बस्ते का बोझ कम करने और एनसीसी ट्रेनिंग पर राज्य तैयार
नई दिल्ली। स्कूली बच्चों पर बस्ते का बोझ कम करने और नेशनल कैडेट कोर यानी एनसीसी ट्रेनिंग को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने को लेकर राज्य सरकार तैयार हैं।
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से बस्ते का बोझ कम करने के तरीके सुझाने के लिए कहा है। साथ ही तमिलनाडु और कर्नाटक के मॉडल को अपनाने पर भी मंत्रालय ने जोर दिया है। इस मॉडल के तहत रिफरेंस यानी अतिरिक्त किताबें और कंप्यूटर या टैबलेट के जरिए पढ़ाई करने के तौर तरीकों पर जोर दिया गया है। वहीं राज्यों को एनसीसी ट्रेनिंग को स्कूली पाठ्यक्रम में अतिरिक्त पाठ्यक्रम क्रियाकलाप के तौर पर शामिल करने को लेकर राज्य सरकारों से रोडमैप मांगा गया है। साथ ही मंत्रालय ने स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की वापसी, सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने और तकनीकी शिक्षा को लेकर तीन उप समितियां गठित की है। इनमें राज्यों के शिक्षा मंत्रियों को शामिल किया गया है। वहीं अध्यापकों की नियुक्तियों को लेकर राज्यों के साथ अक्तूबर में बैठक करने की बात कही गई है।
स्कूल छोड़ने वाले बच्चों को वापस लाने को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उप समिति बनाई है। यह समिति मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की अध्यक्षता में गठित की गई है। इनमें त्रिपुरा, मध्य प्रदेश, हरियाणा के शिक्षा मंत्रियों के अलावा राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और मंत्रालय के अधिकारी शामिल होंगे। सरकारी स्कूलों में बच्चों के नतीजों को बेहतर बनाने और बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने के लिए उप समिति बनाई है। साथ ही कौशल विकास को लेकर भी मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री रामशंकर कठेरिया की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। इन समितियों में राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि जिन राज्यों ने नई शिक्षा नीति को लेकर अपने सुझाव नहीं भेजे है, उन्हें जल्द ऐसा करने को कहा गया है ताकि दिसंबर तक नई शिक्षा नीति का मसौदा सामने आ जाए। कांग्रेस शासित राज्यों के शिक्षा का भगवाकरण के आरोपों पर ईरानी ने कहा कि उन्हें सभी राज्यों से सहयोग मिला है। ज्यादातर मुद्दों पर आम सहमति देखी गई है। उनके सामने किसी ने विरोध नहीं किया। वहीं शिक्षा के अधिकार का दायरा बढ़ाने को लेकर ईरानी ने कहा कि पिछली सरकार ने इसे लेकर उप समिति बनाई थी। इस समिति का काम पूरा नहीं हुआ। इसलिए आम सहमति बनी है कि इस समिति का पुनर्गठन हो।
अध्यापकों की नियुक्तियों को लेकर राज्यों के साथ अक्तूबर में होगी बैठक
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केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से बस्ते का बोझ कम करने के तरीके सुझाने के लिए कहा है। साथ ही तमिलनाडु और कर्नाटक के मॉडल को अपनाने पर भी मंत्रालय ने जोर दिया है। इस मॉडल के तहत रिफरेंस यानी अतिरिक्त किताबें और कंप्यूटर या टैबलेट के जरिए पढ़ाई करने के तौर तरीकों पर जोर दिया गया है। वहीं राज्यों को एनसीसी ट्रेनिंग को स्कूली पाठ्यक्रम में अतिरिक्त पाठ्यक्रम क्रियाकलाप के तौर पर शामिल करने को लेकर राज्य सरकारों से रोडमैप मांगा गया है। साथ ही मंत्रालय ने स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की वापसी, सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने और तकनीकी शिक्षा को लेकर तीन उप समितियां गठित की है। इनमें राज्यों के शिक्षा मंत्रियों को शामिल किया गया है। वहीं अध्यापकों की नियुक्तियों को लेकर राज्यों के साथ अक्तूबर में बैठक करने की बात कही गई है।
स्कूल छोड़ने वाले बच्चों को वापस लाने को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उप समिति बनाई है। यह समिति मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की अध्यक्षता में गठित की गई है। इनमें त्रिपुरा, मध्य प्रदेश, हरियाणा के शिक्षा मंत्रियों के अलावा राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और मंत्रालय के अधिकारी शामिल होंगे। सरकारी स्कूलों में बच्चों के नतीजों को बेहतर बनाने और बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने के लिए उप समिति बनाई है। साथ ही कौशल विकास को लेकर भी मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री रामशंकर कठेरिया की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। इन समितियों में राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि जिन राज्यों ने नई शिक्षा नीति को लेकर अपने सुझाव नहीं भेजे है, उन्हें जल्द ऐसा करने को कहा गया है ताकि दिसंबर तक नई शिक्षा नीति का मसौदा सामने आ जाए। कांग्रेस शासित राज्यों के शिक्षा का भगवाकरण के आरोपों पर ईरानी ने कहा कि उन्हें सभी राज्यों से सहयोग मिला है। ज्यादातर मुद्दों पर आम सहमति देखी गई है। उनके सामने किसी ने विरोध नहीं किया। वहीं शिक्षा के अधिकार का दायरा बढ़ाने को लेकर ईरानी ने कहा कि पिछली सरकार ने इसे लेकर उप समिति बनाई थी। इस समिति का काम पूरा नहीं हुआ। इसलिए आम सहमति बनी है कि इस समिति का पुनर्गठन हो।
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