इलाहाबाद (ब्यूरो)। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के चेयरमैन रामवीर सिंह यादव
की नियुक्ति को लेकर सरकार एक बार फिर कटघरे में आ गई है। अध्यक्ष की
योग्यता और नियुक्ति को डॉ. केके शाही ने याचिका दाखिल कर चुनौती दी है। इस
मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति अरुण टंडन और न्यायमूर्ति एके मिश्र
की खंडपीठ ने मुख्य सचिव उच्च शिक्षा को 21 जुलाई तक जांच पूरी कर जवाब
दाखिल करने का निर्देश दिया है।
इससे पूर्व दाखिल एक जनहित याचिका पर भी हाईकोर्ट की ग्रीष्मकालीन बेंच में न्यायमूर्ति अरुण टंडन ने मुख्य सचिव को मामले की जांच का आदेश दिया था। साथ ही कहा था कि यदि रामवीर सिंह यादव अध्यक्ष होने की योग्यता नहीं रखते हैं तो उनको पद से हटाया जाए। प्रदेश सरकार इस आदेश को लेकर बुरी तरह से घिर गई थी। यही वजह थी कि जुलाई में हाईकोर्ट खुलने पर मुख्य न्यायाधीश के समक्ष संशोधन याचिका दाखिल की गई। कोर्ट ने आदेश संशोधित करते हुए स्पष्ट किया कि रामवीर सिंह यादव के काम करने पर कोई रोक नहीं है। सरकार को जवाब दाखिल करने का समय देते हुए पीआईएल पर चार अगस्त को सुनवाई की तिथि नियत की है। याची के अधिवक्ता आलोक मिश्र के मुताबिक डॉ. केके शाही की याचिका पर प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया कि इस याचिका को भी पूर्व में दाखिल जनहित याचिका के साथ संबद्ध करके सुना जाए। मगर कोर्ट ने उनकी प्रार्थना अस्वीकार करते हुए 21 जुलाई तक जवाब दाखिल करने को कहा है। उल्लेखनीय है कि आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति को योग्यता के आधार पर चुनौती दी गई है। अध्यक्ष या सदस्य केपद पर सचिव स्तर का आईएएस अधिकारी, कुलपति या शिक्षा के क्षेत्र का नामचीन व्यक्ति ही नियुक्त किया जा सकता है। मगर प्रदेश सरकार ने इन मानकोें को दरकिनार करते हुए अयोग्य व्यक्ति को सदस्य नियुक्त किया फिर कार्यवाहक अध्यक्ष भी बना दिया।
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इससे पूर्व दाखिल एक जनहित याचिका पर भी हाईकोर्ट की ग्रीष्मकालीन बेंच में न्यायमूर्ति अरुण टंडन ने मुख्य सचिव को मामले की जांच का आदेश दिया था। साथ ही कहा था कि यदि रामवीर सिंह यादव अध्यक्ष होने की योग्यता नहीं रखते हैं तो उनको पद से हटाया जाए। प्रदेश सरकार इस आदेश को लेकर बुरी तरह से घिर गई थी। यही वजह थी कि जुलाई में हाईकोर्ट खुलने पर मुख्य न्यायाधीश के समक्ष संशोधन याचिका दाखिल की गई। कोर्ट ने आदेश संशोधित करते हुए स्पष्ट किया कि रामवीर सिंह यादव के काम करने पर कोई रोक नहीं है। सरकार को जवाब दाखिल करने का समय देते हुए पीआईएल पर चार अगस्त को सुनवाई की तिथि नियत की है। याची के अधिवक्ता आलोक मिश्र के मुताबिक डॉ. केके शाही की याचिका पर प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया कि इस याचिका को भी पूर्व में दाखिल जनहित याचिका के साथ संबद्ध करके सुना जाए। मगर कोर्ट ने उनकी प्रार्थना अस्वीकार करते हुए 21 जुलाई तक जवाब दाखिल करने को कहा है। उल्लेखनीय है कि आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति को योग्यता के आधार पर चुनौती दी गई है। अध्यक्ष या सदस्य केपद पर सचिव स्तर का आईएएस अधिकारी, कुलपति या शिक्षा के क्षेत्र का नामचीन व्यक्ति ही नियुक्त किया जा सकता है। मगर प्रदेश सरकार ने इन मानकोें को दरकिनार करते हुए अयोग्य व्यक्ति को सदस्य नियुक्त किया फिर कार्यवाहक अध्यक्ष भी बना दिया।
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