एनसीटीई से शिक्षामित्रों को राहत : एनसीटीई द्वारा "कैटेगरीज ऑफ़
टीचर्स" के तहत शिक्षामित्रों को अप्रशिक्षित अध्यापक जून 2010 में ही मान
लिया था। और इस बात के प्रमाण मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के प्रमाणिक
दस्तावेज़ों में मौजूद हैं। और दस्तावेज हमने आरटीआई 2005 के अधिकार का
उपयोग कर हासिल किये हैं।
जैसा कि पिछले पोस्ट में हमने बताया था कि:- एमएचआरडी के अतिरिक्त सचिव और खुद एनसीटीई ने उत्तर प्रदेश के मामले 23 अगस्त 2010 के मूल नोटिफिकेशन 2010 में ही शिक्षामित्रों पर टेट अर्हता लागू न होने का प्राविधान किया गया है स्पष्ट करते हुए हुए अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को प्रस्तुत की। इस सम्बन्ध में एमएचआरडी की 2011 की बैठक में एनसीटीई और एमएचआरडी द्वारा ये कहा गया:-
"एनसीटीई रेगुलेशन 23 अगस्त 2010 के अनुसार 3 सितंबर 2001 के दिनांक से नियुक्त शिक्षकों, संशोधित एनसीटीई शिक्षक योग्यता हासिल करने की जरूरत नहीं है। यह अनुमान लगाया गया है 6.70 लाख देश में अप्रशिक्षित शिक्षकों में से उत्तर प्रदेश (1.24 लाख) में बड़ी संख्या में हैं। सभी राज्यों के अप्रशिक्षित शिक्षकों के प्रति एनसीटीई रेगुलेशन 2001 के रूप में शैक्षणिक और व्यावसायिक योग्यता की आवश्यकता होती है । यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि सर्व शिक्षा अभियान के अप्रशिक्षित शिक्षकों के प्रशिक्षण का समर्थन एनसीटीई करता है।2011 में एमएचआरडी व् एनसीटीई के स्पष्टीकरण के बाद वर्तमान राज्य सरकार द्वारा पुनः स्पष्टीकरण माँगा जिस पर एनसीटीई द्वारा 26 ओक्टूबर 2015 को दुबारा वही बात दोहराई गई। और इस बार ये भी साफ लिखा की शिक्षामित्रों को टेट देने की ज़रूरत नहीं है। अब बात करते हैं एनसीटीई के विभिन्न संशोधनों की जिन में पहला संशोधन 2010 में दूसरा 2011 में इस तरह वर्ष 2015 का नोटिफिकेशन भी जारी किया जा चुका है।
यहाँ ये उल्लेखनीय है कि एसएम के लिए 12 अक्टूबर 2011 को एनसीटीई अधिनियम में संसद से संशोधन पारित किया गया और 1 जून 2012 को इसे लागू किया गया।
हमारे पास उपलब्ध दस्तावेजों सें ये साफ होता है कि एनसीटीई एक्ट 1993 में ये संशोधन शिक्षामित्रों को अप्रशिक्षित अध्यापकों की श्रेणी में लाने के लिए ही किया गया।
तो फिर एनसीटीई ने हाई कोर्ट में ऐसा काउंटर क्यों फ़ाइल किया ये अगली पोस्ट में.....
नोट:-ये सब साक्ष्य हमारे पास उपलब्ध हैं जिन्हें हम कोर्ट के समक्ष रखेंगे।
★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।।
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जैसा कि पिछले पोस्ट में हमने बताया था कि:- एमएचआरडी के अतिरिक्त सचिव और खुद एनसीटीई ने उत्तर प्रदेश के मामले 23 अगस्त 2010 के मूल नोटिफिकेशन 2010 में ही शिक्षामित्रों पर टेट अर्हता लागू न होने का प्राविधान किया गया है स्पष्ट करते हुए हुए अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को प्रस्तुत की। इस सम्बन्ध में एमएचआरडी की 2011 की बैठक में एनसीटीई और एमएचआरडी द्वारा ये कहा गया:-
"एनसीटीई रेगुलेशन 23 अगस्त 2010 के अनुसार 3 सितंबर 2001 के दिनांक से नियुक्त शिक्षकों, संशोधित एनसीटीई शिक्षक योग्यता हासिल करने की जरूरत नहीं है। यह अनुमान लगाया गया है 6.70 लाख देश में अप्रशिक्षित शिक्षकों में से उत्तर प्रदेश (1.24 लाख) में बड़ी संख्या में हैं। सभी राज्यों के अप्रशिक्षित शिक्षकों के प्रति एनसीटीई रेगुलेशन 2001 के रूप में शैक्षणिक और व्यावसायिक योग्यता की आवश्यकता होती है । यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि सर्व शिक्षा अभियान के अप्रशिक्षित शिक्षकों के प्रशिक्षण का समर्थन एनसीटीई करता है।2011 में एमएचआरडी व् एनसीटीई के स्पष्टीकरण के बाद वर्तमान राज्य सरकार द्वारा पुनः स्पष्टीकरण माँगा जिस पर एनसीटीई द्वारा 26 ओक्टूबर 2015 को दुबारा वही बात दोहराई गई। और इस बार ये भी साफ लिखा की शिक्षामित्रों को टेट देने की ज़रूरत नहीं है। अब बात करते हैं एनसीटीई के विभिन्न संशोधनों की जिन में पहला संशोधन 2010 में दूसरा 2011 में इस तरह वर्ष 2015 का नोटिफिकेशन भी जारी किया जा चुका है।
यहाँ ये उल्लेखनीय है कि एसएम के लिए 12 अक्टूबर 2011 को एनसीटीई अधिनियम में संसद से संशोधन पारित किया गया और 1 जून 2012 को इसे लागू किया गया।
हमारे पास उपलब्ध दस्तावेजों सें ये साफ होता है कि एनसीटीई एक्ट 1993 में ये संशोधन शिक्षामित्रों को अप्रशिक्षित अध्यापकों की श्रेणी में लाने के लिए ही किया गया।
तो फिर एनसीटीई ने हाई कोर्ट में ऐसा काउंटर क्यों फ़ाइल किया ये अगली पोस्ट में.....
नोट:-ये सब साक्ष्य हमारे पास उपलब्ध हैं जिन्हें हम कोर्ट के समक्ष रखेंगे।
★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।।
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