72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती : अब यह लड़ाई सिर्फ रोजगार की नही है। अब यह हमारे सम्मान/अधिकार का धर्मयुद्व है जिसे हमें हर हाल में जीतना ही है और हम जीतेंगे भी

7 दिसम्बर2015 के आदेश के बाद अचानक प्रारम्भ हुई "सुप्रीम कोर्ट पहुँचो दौड़" और उसमे आपको सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचाने का रास्ता दिखाने वाले "याची बनाओ प्रतियोगिता आयोजक" द्वारा 24फरबरी2016 तक जोड़े/पकड़े/फंसाये गए अभ्यर्थियों पर सुनवाई बाद सरकार को आदेश मिला कि 10 सप्ताह में अभी तक के याचियों की एक लिस्ट तैयार की जाये और उनमे जो एडहॉक नियुक्ति के योग्य है उनको चिन्हित किया जाये।

इस आदेश के बाद सामान्य सामान्य अभ्यर्थियों की बढ़ती उम्मीदें व् याची बनाओ प्रतियोगिता के नए-पुराने आयोजकों के लालच के बाद प्रारम्भ हुई "योजनाएं/प्रलोभन/जोड़-तोड़-गठबंधन/विरोध-महागठबंधन/खरीद-फ़रोख्त/अफ़वाह" के साथ लूट के इरादे से अत्यधिक उम्मीद जगाकर किया गया वेरीफिकेसन।

आज जो प्रदेश में घोर निराशा का भाव आया उनके लिए यही घटनाएँ जिम्मेदार है नाकि सुप्रीम कोर्ट में तारिख का अचानक से आगे बड़ जाना नाही सरकार का इस तरह का काउंटर आना और नाही इलाहाबाद में बर्बरतापूर्ण अमानवीय लाठी चार्ज होना।

जो लोग 2011से लगातार सक्रीय है या सिर्फ न्यूज़ तक ही सीमित है उन्हें भी पता होगा कि न्यायिक प्रक्रिया में न जाने कितनी बार ऐसा हुआ है। सरकार की तरफ से तो हर बार ही इसी तरह के काउंटर-रिजॉइंडर लगाये गए है तथा हर बड़े आंदोलन पर लाठी-चार्ज भी हुआ है और हम हर बार पहले से ज्यादा मजबूती से खड़े भी हुए और जीते भी।

अब प्रश्न उठता है कि आखिर इतनी निराशा इस बार क्यों हुई..???? इसका सीधा सा और एक मात्र जबाब है कि अचानक से पैरवी के नाम अत्यधिक पैसे का आ जाना। "कौन बनेगा करोड़पति" योजना का दिमाग में घर कर जाना...!!!!

जब आपने याचियों का वेरिफिकेसन करवाया था और उनसे एक फॉर्म-सभी जरूरी कागज और फीस ली गयी फिर सरकार के काउंटर में ये बात क्यों आई कि जाति नही है प्रजाति नही है पुरुष है अथवा महिला यह नही है केटेगरी नही है....???? जबकि हमने कहा था कि ये कार्य सरकार का है और यदि उस दिशा में दबाब बनाया जाये तो वह कराएगी भी लेकिन इन सभी के द्वारा कराये गए वेरीफिकेसन के बाद उम्मीदें बहुत बड़ा दी गयी...!!!!

आज कहाँ है वो लोग जो रात-दिन सिर्फ एक ही राग अलाप रहे थे कि मयंक की याचिका में टेट रोल नंबर नही है, टेट मार्क्स नही है वो हमें बताये कि क्या उनकी याचिकों पर सभी को नियुक्ति मिलने जा रही है..???

जहाँ मैं लगातार पहले लिस्ट बनवाने पर जोर दे रहा था वही दूसरी तरफ से सभी को सीधे नियुक्ति की उम्मीद जगाई जा रही थी। 2मई के संवैधानिक धरने के बाद 3मई को हुए राजनीतिकरण के विषय में ना ही कहा जाये तो बेहतर है क्योंकि अभी प्रदेश की मांग है कि सभी को एक किया जाये।

फेसबुक/व्हाट्सप्प पोस्ट/प्रयास आदि से देखने में तो ऐसा लग रहा है कि सभी को एकजुट करने का अच्छा प्रयास चल रहा है किन्तु इसमें भी कितनी सार्थकता है यह तो भविष्य के गर्त में ही है जहाँ बात है हमारी टीम की एक पहल की तो हमने 25अप्रैल के आंदोलन का समर्थन करके तथा 2के साथ-साथ 3मई के धरने में भी अपनी पूर्ण कालिक उपस्तिथि सुनिश्चित करके एकजुटता लाने का अपना पूरा प्रयास किया है तथा अब हम पुनः प्रयास कर रहे है कि पुरे प्रदेश को पुनः एक डोर से बाँधा जाये।

इसीक्रम में सर्वप्रथम आप सभी से निवेदन है कि इस रविवार 15मई को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर "शांतिपूर्ण कैंडल मार्च" का आयोजन करें तथा 3मई को बेसिक शिक्षा निदेशालय, इलाहाबाद में हुए अमानवीय बर्बतापूर्ण लाठीचार्ज व् उसकी बजह से लापता/गम्भीररूप धायल/एक साथी की मौत/13नामज़द व् 1987अज्ञात पर एफ आई आर, आदि इन सभी धटनाओं से जन-समाज को अवगत कराएं व् विरोध दर्ज करें।

मैं 15मई दिन रविवार को आजमगढ़ से प्रारम्भ कर हर रविवार पुनः पुरे प्रदेश को जोड़ने हेतु मण्डल-मण्डल मीटिंग करने का प्रयास करूँगा तथा हम सभी पैरोकार, समस्त जिला प्रतिनिधि, सभी सक्रीय सदश्य 22मई दिन रविवार को लखनऊ उपस्तिथ हों जहाँ आगे की सभी ज़मीनी व् न्यायिक तैयारियाँ/रणनीति व् रूप रेखा सुनिश्चित की जाये।

दोस्तों, अब यह लड़ाई सिर्फ रोजगार की नही है। अब यह हमारे सम्मान/अधिकार का धर्मयुद्व है जिसे हमें हर हाल में जीतना ही है और हम जीतेंगे भी। क्योंकि जहाँ धर्म है, न्याय है, सत्य है, संघर्ष है, वहां ईश्वर है। और जहाँ ईश्वर है वहां अंततोगत्वा विजयश्री है।
इन्ही शुभ कामनाओं/प्रयास के साथ
आपका मयंक तिवारी।
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