राज्य ब्यूरो, लखनऊ : राज्य सरकार अशासकीय सहायताप्राप्त (एडेड)
महाविद्यालयों में पिछले 25 वर्षो से ज्यादा समय से नियुक्त तदर्थ शिक्षकों
को विनियमित करेगी। इसके लिए उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग
अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी देने की तैयारी है।
विनियमित होने पर ऐसे शिक्षकों को सुनिश्चित वित्तीय स्तरोन्नयन (एसीपी), पेंशन, जीपीएफ आदि लाभ मिल सकेंगे।
शिक्षकों की कमी से जूझ रहे एडेड महाविद्यालयों में तदर्थ आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। तदर्थ शिक्षकों के विनियमितीकरण के लिए उप्र उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग अधिनियम की धारा-31 में व्यवस्था की गई है। इस व्यवस्था के तहत तदर्थ आधार पर नियुक्त किये गए शिक्षकों के विनियमितीकरण का प्रावधान तो है लेकिन तीन जनवरी 1984 से 22 जनवरी 1991 तक महाविद्यालयों में मौलिक रिक्ति न होने के कारण इस समयावधि में नियुक्त तदर्थ शिक्षकों का विनियमितीकरण नहीं हो सका। इन तदर्थ शिक्षकों को विनियमित करने के उद्देश्य से शासन ने चार फरवरी 2009 को समिति गठित की थी। समिति ने पाया कि तत्कालीन शैक्षिक योग्यता और मौलिक पद की उपलब्धता के आधार पर तदर्थ शिक्षकों के विनियमितीकरण के लिए अधिनियम की धारा-31(ग) को संशोधित करना जरूरी है। किन्हीं कारणों से यह मामला अटका रहा लेकिन अब शासन स्तर पर तदर्थ शिक्षकों को विनियमित किये जाने पर सहमति बनने के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने इस बाबत प्रस्ताव तैयार किया है।
प्रस्ताव में उप्र उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की धारा-31(ग) में संशोधन प्रस्तावित है कि तदर्थ शिक्षकों को उसी विभाग में उसी संवर्ग व श्रेणी की मौलिक रिक्ति उपलब्ध होने तक विनियमित किया जा सकता है। इस प्रस्ताव को कार्मिक, न्याय और वित्त विभाग की मंजूरी मिल चुकी है। विभागीय मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के लिए प्रस्तुत करने की मंजूरी दे दी है।
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प्रस्ताव में उप्र उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की धारा-31(ग) में संशोधन प्रस्तावित है कि तदर्थ शिक्षकों को उसी विभाग में उसी संवर्ग व श्रेणी की मौलिक रिक्ति उपलब्ध होने तक विनियमित किया जा सकता है। इस प्रस्ताव को कार्मिक, न्याय और वित्त विभाग की मंजूरी मिल चुकी है। विभागीय मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के लिए प्रस्तुत करने की मंजूरी दे दी है।
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