाया गया था।
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