गोण्डा , शिक्षक भर्ती में शामिल 72825 पदों को शत-प्रतिशत भरने के लिए नया प्रयोग
किया जा रहा है। रिक्त पदों के सापेक्ष वेटिंग लिस्ट तैयार कर नियुक्ति
प्रक्रिया पूरी होगी। इसके लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद के निदेशक ने
प्रदेशभर के डायट प्राचार्यो व जिला बेसिक शिक्षाधिकारियों को आदेश जारी
किया है।
एक साल से चल रही भर्ती प्रक्रिया में अभी भी सूबे भर में 12 हजार से अधिक पद रिक्त हैं। ज्यादातर शिक्षामित्रों के कोटे के हैं। निदेशक ने कोटे में योग्य अभ्यर्थी न मिलने पर प्रतिक्षा सूची के आधार पर नियुक्ति पूरी करने का निर्देश दिया है। बीएसए डॉ. फतेह बहादुर सिंह ने बताया कि नए निर्देशों के तहत नियुक्ति की कार्रवाई पूरी की जाएगी।
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एक साल से चल रही भर्ती प्रक्रिया में अभी भी सूबे भर में 12 हजार से अधिक पद रिक्त हैं। ज्यादातर शिक्षामित्रों के कोटे के हैं। निदेशक ने कोटे में योग्य अभ्यर्थी न मिलने पर प्रतिक्षा सूची के आधार पर नियुक्ति पूरी करने का निर्देश दिया है। बीएसए डॉ. फतेह बहादुर सिंह ने बताया कि नए निर्देशों के तहत नियुक्ति की कार्रवाई पूरी की जाएगी।
नवम्बर 2011
में 72825 पद पर नियुक्ति के लिए प्रक्रिया शुरू हुई। सरकार बदलने के साथ
ही नियमों में बदलाव से चार साल तक भर्ती फंसी रही। सुप्रीम कोर्ट के कड़े
रुख के बाद बीते साल जनवरी माह से भर्ती में तेजी आई। 9 चरणों की काउंसलिंग
के बाद भी 12 हजार से अधिक पद रिक्त होने पर शासन की जवाबदेही बढ़ती चली
गई। सभी पदों पर भर्ती की कार्रवाई पूरा करने के लिए शासन ने कोटे के पदों
को मेरिट के आधार पर भरने का फामरूला निकाला है। निदेशक की ओर से जारी
निर्देश में कहा गया है कि प्रशिक्षु शिक्षक चयन 2011 में रिक्त पदों पर
शिक्षामित्रों की रिक्त रह गई सीटों को जोड़ा जाए। इसके अतिरिक्त विशेष
आरक्षण श्रेणी के तहत आरक्षित पदों को भी शामिल करते हुए प्रतीक्षा सूची
तैयार की जाए। प्रतीक्षा सूची में सम्मिलित अन्य वर्गो के योग्य
अभ्यर्थियों से रिक्त सीटों को भरा जाए। इस निर्देश के बाद नियुक्ति
प्रक्रिया में रिक्त पदों के जल्द भरने की उम्मीद जगी है।
फर्जी नियुक्ति न होने का देना है प्रमाण :
शिक्षक भर्ती में कई जिलों में फर्जीवाड़े का भी खुलासा हुआ है। जिले में भी एक भर्ती निरस्त की गई है। इन खुलासों से शासन ने सतर्कता बढ़ा दी है। प्रतीक्षा सूची के आधार पर होने वाली भर्ती के पहले सभी जिलों से इस बात का प्रमाण मांगा गया है कि उनके जिले में कोई नियुक्ति फर्जी नहीं हुई है। इसके साथ ही भर्ती के दौरान विशेष सतर्कता बरतने का निर्देश दिया गया है। प्रतीक्षा सूची के आधार पर जल्द से जल्द भर्तियों को पूरी करने की हिदायत के साथ ही रिपोर्ट भी मांगी गई है।
सत्यापन ही लेट तो कैसे सच आए सामने :
प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती में तो तेजी दिखाई जा रही है लेकिन इनके अभिलेखों के सत्यापन में ढिलाई से सच सामने नहीं आ रहा है। बड़े पैमाने पर सत्यापन के लिए ढिलाई बरती जा रही है। अगस्त माह में ही कई जिलों में सत्यापन के लिए पत्र तो भेजे गए लेकिन बोर्ड व विश्वविद्यालयों से सत्यापन की रिपोर्ट नहीं आ रही। महत्वपूर्ण यह है कि कुछ देर प्रदेशों के विश्वविद्यालयों व बोर्डो के साथ ही सीबीएसई बोर्ड को भेजा गया सत्यापन वहां के नियमों के विपरीत है। इसके चलते भी सत्यापन फंसा है। सत्यापन पूरा होने पर ही भर्ती में अभिलेखों की सच्चई सामने आएगी। लेकिन अधिकारियों की ढिलाई सच पर पर्दा डाले हैं।
फर्जी नियुक्ति न होने का देना है प्रमाण :
शिक्षक भर्ती में कई जिलों में फर्जीवाड़े का भी खुलासा हुआ है। जिले में भी एक भर्ती निरस्त की गई है। इन खुलासों से शासन ने सतर्कता बढ़ा दी है। प्रतीक्षा सूची के आधार पर होने वाली भर्ती के पहले सभी जिलों से इस बात का प्रमाण मांगा गया है कि उनके जिले में कोई नियुक्ति फर्जी नहीं हुई है। इसके साथ ही भर्ती के दौरान विशेष सतर्कता बरतने का निर्देश दिया गया है। प्रतीक्षा सूची के आधार पर जल्द से जल्द भर्तियों को पूरी करने की हिदायत के साथ ही रिपोर्ट भी मांगी गई है।
सत्यापन ही लेट तो कैसे सच आए सामने :
प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती में तो तेजी दिखाई जा रही है लेकिन इनके अभिलेखों के सत्यापन में ढिलाई से सच सामने नहीं आ रहा है। बड़े पैमाने पर सत्यापन के लिए ढिलाई बरती जा रही है। अगस्त माह में ही कई जिलों में सत्यापन के लिए पत्र तो भेजे गए लेकिन बोर्ड व विश्वविद्यालयों से सत्यापन की रिपोर्ट नहीं आ रही। महत्वपूर्ण यह है कि कुछ देर प्रदेशों के विश्वविद्यालयों व बोर्डो के साथ ही सीबीएसई बोर्ड को भेजा गया सत्यापन वहां के नियमों के विपरीत है। इसके चलते भी सत्यापन फंसा है। सत्यापन पूरा होने पर ही भर्ती में अभिलेखों की सच्चई सामने आएगी। लेकिन अधिकारियों की ढिलाई सच पर पर्दा डाले हैं।
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