शिक्षामित्र अवैध समायोजन मामले मे राज्य सरकार के काउंटर का विवरण

शिक्षामित्र अवैध समायोजन मामले मे राज्य सरकार के काउंटर का विवरण
राज्य सरकार ने केस के कुल 9 महीने होने के बाद काउंटर दाखिल किया है । राज्य सरकार से 1981 भर्ती नियमावली मे संशोधित 16 क के विषय मे सवाल पूछे गए थे । राज्य सरकार का जवाब निम्न प्रकार से है -
1- सरकार ने कहा है की लखनऊ और इलाहाबाद बेंच मे अवैध समायोजन संबंधी 6-7 वाद लंबित हैं अतः सभी मामलों की सुनवाई या तो लखनऊ बेंच मे की जाए या फिर इलाहाबाद बेंच मे की जाए ।
9 महीने बाद होश आया है सुनवाई कराने का जब कोर्ट ने कहा है की अंतिम ऑर्डर पास किया जाएगा ।

2- सरकार ने कहा है की शिक्षामित्र अब सरकारी कर्मचारी है अतः बेसिक शिक्षा के सचिव संजय सिन्हा को पार्टी बनाया जाए ।
आधारहीन तर्क , चाहे संजय सिन्हा जी जवाब दाखिल करें या डी॰ बी॰ शर्मा जी 16 क का संशोधन कैसे किया इसका जवाब किसी के पास नही है । शिक्षामित्रों का चयन कोर्ट के निर्णय के अधीन है और जब केस शुरू हुआ था तब समायोजित शिक्षामित्र संविदकर्मी थे । रिट संख्या डाल कर नियुक्ति पत्र दिया गया है ।
3- सरकार ने कहा है की 172000 शिक्षामित्रों को पार्टी बनाना चाहिए ।
आधारहीन तर्क , शिक्षामित्रों की तरफ से तीन संगठन हैं जो शिक्षामित्रों की और से केस लड़ रहे हैं । कोर्ट ने शिक्षामित्रों को पार्टी न सिर्फ इंटरवीनर माना है ।
4- सरकार ने कहा है की शिक्षामित्र 2010 के पहले से कार्यरत है इसलिए उन्हे पैरा टीचर मानकर टीईटी से छूट दी गयी है ।
सरकार के इस तर्क को कोर्ट एवं एनसीटीई पहले ही खारिज कर चुके हैं और संविदा कर्मी माना गया है तथा एनसीटीई ने सरकार से पूछा है की पैरा टीचर हैं तो सिर्फ 11 माह का मानदेय क्यों दिया जाता है ।
अगर शिक्षामित्र पैरा टीचर हैं तो फिर 16 क जैसे संशोधन की आवश्यकता ही क्यों पड़ी ।
5- सबसे महत्वपूर्ण बात , 16 क संशोधन जिसे मुख्य रूप से चैलेंज किया गया है सरकार या शिक्षामित्रों की तरफ से उस पर एक भी लिने नही लिखी है ।
सरकार को संशोधन से पूर्व एनसीटीई व केंद्र सरकार से अनुमति लेनी चाहिए थी और ये संशोधन केंद्र सरकार को करके राज्य सरकार को नोटिफिकेशन जारी किया जाना चाहिए था । केंद्र ने अपने गज़ट मे साफ लिखा है की स्वयं केंद्र सरकार सामान्य परिस्थितियों टीईटी से छूट नही दे सकती है । एनसीटीई ने अपने काउंटर मे तथा केंद्र सरकार ने आरटीआई के माध्यम से साफ किया है की शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट नही दी गयी है ।
6- सरकार ने शिक्षामित्रों की ट्रेनिंग के वैध बताने वाले कई पत्र लगाए हैं ।
एनसीटीई ने सरकार के सभी दावों को खारिज करते हुए शिक्षामित्रों की ट्रेनिंग को अवैध बताया है ।
सरकार की तरफ से लगभग 15 बिन्दुओं पर कोई लिखित जवाब नही दिया गया है और कहा गया है की ये मुद्दे बहस के दौरान रखे जाएंगे ।
री-जोइंडर की प्रक्रिया प्रारम्भ हो चुकी है । हमारे पास सभी काउंटर का मुहतोड़ जवाब है । हमे हमारा हक़ ज़रूर वापस मिलेगा ।

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