72825 Teacher Recruitment Latest News:
परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती शुरू होने के 14 वर्ष बाद भी 10 हजार से अधिक टीईटी उत्तीर्ण बेरोजगार अभ्यर्थी आज तक नियुक्ति की प्रतीक्षा कर रहे हैं। 30 नवंबर 2011 को जारी हुए विज्ञापन के बाद यह भर्ती लगातार कानूनी विवादों में उलझी रही।
सुप्रीम कोर्ट के 2017 के फैसले के बाद भी नहीं मिली राहत
लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने अपना अंतिम फैसला सुनाते हुए 66655 नियुक्तियों को सुरक्षित कर दिया था। इसके बावजूद, कटऑफ से अधिक अंक प्राप्त करने वाले हजारों योग्य अभ्यर्थी नियुक्ति से वंचित रह गए।
अवमानना याचिकाओं से फिर जगी उम्मीद
नियुक्ति से वंचित अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिकाएं दाखिल कीं। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने ऐसे सभी अभ्यर्थियों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए, जिन्हें कटऑफ से अधिक अंक मिलने के बावजूद नौकरी नहीं मिली।
जो अभ्यर्थी पहले याचिकाएं दाखिल नहीं कर पाए थे, उन्हें 16 दिसंबर तक नाम जुड़वाने का अवसर दिया गया।
एक सप्ताह में जुड़े 14 हजार नाम, फिर भी 10 हजार से अधिक वंचित
25 जुलाई 2017 से पूर्व याचिकाकर्ता रहे और वर्तमान अवमानना याचिका में शामिल अभ्यर्थियों की संख्या लगभग 1000 थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद एक सप्ताह के भीतर लगभग 14 हजार अभ्यर्थियों ने अपना नाम जुड़वाया।
हालांकि कुछ नाम दो-तीन बार दर्ज हो जाने के बावजूद यह स्पष्ट हुआ है कि अब भी 10 हजार से अधिक ऐसे अभ्यर्थी हैं, जिन्होंने कटऑफ से अधिक अंक प्राप्त किए थे, फिर भी उन्हें नियुक्ति नहीं मिली।
अब सुप्रीम कोर्ट ने नोडल अधिवक्ताओं को नया डेटा स्वीकार न करने का निर्देश दे दिया है।
72825 शिक्षक भर्ती की अगली सुनवाई कब?
इस महत्वपूर्ण मामले में सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 22 जनवरी 2026 को दोपहर 2 बजे निर्धारित की गई है।
आरटीई एक्ट के बाद पहली भर्ती, इसलिए मामला अहम
जानकारों के अनुसार, यह भर्ती जुलाई 2011 में आरटीई एक्ट लागू होने के बाद उत्तर प्रदेश की पहली बड़ी शिक्षक भर्ती थी। बीते 8 वर्षों से न्याय के लिए संघर्ष कर रहे टीईटी उत्तीर्ण बेरोजगारों के लिए सुप्रीम कोर्ट का वर्तमान रुख एक उम्मीद की नई किरण माना जा रहा है।
निष्कर्ष (Conclusion)
72825 शिक्षक भर्ती मामला अब भी हजारों अभ्यर्थियों के भविष्य से जुड़ा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई से यह तय होगा कि वर्षों से नियुक्ति की प्रतीक्षा कर रहे योग्य अभ्यर्थियों को न्याय मिल पाएगा या नहीं। फिलहाल, संघर्षरत शिक्षकों में उम्मीद कायम है।