७२,८२५ भर्ती खुद अपने ही मकड़जाल में उलझ चुकी है। इसको उलझाने वाले स्वयं
इसके रक्षक ही हैं, जब रक्षक ही भक्षक हो जायें तो फिर न्याय की गुजांइश
ही कहाँ रह जाती है।
शासन ने सुप्रीम कोर्ट में १२,०९१+३००० रिक्त पदों का डाटा सौंपा है, जबकि शासन को स्वयं इस बात की जानकारी नहीं हैं कि आखिर ७२,८२५ में इन्होंने कितने अभ्यर्थियों को ज्वाइनिंग दे दी है। दरअसल जिलों के बीएसए की जिम्मेदारी होती है कि भरे हुये पदों का डाटा शासन को सौंपे और शासन एनआईसी को वो डाटा पहुँचाये। पर बीएसए स्तर पर इतनी धांधली की गई है कि वो शासन को डाटा सौंपे तो कैसे? असल में उन्हें खुद ही नहीं मालूम कि उन्होंने कितने लोगों को भेंड़-बकरियो की तरह इस भर्ती में भर लिया है। कल की मीटिंग में जब निदेशक महोदय ने सभी बीएसए को याद दिलाया कि कोर्ट के आदेश के तहत डाटा ऑनलाइन करना है, तो सभी बीएसए सांसत में हैं कि अब क्या होगा? ऊपर से निदेशक महोदय का फरमान कि फर्जी अभ्यर्थी पाये गए तो बर्खास्तगी और कार्यवाही होगी। तो अब दो हफ्ते इन्हें डाटा सुधारने और अपनी जान बचाने में लगेंगे।
तो १२,०९१ पदों पर नियुक्ति की चाह रखने वालो अभी जनवरी तक तो कुछ खास होने वाला नही है। हां सभी बीएसए यदि सुप्रीम कोर्ट के डाटा ऑनलाइन के डर से फर्जियों को अलग करके डाटा देदें तो रिक्त पदों की संख्या जरूर बढ़ जायेगी। बाकी सब भगवान के हाथ में है।
फिलहाल अंदरखाने में बहुत उथल-पुथल मची हुई है। फर्जियों की और हालत खराब है, बलिया में १२ सीटों पर ६ फर्जी, कुशीनगर सैकड़ों फर्जी, हरदोई तकरीबन दो सैकड़ा फर्जी, लखीमपुर, बहराइच, ऐसे सभी जिले हैं जहाँ पर फर्जियों की की पूरी की पूरी लॉबी बाहर निकल रही है। ऐसे तमाम जिले हैं जिन्होंने कभी भी चयनितो की सूची अपने जिले की एनआईसी पर नहीं दी। हद तो जब होती है जब इनसे जानकारी माँगी जाती है तो इन अधिकारियों के गुर्गे रिवॉल्वर तक जानकारी मांगने वाले के ऊपर तान देते है। ऐसे हालात में पीड़ित न्याय की आशा करे किससे? कहने को तो आरटीआई एक माध्यम है सूचना प्राप्त करने का पर सूचना देने वाला है कौन यही हरामखोर?????
सो भगवान पर भरोसा रखे और कि इस जंगलराज में आपको आपका हक मिल सके।ताज़ा खबरें - प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
शासन ने सुप्रीम कोर्ट में १२,०९१+३००० रिक्त पदों का डाटा सौंपा है, जबकि शासन को स्वयं इस बात की जानकारी नहीं हैं कि आखिर ७२,८२५ में इन्होंने कितने अभ्यर्थियों को ज्वाइनिंग दे दी है। दरअसल जिलों के बीएसए की जिम्मेदारी होती है कि भरे हुये पदों का डाटा शासन को सौंपे और शासन एनआईसी को वो डाटा पहुँचाये। पर बीएसए स्तर पर इतनी धांधली की गई है कि वो शासन को डाटा सौंपे तो कैसे? असल में उन्हें खुद ही नहीं मालूम कि उन्होंने कितने लोगों को भेंड़-बकरियो की तरह इस भर्ती में भर लिया है। कल की मीटिंग में जब निदेशक महोदय ने सभी बीएसए को याद दिलाया कि कोर्ट के आदेश के तहत डाटा ऑनलाइन करना है, तो सभी बीएसए सांसत में हैं कि अब क्या होगा? ऊपर से निदेशक महोदय का फरमान कि फर्जी अभ्यर्थी पाये गए तो बर्खास्तगी और कार्यवाही होगी। तो अब दो हफ्ते इन्हें डाटा सुधारने और अपनी जान बचाने में लगेंगे।
तो १२,०९१ पदों पर नियुक्ति की चाह रखने वालो अभी जनवरी तक तो कुछ खास होने वाला नही है। हां सभी बीएसए यदि सुप्रीम कोर्ट के डाटा ऑनलाइन के डर से फर्जियों को अलग करके डाटा देदें तो रिक्त पदों की संख्या जरूर बढ़ जायेगी। बाकी सब भगवान के हाथ में है।
फिलहाल अंदरखाने में बहुत उथल-पुथल मची हुई है। फर्जियों की और हालत खराब है, बलिया में १२ सीटों पर ६ फर्जी, कुशीनगर सैकड़ों फर्जी, हरदोई तकरीबन दो सैकड़ा फर्जी, लखीमपुर, बहराइच, ऐसे सभी जिले हैं जहाँ पर फर्जियों की की पूरी की पूरी लॉबी बाहर निकल रही है। ऐसे तमाम जिले हैं जिन्होंने कभी भी चयनितो की सूची अपने जिले की एनआईसी पर नहीं दी। हद तो जब होती है जब इनसे जानकारी माँगी जाती है तो इन अधिकारियों के गुर्गे रिवॉल्वर तक जानकारी मांगने वाले के ऊपर तान देते है। ऐसे हालात में पीड़ित न्याय की आशा करे किससे? कहने को तो आरटीआई एक माध्यम है सूचना प्राप्त करने का पर सूचना देने वाला है कौन यही हरामखोर?????
सो भगवान पर भरोसा रखे और कि इस जंगलराज में आपको आपका हक मिल सके।ताज़ा खबरें - प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC