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NCTE का काउंटर : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में शिक्षामित्र समायोजन मामले में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) द्वारा प्रस्तुत हलफनामे (short counter affidavit) दिनांक 07 दिसम्बर 2014 का क्रम से संक्षेप में विवरण
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने इस हलफनामे में अदालत द्वारा वांछित सवालो के जवाब निम्नवत दिए हैं:-
1- बिन्दु 4 में शिक्षामित्र योजना और इससे सम्बंधित सरकार के 26 मई 1999 के शासनादेश का हवाला देते हुए परिषद ने अदालत को सूचित किया कि प्रदेश सरकार ने इंटरमीडिएट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को शिक्षामित्र के रूप में 11 माह के अनुबंध पर रखा था।

2-बिन्दु 5 और 6 में परिषद ने साफ कहा कि शिक्षामित्रों का इंगेजमेंट छात्र अनुपात में प्रशिक्षित शिक्षको की कमी के उद्देश्य से किया गया।
ग्राम पंचायत स्तर पर गठित समिति जिसमे ग्राम प्रधान, प्रधानाध्यापक थे, की संस्तुति के पश्चात् इसे जिला स्तर पर गठित समिति जिसमे जिलाधिकारी अध्यक्ष थे, के अनुमोदन पश्चात् सेवा में अनुबंधित किया गया।
3- बिन्दु 7 और 8 में कहा गया कि सरकार ने आगे अनुबंध में लिये जाने हेतु प्रशिक्षित बीएड और अप्रशिक्षित स्नातक को भी उच्च वरीयता में स्थान रखा पर अनुबंध 11 महीने का ही रहा जिसे संतोषजनक पूरा होने पर आगे के 11 महीनो के लिए ही बढ़ाया जाता था।
4 -बिन्दु 9 में परिषद ने कहा सूचित किया कि राज्य सरकार ने 15 जून 2007 को आदेश जारी कर कहा कि इन्टर उत्तीर्ण शिक्षामित्रो को आगे की पढाई हेतु कोई अवकाश प्रदान नही किया जायेगा।
5- बिन्दु 10 जिसमे परिषद ने स्पष्ट किया है कि शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक में नियुक्ति पाने का कोई कानूनी अधिकार नही है।क्यूंकि इनका अनुबंध सिर्फ 11 महीने का है और कुछ अभ्यर्थियों के पास तो आवश्यक योग्यता भी नही जिससे ये शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करें।
6- बिन्दु 11 के अनुसार उ0प्र0 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लागू होने के पूर्व बीटीसी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को अधिनियम लागू होने के बाद शिक्षक पद पर नियुक्ति प्रदान नही की गयी है,यह कहकर कि आप शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण नही हैं,
जबकि अधिनियम लागू होने से पूर्व समान बैच के बीटीसी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को बिना शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण किये बिना ही शिक्षक पद पर नियुक्ति प्रदान की गयी है। इसे दो पैमाने में नही तौला जा सकता है, जबकि यह अधिनियम पूरे राष्ट्र में समान रूप से लागू है।
7.बिन्दु 12 और 13 में परिषद ने सूचित किया है कि सबसे पहले प्रदेश सरकार ने चेयरमैन,राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद को 03 जनवरी 2011 को निर्गत अपने पत्र में प्रार्थना की कि मध्य प्रदेश सरकार की भाँति उत्तर प्रदेश में भी अप्रशिक्षितों (शिक्षामित्रों) को प्रशिक्षण उपलब्ध कराएं।
आगे परिषद ने कहा कि उपरोक्त पत्र में यह स्पष्ट नही किया गया कि इन शिक्षामित्रों को या अप्रशिक्षित ही स्थायी करना था या फिर इनका अनुबंध कुछ विशेष समय के लिए था।
8.इसी बीच राष्ट्रपति की अनुमति 26 अगस्त 2009 के अनुसार देश में 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम सरकारी गजट में 27 अगस्त 2009 को प्रकाशित कर दिया गया।
9. परिषद ने बिंदु 15,16 और 17 में कहा कि उपरोक्त वर्णित अधिनियम के खण्ड 23 के उपखंड 1 में शिक्षक बनने हेतु आवश्यक न्यूनतम योग्यताओं को अधिसूचना के अंतर्गत जारी करने के लिए परिषद को 31 मार्च 2010 को अधिकृत किया।
परिषद ने उपरोक्त विषय पर अपनी अधिसूचना दिनांक 31 मार्च 2010 को सरकारी गजट के माध्यम से 05 अप्रैल 2010 को जारी किया गया। इसी के अनुसार परिषद ने अपनी अधिसूचना 23 अगस्त 2010 के अंतर्गत उपरोक्त वर्णित खण्ड और उपखण्डों को दृष्टिगत रखकर कक्षा 1 से 8 तक की कक्षाओं को पढ़ाने हेतु प्रशिक्षित शिक्षकों हेतु आवश्यक न्यूनतम योग्यताओं का वर्णन किया।
10. बिन्दु 18 और 19 में परिषद का कहना है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम मानव संसाधन विकास मंत्रालय,विधि मंत्रालय तथा अन्य के सलाह और सुझावों से ही योग्य शिक्षक की नियुक्तियों हेतु आवश्यक न्यूनतम योग्यताओं को तय किया गया।
खण्ड 23 के उपखंड 2 के अंतर्गत इन योग्यताओं में छूट का जिक्र किया गया है।जिसको परिषद ने अदालत को प्रमाण के साथ प्रस्तुत किया है।


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