Blog Editor : 72825 Bharti : हम अचयनित है और ये हमारे भविष्य से ज्यादा हमारे सम्मान की लड़ाई

आप देख रहे होंगे कि फेसबुक पर स्वयं को श्रेष्ठ साबित करने और उसके आधार पर सपने बेचने की अब हद हो गयी है कभी कभी तो पढ़ कर लगता है कि इन महान लोगो की याचिकाएं ही इतनी बड़ी है कि उन पर नातो पैर्विकर्ताओं की आवश्यकता है और ना ही वरिष्ट अधिवक्ताओं की।
शायद यही कारण है कि 27 जुलाई की इतनी महत्वपूर्ण सुनवाई पर ना तो 167 के चारों पैर्विकर्ता सुप्रीम कोर्ट में थे ना ही कोई सीनियर।
आखिर हम सभी बेरोजगारों की जिंदगी उन्होंने 167में क़ैद या सुरक्षित कर दी है और ख़ुद की दूसरों के सीनियर एडवोकेट की मजबूत पैरवी से मिली एडहॉक बचाने में लगे हुए है।
दोस्तों, आज कुछ विशेष याचिकाओं के बारे में बात करता हूँ। सबसे पहले नंबर लगाते है 167का। ये जब फ़ाइल की गयी तब पूरा एक नाम को सहयोग करता था। आज वो इसको अपना कहते है, अब मानसिकता के बारे में क्या कहें आप सब खुद समझदार हो। और इनसे सबसे बड़ा डर इस बात का है कि ये महत्वपूर्ण मौकों पर सीनियर के बिना ही पहुँचते है या एडवोकेट भी नही होता बस याचिकाओं। जैसेकि 7दिसम्बर15 को किया और 27जुलाई16 को भी यही कारण था इनसे पूरा प्रदेश अलग हुआ।
अब बात करते है मयंक टीम द्वारा फ़ाइल की गयी याचिका 244की। यह एक मात्र याचिका है जो सबसे ज्यादा अपडेट है। 167से अतिरक्त इसमें 12सितम्बर15 का चंद्रचूड़ जी का 91पेज का शानदार आदेश लगा है। सभी नोटिस व् काउंटर को लगाया गया है। RTEएक्ट लागु करवाने में जिस याचिका का महत्वपूर्ण योगदान था WP (C) 631/2004 उसके आदेशों से भी यह परिपूर्ण है इसके अतिरिक्त 7दिसम्बर का याची लाभ तथा 24फरबरी का आदेश भी इस याचिका में एनेक्सर बनाया गया है और यही कारण था जब वरिष्ठतम अधिवक्ता अनिल बी दीवान जी के समक्ष हमने 244 और हिमांशु के चेम्बर की नवीनतम याचिका को रखा तो उन्होंने 244को चुना और बेहतर बताया।
हमें ये सब लिखने की आवश्यकता नही थी लेकिन जब कुछ लोगों ने अति कर दी तब लिखना पड़ा। हम वैसे भी सिर्फ काम पर ध्यान देना चाहते है क्योंकि ये लोग जो आज याचिका याचिका कर रहे है और जब डेट बिना सुने ही आगे बड़ जाती है तो बोलते है ये न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है। ऐसे ही एक दिन अगर हम सब की जिंदगी कोई गलत फैसला लिख जायेगा ये उस दिन भी पहले गायब रहेंगे फिर बोल देंगे कि ये तो न्यायिक प्रकिया का एक हिस्सा है। इन लोगो के पास अब खोने के लिए कुछ नही है और इन्हें जितना पाना था ये उससे ज्यादा पा चुके है। अब सिर्फ हमारे जीवन से खिलवाड़ कर रहे है, यदि ये अचयनितों के वास्तव में हितैसी होते तो आज खुद को श्रेष्ठ और दूसरे सभी को कमतर आंकने के बजाए सुप्रीम कोर्ट में पैरवी को लेकर काम कर रहे होते।
ख़ैर हर व्यक्ति अपनी परिस्तिथि के हिसाब से काम करता है जिसके पास जॉब है वो उसे बचाने और पैसे है तो भी उन्हें ज्यादा से ज्यादा बचाने का ही सोचता है। हम अचयनित है और ये हमारे भविष्य से ज्यादा हमारे सम्मान की लड़ाई है और हम इसे एक टीम के रूप में बिना किसी नेम फेम के लड़ रहे है और अंत तक लड़ेंगे। ऐसे में जो फेसबुक की पोस्ट में अपना भविष्य तलास रहा है वो यहीं तलासता रहे हम अपना हर सम्भव प्रयास करेंगे और हमें खुसी इस बात की है कि हमारा नेतृत्व भी उस हाथ में है जिसने चाहे खर्च करने में या चाहे ज़मीन पर अपनी जिंदगी दावँ पर लगाने में कोई कमी नही छोड़ी है।
दोस्तों, अब वो समय है जब सभी को अपना मजबूत काम करना है बाकि सब ऊपर वाले पर छोड़ देना है ये वो समय नही जब मेरी तेरी की जाये। हमारे इस संघर्ष में जो साथ आना चाहते है वो साथ आ सकते है।
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