०६ जुलाई २०१५ को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई की मुख्य बातें :
दोस्तों, ०६ जुलाई को मै पूरी सुनवाई के दौरान कोर्टरूम में उपस्थित था और वहाँ का घटनाक्रम निम्न था. कोर्ट केस में सबसे पहले शारदा देवी ने अपनी बात रखने की कोशिस की लेकिन जज साहब ने उन्हें रोक दिया और कहा कि अब केवल बेस आफ सेलेक्शन पर बहस होगी
और मै अगले सप्ताह १३ को फाइनल डिसीजन देकर यह केस खत्म करूँगा. राकेश द्विवेदी जी की कोर्ट में अनुपस्थिति के कारण हम परेशान थे और आज कोर्ट में उनकी जरूरत भी महसूस हो रही थी.
शुरुआत का समय एकेडमिक के लिए थोड़ा निराशाजनक रहा. वेंकटरमणी जी ने एकेडमिक मेरिट का पक्ष अच्छे से रखा लेकिन श्री दीपक मिश्रा जी संतुष्ट नहीं हुए, उन्हें सबसे ज्यादा आपत्ति गुडांक फार्मूले को लेकर थी कि और विशेष रूप से वे लो क्वालिफेकेशन हाई स्कूल और इंटर के मार्क्स को जोड़े जाने पे आपत्ति कर रहे थे. उन्होंने कहा कि अगर कैरियर प्वाइंट (एकेडमिक गुडांक) को लिया भी जाता है तब भी हाईएस्ट क्वालिफिकेशन को ही लिया जाना चाहिए था. उन्होंने टेट और एकेडमिक के कई तरह के मार्क्स के उदाहरण देकर वेंकटरमणी जी से कई सवाल पूछे लेकिन अंततः इसपर कोई निष्कर्ष नहीं निकला.
एन.सी.टी.ई.प्रतिनिधि से जब जज साहब ने पूछा तो उन्होंने एक बार फिर से टेट को मिनिमम क्वालिफिकेशन कहा. वे बोले कि बिना टेट पास कोई नियुक्त नहीं हो सकता. बेस आफ सेलेक्शन के मैटर पर बोलने से बचने की कोशिस की, बस यह कहा कि वेटेज दिया जाना चाहिए, वेटेज शुड बी गिवेन वाक्य दोहराया. कितना मैक्सिमम वेटेज हो सकता है और कैरियर प्वाइंट पर क्या रुख है इस सवाल पर उन्होंने कहा कि गाइडलाइन इस विषय में कुछ नहीं कहती बस पात्रता निर्धारित करती है.
जब दीपक मिश्रा जी ने पूछा कि कितने राज्यों में केवल कैरियर प्वाइंट पर भर्ती हुई है तब वेंकटरमणी जी ने बताया कि पहले सभी भर्तियाँ गुडांक से ही होती थीं तो दीपक मिश्रा जी ने कहा कि उस समय एन.सी.टी.ई. की गाइडलाइन नहीं थी और अगर टेट पास कंडीडेट को मार्क्स के घटते क्रम में लिया जा रहा है तो इसपर आपको क्या आपत्ति है. वेंकटरमणी जी ने बताया कि यह मिनिमम क्वालिफिकेशन है और मिनिमम क्वालिफिकेशन को कहीं भी सेलेक्शन का आधार नहीं बनाया गया है. इस मिनिमम क्वालिफिकेशन की वैधता भी केवल लिमिटेड टाइम तक ही होती है और एन.सी.टी.ई. गाइडलाइन में भी कहीं यह नहीं कहा है कि इसके आधार पर सेलेक्शन हो सकता है.
इसके बाद टेट मोर्चे के वकील नागेश्वर राव जी ने कहा कि जज साहब जैसा कि आपने कहा कि टेट पास अभ्यर्थियों के मार्क्स को घटते क्रम में रखकर ऊपर से चयन करते जाना बेहतर विकल्प है और १२ वें संसोधन तथा ओल्ड ऐड में भी यही किया गया है तो दीपक मिश्रा जी उनपर काफी नाराज होते हुए बोले कि १२ वां संसोधन निरस्त हो चुका है और उसपर कोई बहस नहीं होगी, सरकार ने १२वे के बाद १५वा संसोधन किया है इसलिए केवल १५ वें संसोधन पर ही बहस होगी, और जो भी बेस आफ सेलेक्शन पर डिसीजन होगा वह उसपर लागू होगा. उन्होंने राव साहब से यह कहा कि एन.सी.टी.ई. की गाइडलाइन कहती है कि वेटेज शुड बी गिवेन, जिसका मतलब है कि टेट के वेटेज के साथ कुछ ना कुछ अवश्य जुडा होगा, वह इंटरव्यू हो सकता है, कैरियर प्वाइंट भी लेकिन क्या और कितना होगा यह राज्य सरकार ही तक करेगी, मै यह तय नहीं कर सकता क्योंकि मै रूल नहीं बना सकता.
फिर नागेश्वर राव जी ने पुराने विज्ञापन की बात की तो जज साहब ने कहा कि सरकार पुराना विज्ञापन निरस्त कर चुकी है, इसपर राव साहब ने तुरंत पुराने विज्ञापन के आधार पर चल रही नियुक्ति की बात की तो जज साहब ने स्पष्ट कहा कि उसका कोई मतलब नहीं है, उसका केस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, बेस आफ सेलेक्शन पर जो भी फाइनल होगा उसी के आधार पर फाइनल सेलेक्शन होगा.
इसके बाद टेट वकील नागेश्वर राव जी ने कहा कि १५ वे संसोधन को हाई कोर्ट ने अल्ट्रा वायरस घोषित कर दिया है तो २०१२ के वकील दवे जी ने कहा कि सर १५ वें संसोधन के खिलाफ हाई कोर्ट में जो रिट थी वह इस पर थी कि गेम के रूल बीच में नहीं बदले जा सकते, १५ वे संसोधन पर वेटेज के ग्राउंड पर कोई रिट नहीं थी. इसपर दीपक मिश्रा जी ने कहा कि जब हाई कोर्ट में १५ वें संसोधन के खिलाफ वेटेज के ग्राउंड पर कोई याचिका नहीं थी तो उसे हाई कोर्ट ने उसे अल्ट्रावायरस कैसे कर दिया और यह डिसीजन गलत है. उन्होंने यह भी पूछते हुए कहा कि जैसे टेट परीक्षा के खिलाफ कोई प्रेयर नहीं है, क्या कोई प्रेयर है? नहीं है तो हम टेट परिक्षा निरस्त नहीं कर सकते, इसी प्रकार १५ वे संसोधन के खिलाफ जब वेटेज के ग्राउंड पर कोई प्रेयर नहीं थी तब उसे अल्ट्रावायरस घोषित नहीं किया जा सकता.
तभी हिमांशु राणा के वकील आनंद नंदन जी ने कोर्ट में कहा कि सर आप यहाँ क्वालिटी टीचर पर डिस्कस कर रहे हैं और दूसरी तरफ राज्य सरकार नॉन-टेट की नियुक्ति कर रही है. फिर उन्होंने बताया कि राज्य सरकार टेट न पास करने वाले ५२ हजार शिक्षा मित्रों को नियुक्त की है, ९२ हजार को अभी कर रही है और करती ही जा रही है. इसपर दीपक मिश्रा जी काफी नाराज हुए और बोले कि उनकी नियुक्ति पर तुरंत रोक लगाई जाती है, अगली सुनवाई पर सरकार एफ-ए- डेविट लगाए और उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा सचिव स्वयं कोर्ट में उपस्थिट हों. संभवतः शिक्षा मित्रों के कोई वकील थे जिन्होंने कहा कि शिक्षामित्र केवल इंटर पास हैं इसलिए वे टेट दे ही नहीं सकते थे, तो दीपक मिश्रा जी ने कहा कि इन बातों का कोई मतलब नहीं है. गाइडलाइन के अनुसार टेट मिनिमम क्वालिफिकेशन है इसलिए बिना टेट पास कोई भी नियुक्त नहीं हो सकता. फिर शिक्षामित्रों का समर्थन करने वाले वकील ने कहा कि सर आपने ०६ महीने में भर्ती पूरी करने का आदेश दिया था और उतने टेट पास नहीं थे इसलिए ऐसा किया गया. तो दीपक मिश्रा जी ने कहा कि मैंने एकार्डिंग टू रूल भर्ती करने को कहा था मनमाने तरीके से नहीं.
२७ जुलाई अगली डेट लगी है. (यदि शिक्षा-मित्रों का मैटर ना आता तो निश्चित ही १३ जुलाई को केस फाइनल हो सकता था और यह जज साहब ने केस स्टार्ट होते ही कहा था, अब तो सभीं यही चाहते हैं कि केस भले ही एक-दो सुनवाई और चले लेकिन पहले शिक्षा-मित्र बाहर हों, उसके बाद ही बेस आफ सेलेक्शन पर बहंस हो)
शिक्षामित्रों के समायोजन के खिलाफ डिसीजन को सुनकर सभी टेट और एकेडमिक समर्थक आपसी विवाद को भूलकर इसकी खुशी मनाने लगे. सभीं की जुबान पर बस एक ही बात थी कि टेट पास बी-एड बेरोजगारों का हक छीनने वाले शिक्षा-मित्रों को बाहर किया जाय जिससे उनके द्वारा अवैध कब्जा की गयी सीटें टेट पास बी-एड बेरोजगारों को मिल सके.
शिक्षामित्रों के खिलाफ लड़ने वाले हिमांशु राणा को अगर सफल होना है तो यह ध्यान रखें कि सरकार शिक्षा-मित्रों के लिए अलग से टेट कराने की मांग करेगी और करायेगी. क्योंकि सरकार ने नियम जारी किया था कि शिक्षामित्र ग्राम शिक्षा समिति से अनुमति लेकर प्राइवेट या डिस्टेंस से ग्रेजुएशन कर सकते हैं. आज प्रायः सभीं शिक्षामित्रों के पास स्नातक की डिग्री है............................... लेकिन उनमे से८०% ने प्राइवेट या डिस्टेंस की जगह रेगुलर डिग्री ली है. नौकरी करते हुए रेगुलर डिग्री लेने के कारण ८०% शिक्षामित्रों की स्नातक डिग्री अवैध है.
इस अवैध स्नातक डिग्री के आधार पर सरकारी स्कीम में ०२ वर्षीय बी.टी.सी. कर रहे जिसके आधार पर वे टेट एक्जाम देंगे. लेकिन अगर उनकी अवैध स्नातक डिग्री कोर्ट के संज्ञान में लाया जाय तभीं उन्हें रोका जा सकेगा. अन्यथा सरकार उर्दू मोअम्मिल वालों की तरह उनके लिए भी सतही प्रश्नों पर आधारित नाममात्र का टेट कराकर उन्हें पास करवाने की कोशिस करेगी. (हालाकि उनमे से ज्यादातर ने ग्राम शिक्षा समिति से अनुमति भे बैक डेट में ली है लेकिन इसे प्रमाणित नहीं किया जा सकता). लेकिन जिन्होंने काम करते हुए रेगुलर डिग्री लिया है वह अवैध है. अगर एक दो ब्लाक के भी सभी शिक्षामित्रों का डेटा जुटाकर सैम्पल के तौर पर रखा जाय, या आर.टी.आई. से यह जानकारी माँगी जाय कि बी.टी.सी. करने वाले शिक्षा मित्रों में से कितनों की डिग्री रेगुलर है तो भी काम बन सकता है.
मुख्य बिंदु :
# केवल टेट मार्क्स (टेट मेरिट) चयन का आधार नहीं
# केवल गुडांक मेरिट भी चयन का आधार नहीं
# टेट और गुडांक को मिलाकर बेस आफ सेलेक्शन बनेगा,
# बेस आफ सेलेक्शन के लिए नियम सरकार ही बनाएगी, (किसको कितना वेटेज मिले यह सरकार ही तय करेगी, क्योंकि कोर्ट ने कहा है कि वह नियम नहीं बना सकती), हालाकि सुप्रीम कोर्ट की उसपर सहमति अनिवार्य होगी, सुप्रीम इसके लिए कोई कमेटी भी बना सकती है.
ध्यान रखने योग्य:
# टेट और एकेडमिक में ज्यादा वेटेज वही पायेगा जिसका वकील अपनी बातों से कोर्ट को ज्यादा संतुष्ट कर सके.
# एकेडमिक के वकीलों द्वारा अभी अपना पक्ष पूरी तरह से रखा जाना बाकी है.
# साधना मिश्रा की रिट द्वारा ओल्ड ऐड की सभी कमियों को सुना जाना अभी बाकी है.
# धांधली के मैटर पर अभीं एकेडमिक टीम के आई०ए० को सुना जाना बाकी है.
दोस्तों, ०६ जुलाई को मै पूरी सुनवाई के दौरान कोर्टरूम में उपस्थित था और वहाँ का घटनाक्रम निम्न था. कोर्ट केस में सबसे पहले शारदा देवी ने अपनी बात रखने की कोशिस की लेकिन जज साहब ने उन्हें रोक दिया और कहा कि अब केवल बेस आफ सेलेक्शन पर बहस होगी
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और मै अगले सप्ताह १३ को फाइनल डिसीजन देकर यह केस खत्म करूँगा. राकेश द्विवेदी जी की कोर्ट में अनुपस्थिति के कारण हम परेशान थे और आज कोर्ट में उनकी जरूरत भी महसूस हो रही थी.
शुरुआत का समय एकेडमिक के लिए थोड़ा निराशाजनक रहा. वेंकटरमणी जी ने एकेडमिक मेरिट का पक्ष अच्छे से रखा लेकिन श्री दीपक मिश्रा जी संतुष्ट नहीं हुए, उन्हें सबसे ज्यादा आपत्ति गुडांक फार्मूले को लेकर थी कि और विशेष रूप से वे लो क्वालिफेकेशन हाई स्कूल और इंटर के मार्क्स को जोड़े जाने पे आपत्ति कर रहे थे. उन्होंने कहा कि अगर कैरियर प्वाइंट (एकेडमिक गुडांक) को लिया भी जाता है तब भी हाईएस्ट क्वालिफिकेशन को ही लिया जाना चाहिए था. उन्होंने टेट और एकेडमिक के कई तरह के मार्क्स के उदाहरण देकर वेंकटरमणी जी से कई सवाल पूछे लेकिन अंततः इसपर कोई निष्कर्ष नहीं निकला.
एन.सी.टी.ई.प्रतिनिधि से जब जज साहब ने पूछा तो उन्होंने एक बार फिर से टेट को मिनिमम क्वालिफिकेशन कहा. वे बोले कि बिना टेट पास कोई नियुक्त नहीं हो सकता. बेस आफ सेलेक्शन के मैटर पर बोलने से बचने की कोशिस की, बस यह कहा कि वेटेज दिया जाना चाहिए, वेटेज शुड बी गिवेन वाक्य दोहराया. कितना मैक्सिमम वेटेज हो सकता है और कैरियर प्वाइंट पर क्या रुख है इस सवाल पर उन्होंने कहा कि गाइडलाइन इस विषय में कुछ नहीं कहती बस पात्रता निर्धारित करती है.
जब दीपक मिश्रा जी ने पूछा कि कितने राज्यों में केवल कैरियर प्वाइंट पर भर्ती हुई है तब वेंकटरमणी जी ने बताया कि पहले सभी भर्तियाँ गुडांक से ही होती थीं तो दीपक मिश्रा जी ने कहा कि उस समय एन.सी.टी.ई. की गाइडलाइन नहीं थी और अगर टेट पास कंडीडेट को मार्क्स के घटते क्रम में लिया जा रहा है तो इसपर आपको क्या आपत्ति है. वेंकटरमणी जी ने बताया कि यह मिनिमम क्वालिफिकेशन है और मिनिमम क्वालिफिकेशन को कहीं भी सेलेक्शन का आधार नहीं बनाया गया है. इस मिनिमम क्वालिफिकेशन की वैधता भी केवल लिमिटेड टाइम तक ही होती है और एन.सी.टी.ई. गाइडलाइन में भी कहीं यह नहीं कहा है कि इसके आधार पर सेलेक्शन हो सकता है.
इसके बाद टेट मोर्चे के वकील नागेश्वर राव जी ने कहा कि जज साहब जैसा कि आपने कहा कि टेट पास अभ्यर्थियों के मार्क्स को घटते क्रम में रखकर ऊपर से चयन करते जाना बेहतर विकल्प है और १२ वें संसोधन तथा ओल्ड ऐड में भी यही किया गया है तो दीपक मिश्रा जी उनपर काफी नाराज होते हुए बोले कि १२ वां संसोधन निरस्त हो चुका है और उसपर कोई बहस नहीं होगी, सरकार ने १२वे के बाद १५वा संसोधन किया है इसलिए केवल १५ वें संसोधन पर ही बहस होगी, और जो भी बेस आफ सेलेक्शन पर डिसीजन होगा वह उसपर लागू होगा. उन्होंने राव साहब से यह कहा कि एन.सी.टी.ई. की गाइडलाइन कहती है कि वेटेज शुड बी गिवेन, जिसका मतलब है कि टेट के वेटेज के साथ कुछ ना कुछ अवश्य जुडा होगा, वह इंटरव्यू हो सकता है, कैरियर प्वाइंट भी लेकिन क्या और कितना होगा यह राज्य सरकार ही तक करेगी, मै यह तय नहीं कर सकता क्योंकि मै रूल नहीं बना सकता.
फिर नागेश्वर राव जी ने पुराने विज्ञापन की बात की तो जज साहब ने कहा कि सरकार पुराना विज्ञापन निरस्त कर चुकी है, इसपर राव साहब ने तुरंत पुराने विज्ञापन के आधार पर चल रही नियुक्ति की बात की तो जज साहब ने स्पष्ट कहा कि उसका कोई मतलब नहीं है, उसका केस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, बेस आफ सेलेक्शन पर जो भी फाइनल होगा उसी के आधार पर फाइनल सेलेक्शन होगा.
इसके बाद टेट वकील नागेश्वर राव जी ने कहा कि १५ वे संसोधन को हाई कोर्ट ने अल्ट्रा वायरस घोषित कर दिया है तो २०१२ के वकील दवे जी ने कहा कि सर १५ वें संसोधन के खिलाफ हाई कोर्ट में जो रिट थी वह इस पर थी कि गेम के रूल बीच में नहीं बदले जा सकते, १५ वे संसोधन पर वेटेज के ग्राउंड पर कोई रिट नहीं थी. इसपर दीपक मिश्रा जी ने कहा कि जब हाई कोर्ट में १५ वें संसोधन के खिलाफ वेटेज के ग्राउंड पर कोई याचिका नहीं थी तो उसे हाई कोर्ट ने उसे अल्ट्रावायरस कैसे कर दिया और यह डिसीजन गलत है. उन्होंने यह भी पूछते हुए कहा कि जैसे टेट परीक्षा के खिलाफ कोई प्रेयर नहीं है, क्या कोई प्रेयर है? नहीं है तो हम टेट परिक्षा निरस्त नहीं कर सकते, इसी प्रकार १५ वे संसोधन के खिलाफ जब वेटेज के ग्राउंड पर कोई प्रेयर नहीं थी तब उसे अल्ट्रावायरस घोषित नहीं किया जा सकता.
तभी हिमांशु राणा के वकील आनंद नंदन जी ने कोर्ट में कहा कि सर आप यहाँ क्वालिटी टीचर पर डिस्कस कर रहे हैं और दूसरी तरफ राज्य सरकार नॉन-टेट की नियुक्ति कर रही है. फिर उन्होंने बताया कि राज्य सरकार टेट न पास करने वाले ५२ हजार शिक्षा मित्रों को नियुक्त की है, ९२ हजार को अभी कर रही है और करती ही जा रही है. इसपर दीपक मिश्रा जी काफी नाराज हुए और बोले कि उनकी नियुक्ति पर तुरंत रोक लगाई जाती है, अगली सुनवाई पर सरकार एफ-ए- डेविट लगाए और उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा सचिव स्वयं कोर्ट में उपस्थिट हों. संभवतः शिक्षा मित्रों के कोई वकील थे जिन्होंने कहा कि शिक्षामित्र केवल इंटर पास हैं इसलिए वे टेट दे ही नहीं सकते थे, तो दीपक मिश्रा जी ने कहा कि इन बातों का कोई मतलब नहीं है. गाइडलाइन के अनुसार टेट मिनिमम क्वालिफिकेशन है इसलिए बिना टेट पास कोई भी नियुक्त नहीं हो सकता. फिर शिक्षामित्रों का समर्थन करने वाले वकील ने कहा कि सर आपने ०६ महीने में भर्ती पूरी करने का आदेश दिया था और उतने टेट पास नहीं थे इसलिए ऐसा किया गया. तो दीपक मिश्रा जी ने कहा कि मैंने एकार्डिंग टू रूल भर्ती करने को कहा था मनमाने तरीके से नहीं.
२७ जुलाई अगली डेट लगी है. (यदि शिक्षा-मित्रों का मैटर ना आता तो निश्चित ही १३ जुलाई को केस फाइनल हो सकता था और यह जज साहब ने केस स्टार्ट होते ही कहा था, अब तो सभीं यही चाहते हैं कि केस भले ही एक-दो सुनवाई और चले लेकिन पहले शिक्षा-मित्र बाहर हों, उसके बाद ही बेस आफ सेलेक्शन पर बहंस हो)
शिक्षामित्रों के समायोजन के खिलाफ डिसीजन को सुनकर सभी टेट और एकेडमिक समर्थक आपसी विवाद को भूलकर इसकी खुशी मनाने लगे. सभीं की जुबान पर बस एक ही बात थी कि टेट पास बी-एड बेरोजगारों का हक छीनने वाले शिक्षा-मित्रों को बाहर किया जाय जिससे उनके द्वारा अवैध कब्जा की गयी सीटें टेट पास बी-एड बेरोजगारों को मिल सके.
शिक्षामित्रों के खिलाफ लड़ने वाले हिमांशु राणा को अगर सफल होना है तो यह ध्यान रखें कि सरकार शिक्षा-मित्रों के लिए अलग से टेट कराने की मांग करेगी और करायेगी. क्योंकि सरकार ने नियम जारी किया था कि शिक्षामित्र ग्राम शिक्षा समिति से अनुमति लेकर प्राइवेट या डिस्टेंस से ग्रेजुएशन कर सकते हैं. आज प्रायः सभीं शिक्षामित्रों के पास स्नातक की डिग्री है............................... लेकिन उनमे से८०% ने प्राइवेट या डिस्टेंस की जगह रेगुलर डिग्री ली है. नौकरी करते हुए रेगुलर डिग्री लेने के कारण ८०% शिक्षामित्रों की स्नातक डिग्री अवैध है.
इस अवैध स्नातक डिग्री के आधार पर सरकारी स्कीम में ०२ वर्षीय बी.टी.सी. कर रहे जिसके आधार पर वे टेट एक्जाम देंगे. लेकिन अगर उनकी अवैध स्नातक डिग्री कोर्ट के संज्ञान में लाया जाय तभीं उन्हें रोका जा सकेगा. अन्यथा सरकार उर्दू मोअम्मिल वालों की तरह उनके लिए भी सतही प्रश्नों पर आधारित नाममात्र का टेट कराकर उन्हें पास करवाने की कोशिस करेगी. (हालाकि उनमे से ज्यादातर ने ग्राम शिक्षा समिति से अनुमति भे बैक डेट में ली है लेकिन इसे प्रमाणित नहीं किया जा सकता). लेकिन जिन्होंने काम करते हुए रेगुलर डिग्री लिया है वह अवैध है. अगर एक दो ब्लाक के भी सभी शिक्षामित्रों का डेटा जुटाकर सैम्पल के तौर पर रखा जाय, या आर.टी.आई. से यह जानकारी माँगी जाय कि बी.टी.सी. करने वाले शिक्षा मित्रों में से कितनों की डिग्री रेगुलर है तो भी काम बन सकता है.
मुख्य बिंदु :
# केवल टेट मार्क्स (टेट मेरिट) चयन का आधार नहीं
# केवल गुडांक मेरिट भी चयन का आधार नहीं
# टेट और गुडांक को मिलाकर बेस आफ सेलेक्शन बनेगा,
# बेस आफ सेलेक्शन के लिए नियम सरकार ही बनाएगी, (किसको कितना वेटेज मिले यह सरकार ही तय करेगी, क्योंकि कोर्ट ने कहा है कि वह नियम नहीं बना सकती), हालाकि सुप्रीम कोर्ट की उसपर सहमति अनिवार्य होगी, सुप्रीम इसके लिए कोई कमेटी भी बना सकती है.
ध्यान रखने योग्य:
# टेट और एकेडमिक में ज्यादा वेटेज वही पायेगा जिसका वकील अपनी बातों से कोर्ट को ज्यादा संतुष्ट कर सके.
# एकेडमिक के वकीलों द्वारा अभी अपना पक्ष पूरी तरह से रखा जाना बाकी है.
# साधना मिश्रा की रिट द्वारा ओल्ड ऐड की सभी कमियों को सुना जाना अभी बाकी है.
# धांधली के मैटर पर अभीं एकेडमिक टीम के आई०ए० को सुना जाना बाकी है.
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