एक विद्यालय पर दो प्रधानाध्यापक : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

संत कबीर नगर: शिक्षकों की कमी से जूझ रहे परिषदीय विद्यालयों में कहीं अध्यापक का टोटा है तो कहीं प्रधानाध्यापकों का। लेकिन मेंहदावल में शिक्षा विभाग की लापरवाही की हद तब हो गई जब बीआरसी की नाक के नीचे प्राथमिक विद्यालय दक्षिण पट्टी पर इस समय दो प्रधानाध्यापक एक साथ काम कर रहे हैं और बीआरसी भी सब कुछ जानने के बाद भी सारा मामला घोंट कर बैठी है।
इस तरह की तैनाती से पूरा शिक्षा विभाग कटघरे में है क्यों कि पूर्व बीएसए ने पहले वाले हेडमास्टर को हटाया नहीं और दूसरे को तैनाती दे दी। शासन की नीति के तहत प्रत्येक जिले में माडल स्कूल चयनित किए जाने थे जिसमें पढाई कांवेंट स्कूलों की तरह अंग्रेजी माध्यम से कराया जाना था। इसी योजना के तहत प्राथमिक विद्यालय दक्षिण पट्टी को माडल स्कूल के रूप में चयनित किया गया था। माडल स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती के लिए जो मानक बनाए गए थे। उसमें अंग्रेजी विषय के साथ इंटर करने वाले परिषदीय शिक्षकों को सहायक अध्यापक और अंग्रेजी विषय के साथ स्नातक करने वाले अध्यापकों को प्रधानाध्यापक नियुक्त किये जाने का प्रावधान था। इस तरह के स्कूलों में तैनाती के लिए आवेदन मांगे गये थे और परीक्षा एवं साक्षात्कार के जरिए। इनकी तैनाती की गई। नियम था की जिन स्कूलों का माडल स्कूल के तहत चयन होगा वहां तैनात पहले के अध्यापक और हेडमास्टर को विकल्प देकर दूसरे विद्यालय में स्थान्तरित कर दिया जाए। माडल स्कूल में नये शिक्षकों एवं प्रधानाध्यापक की तैनाती के बाद भी पुराने लोगों को समायोजित नहीं किया गया जिससे एक ही विद्यालय में दो हेडमास्टर एक साथ काम कर रहे हैं जोकि शिक्षा विभाग की गंभीरता की पोल खोल रहे है।
- कलरव, गिनतारा के अभाव में चल रहा ककहरा
जागरण संवाददाता, संत कबीर नगर: शैक्षिक सत्र 2015-16 के लिए अभी तक पुस्तकों का आवंटन नही हो सका है। न कापी, न किताब और न ही यूनीफार्म लेकिन परिषदीय विद्यालयों में पढ़ाई जारी है। कलरव व गिनतारा जैसी महत्वपूर्ण पुस्तकें अभी तक नहीं पहुंची। ऐसे में विद्यालयों में ककहरा, इमला के साथ पुरानी पुस्तकों से काम चलाया जा रहा है। ऐसे में परिषदीय विद्यालय कान्वेंट और सीबीएसइ बोर्ड से मान्यता प्राप्त विद्यालयों का सामना कैसे कर पाएंगे। बुनियादी सुविधाएं दिए बिना ही सत्र शुरू करने का आइडिया फ्लाप ही साबित हो रहा है। पिछले सालों तक शिक्षण सत्र का शुभारंभ जुलाई से शुरू होता है। सत्र के प्रारंभ में ही बच्चों को निश्शुल्क दी जाने वाली कापी-किताबों के साथ यूनीफार्म भी मिल जाती थी लेकिन इस बार सरकार ने सीबीएसइ बोर्ड की तर्ज पर नए शिक्षण सत्र का शुभारंभ पहली अप्रैल से ही कर दिया गया ¨कतु इस अनुरुप व्यवस्था नहीं बनाई जा सकी।
नतीजा यह रहा कि परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों को निश्शुल्क यूनीफार्म तो छोड़ों किताबें तक नसीब नहीं हो पाई।
- कहां से लाएं पुरानी किताबें
सत्र आरंभ से पूर्व कक्षा एक पास कर चुके बच्चों से किताबें लेकर कक्षा एक में प्रवेश लेने वाले बच्चों को देने का फरमान सुनाया था लेकिन 80 फीसदी से अधिक बच्चों की किताबें सुरक्षित बची ही नहीं और शेष बच्चे स्कूल आए ही नहीं। अभी अनेकों विद्यालयों में गत वर्ष की अपेक्षित संख्या की भरपाई नहीं हो सकी है। बीएसए ने एक दर्जन से अधिक परिषदीय विद्यालयों का निरीक्षण किया है।
- संख्या कम होने से बढ़ी मुश्किलें
संत कबीर नगर :
छह से चौदह वर्ष तक के बच्चों को निश्शुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने हेतु परिषदीय विद्यालयों में स्कूल चलो अभियान चलाकर अधिक से अधिक नामांकन करना था। इसके तहत स्कूली बच्चों की रैली निकालने व गोष्ठी आयोजित करने का शासन का फरमान था, लेकिन सब कुछ कोरम पूरा तक ही रह गया। नामांकन में इस बार अभी तक कुछ खास देखने को नहीं मिला रहा है। प्राथमिक विद्यालयों में नामांकित बच्चों को पढ़ाने में ही शिक्षक व्यस्त रहे और नामांकन की सुधि नहीं रही। अब चौदह जुलाई से इक्कीस जुलाई तक अभियान में संख्या बढ़ने की उम्मीद है। बीएसए महेंद्र प्रताप ¨सह ने कहा कि विद्यालय में शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाकर नामांकन किया जा रहा है। जहां भी कमी पाई जाएगी सख्त कार्रवाई होगी।

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