तदर्थ शिक्षकों को स्थायी होने के लिए करना होगा इंतजार
लखनऊ। सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में कार्यरत तदर्थ शिक्षकों को स्थायी करने का मामला एक बार फिर कैबिनेट मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। ऐसा तदर्थ शिक्षकों के संबंध में जारी शासनादेश व अध्यादेश को लेकर पेच फंसने के कारण करना पड़ रहा है। कैबिनेट मंजूरी के लिए प्रस्ताव में शासनादेश लिखकर भेजा गया था, लेकिन बैठक में इसे अध्यादेश कहते हुए आदेश दिया कि तदर्थ शिक्षकों को स्थायी करने के लिए उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम में संशोधन करना होगा।
इसलिए अध्यादेश के स्थान पर अब अधिनियम लाने के लिए कैबिनेट से प्रस्ताव मंजूर कराना अनिवार्य होगा। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इस संबंध में मुख्यमंत्री से अनुमति के लिए फाइल भेज दी है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद के अधीन सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में समय-समय पर तदर्थ शिक्षक नियुक्त किए गए हैं। शिक्षक संघ तदर्थ शिक्षकों को स्थायी करने की मांग सालों से करते रहे हैं। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने 7 अगस्त 1993 से 30 दिसंबर 2000 के बीच नियुक्ति इन शिक्षकों को स्थायी करने के लिए बीते 4 अगस्त को कैबिनेट से प्रस्ताव मंजूर कराया था। प्रस्ताव के मुताबिक शासनादेश जारी होने की तिथि से इन शिक्षकों को स्थायी करने की बात कही गई थी, लेकिन कैबिनेट ने प्रस्ताव को संशोधित करते हुए शासनादेश के स्थान पर अध्यादेश कर दिया। जानकारों की माने तो अध्यादेश तब लाया जाता है, जब विधान मंडल का सत्र न चल रहा हो। विधान मंडल का मानसून सत्र शुक्रवार से शुरू हो रहा है। इसलिए चयन बोर्ड अधिनियम में ंशोधन के लिए विधानमंडल में अब अधिनियम संशोधन का प्रस्ताव रखना होगा। इससे पहले इस संबंध में कैबिनेट से मंजूरी लेनी होगी। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए मुख्यमंत्री से अनुमति मांगी है। ऐसी स्थिति में तदर्थ शिक्षकों को अभी स्थायी होने के लिए थोड़ा और इंतजार करना होगा।
शासनादेश व अध्यादेश को लेकर फंसा पेच, कैबिनेट से मंजूरी के लिए फिर भेजा जाएगा प्रस्ताव
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लखनऊ। सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में कार्यरत तदर्थ शिक्षकों को स्थायी करने का मामला एक बार फिर कैबिनेट मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। ऐसा तदर्थ शिक्षकों के संबंध में जारी शासनादेश व अध्यादेश को लेकर पेच फंसने के कारण करना पड़ रहा है। कैबिनेट मंजूरी के लिए प्रस्ताव में शासनादेश लिखकर भेजा गया था, लेकिन बैठक में इसे अध्यादेश कहते हुए आदेश दिया कि तदर्थ शिक्षकों को स्थायी करने के लिए उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम में संशोधन करना होगा।
इसलिए अध्यादेश के स्थान पर अब अधिनियम लाने के लिए कैबिनेट से प्रस्ताव मंजूर कराना अनिवार्य होगा। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इस संबंध में मुख्यमंत्री से अनुमति के लिए फाइल भेज दी है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद के अधीन सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में समय-समय पर तदर्थ शिक्षक नियुक्त किए गए हैं। शिक्षक संघ तदर्थ शिक्षकों को स्थायी करने की मांग सालों से करते रहे हैं। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने 7 अगस्त 1993 से 30 दिसंबर 2000 के बीच नियुक्ति इन शिक्षकों को स्थायी करने के लिए बीते 4 अगस्त को कैबिनेट से प्रस्ताव मंजूर कराया था। प्रस्ताव के मुताबिक शासनादेश जारी होने की तिथि से इन शिक्षकों को स्थायी करने की बात कही गई थी, लेकिन कैबिनेट ने प्रस्ताव को संशोधित करते हुए शासनादेश के स्थान पर अध्यादेश कर दिया। जानकारों की माने तो अध्यादेश तब लाया जाता है, जब विधान मंडल का सत्र न चल रहा हो। विधान मंडल का मानसून सत्र शुक्रवार से शुरू हो रहा है। इसलिए चयन बोर्ड अधिनियम में ंशोधन के लिए विधानमंडल में अब अधिनियम संशोधन का प्रस्ताव रखना होगा। इससे पहले इस संबंध में कैबिनेट से मंजूरी लेनी होगी। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए मुख्यमंत्री से अनुमति मांगी है। ऐसी स्थिति में तदर्थ शिक्षकों को अभी स्थायी होने के लिए थोड़ा और इंतजार करना होगा।
शासनादेश व अध्यादेश को लेकर फंसा पेच, कैबिनेट से मंजूरी के लिए फिर भेजा जाएगा प्रस्ताव
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