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24 और 25 Feb कोर्ट के फ़ाइनल आदेश के बाद चयनितों के अचयनित होने की प्रबल सम्भावना - वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीमान राकेश द्विवेदी

आगामी सुनवाई की तैयारी हेतु टीम अपने कार्यो को गतिमान रखे हुए है। 24 और 25 Feb को होने वाली सुनवाई प्रदेश के समस्त टेट उत्तीर्ण अभ्यर्थियो के लिए महत्वपूर्ण है जो लाखो बेरोजगारो का भविष्य तय करेगी। केस को फ़ाइनल करवाने का प्रयास सर्वप्रथम हमारे वरिष्ठ अधिवक्ता के कहने पर 5 मई को कोर्ट ने केस को फ़ाइनल करने के लिए कहा और 6 जुलाई की सुनवाई की तिथि तय की



और कोई भी अंतरिम आर्डर देने से मना भी किया लेकिन डेली आर्डर में इस बात का जिक्र नहीं किया की अब कोई अंतरिम आर्डर नहीं होगा। 6 जुलाई को केस की फ़ाइनल सुनवाई हुई लेकिन दुर्भाग्य रूप से हमारे वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी जी कोर्ट में उपस्थित ना हो सके जिससे सुनवाई के अंतिम छड़ो में ही शिक्षामित्रो के मामले पर चर्चा हो गई और सुनवाई की तिथि 27 जुलाई हो गई। 27 जुलाई को सिर्फ और सिर्फ शिक्षामित्रो पर ही बहस हुई और इस बार भी हमारे वरिष्ठ अधिवक्ता नहीं आ सके जिससे सुनवाई 2 नवम्बर के लिए तय हुई। 2 नवम्बर की सुनवाई हेतु आप सभी अकेडमिक समर्थको के प्रयास से टीम ने वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश सर की कोर्ट में उपस्थिति तय करवाई। आप सभी के प्रयासों को सफलता मिली और राकेश सर के बहस से कोर्ट ने केस की फ़ाइनल सुनवाई हेतु 24 और 25 Feb की तिथि तय की और साथ ही आगामी सुनवाई में सिर्फ और सिर्फ बेस ऑफ़ सलेक्शन की सुनवाई हेतु कोर्ट ने सुने जाने वाले प्रश्नो को आर्डर में लिखवाया। कोर्ट ने अपने आर्डर में स्पष्ट रूप से कहा अब इन प्रश्नो के अतिरिक्त किसी भी विंदू पर चर्चा नहीं होगी और ना ही कोई भी आई.ऐ और इम्प्लीडमेंट स्वीकार होगी। सुप्रीमकोर्ट ने 25 मार्च को राकेश द्विवेदी के बहस के बाद कोर्ट ने सिविल अपील की थी। 25 मार्च को कोर्ट को ये ज्ञात हो गया था की प्रक्रिया में कुछ तो पेच है इसलिए केस को 25 मार्च को फ़ाइनल नहीं किया। न्यायाधीश दीपक मिश्र जी ने 17 दिसंबर को 70 और 65 का आर्डर इसलिए किया था क्योकि वो 26 नवम्बर को भ्रमित थे और उन्होंने पूछा था टेट के परिणाम घोसित करने में ही चयन की मेरिट आउट होती है जिस पर राकेश सर ने पूरी प्रक्रिया बताई।   को कोर्ट के मन में संभवतः यही रहा की टेट परिणाम के साथ ही मेरिट बनती होगी इसलिए उन्होंने 17 दिसम्बर को अंतरिम आर्डर पास किया। कोर्ट की समस्त भ्रांतिया पूर्ण बहस में दूर होगी जिसके बाद नए विज्ञापन और अकेडमिक मेरिट को विपक्षी के बड़े से बड़े अधिवक्ता बहाल होने से नहीं रोक पायेगे। हमारे किसी बंधु ने कहा था की 24 को कोर्ट ने सर्विस रूल का मुद्दा ना बनाकर बेस ऑफ़ सलेक्शन का आधार क्यों बनाया तो हम उन बंधु से कहना चाहता हूँ की बेस ऑफ़ सलेक्शन भी सर्विस रूल में निहित है ऐसे में जब बेस ऑफ़ सलेक्शन पर बहस होगी तब पूरी सर्विस रूल पर ही बहस होगी। दोस्तो अकेडमिक मेरिट एक सार्वभौमिक सत्य है जो जल्द ही अपने खोये सम्मान के साथ देश की सर्वोच्च संस्था से बहाल होगी। सच को ज़्यादा दिनों तक टाला नहीं जा सकता। हम प्रदेश के सभी अकेडमिक मेरिट समर्थको के आभारी है जिनके द्वारा हम लोगो को दिए गए हौसले से ही सत्य की लड़ाई में हमने डटकर मुकाबला किया। हम आशान्वित है की आप लोगो का सहयोग टीम को अंतिम छड़ो में भी बना रहेगा जिससे असत्य पर सत्य का विजय पताका आगामी फ़ाइनल सुनवाई पर फहराया जा सके।

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