Ticker

6/recent/ticker-posts

Ad Code

तबादलों में देरी : सरकार ने बेसिक शिक्षकों के अंतरजनपदीय स्थानांतरण की घोषणा तो कर दी, लेकिन इस पर अमल अब तक नहीं

तबादलों में देरी : जब सरकार तबादलों को लेकर गंभीर ही नहीं थी, तो फिर इसकी चर्चा ही क्यों छेड़ी? तबादलों में देरी : प्रदेश सरकार ने बेसिक शिक्षकों के अंतरजनपदीय स्थानांतरण की घोषणा तो कर दी, लेकिन इस पर अमल अब तक नहीं हो पाया है।
यदि अब यह प्रक्रिया शुरू हुई तो पढ़ाई पर असर पड़ना तय है। दरअसल, शिक्षकों के हजारों रिक्त पदों के लिए कई वर्ष से चल रही भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद बड़ी संख्या में नियुक्तियां हुईं। इन नियुक्तियों का आधार ऐसा था कि लोग कोई संशय नहीं चाहते थे, इसलिए चयनित अभ्यर्थियों ने उन जिलों में पद ग्रहण कर लिए जहां ज्यादा स्थान रिक्त थे। नियुक्ति पाकर लोगों की सरकारी नौकरी पाने की मंशा तो पूरी हो गई, लेकिन उनका अपने जिले में तैनाती का ख्वाब अधूरा ही रहा। पिछले दिनों सरकार ने शिक्षकों के अंतरजनपदीय तबादलों की चर्चा छेड़ी तो शिक्षकों की उम्मीदें हिलोरें मारने लगीं। बेसिक शिक्षा परिषद ने इस संबंध में अपना प्रस्ताव सरकार को अप्रैल में ही भेज दिया था, लेकिन सरकार ने तबादलों को लेकर जून के पहले पखवारे तक कोई पहल नहीं की है। नया शिक्षण सत्र शुरू होने में अब महज एक पखवारा शेष है। स्वाभाविक है कि इतने दिनों में नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकती लिहाजा पढ़ाई पर असर तय है।
सवाल है कि जब सरकार तबादलों को लेकर गंभीर ही नहीं थी, तो फिर इसकी चर्चा ही क्यों छेड़ी। प्राथमिक शिक्षकों की उम्मीदें अपनी जगह हैं। लंबे अर्से से सरकार की नीति प्राथमिक शिक्षकों की तैनाती उनके गृहजिलों में ही करने की रही है। ऐसे में नई नौकरी पाए शिक्षकों की ख्वाहिश स्वाभाविक ही है। यह बात दीगर है कि शिक्षकों से भी कम वेतन पाने वाले तमाम कर्मी गैर जिलों में काम करते हैं और वह घर जाने की किसी मंशा के कायल भी नहीं होते। ऐसे में सरकार को स्पष्ट नीति बनानी चाहिए और समय से उचित निर्णय भी जरूरी है। प्राथमिक शिक्षा का हाल किसी से छिपा नहीं। शिक्षकों के स्कूल न आने और आने के बावजूद भी पढ़ाई पर ध्यान न देने संबंधी शिकायतें आम हैं। ऐसे में बीच सत्र तबादला कार्यक्रम पढ़ाई की बचीखुची उम्मीद पर भी पानी फेरने वाला है। शिक्षकों को भी ध्यान देना चाहिए कि वे ईमानदारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन कर देश के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं। स्थितियां बदल रही हैं और उदासीनता के दिन लदने में अब देर नहीं। ऐसे में सुविधाएं तो ठीक पर कर्तव्य निर्वहन में उदासीनता संकट जरूर खड़ा कर सकती है।
null
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines

latest updates

latest updates