अगर समायोजन संभव हुआ तो ये न्यू ऐड की जबरदस्त लड़ाई के कारण ही संभव होगा ।याची राहत भी एकेडेमिक टीम की देन है पर इसका लाभ उठाने केलिए लोगों ने पूरी दुकानें सजा ली

आज़ कल फेसबुक पे अकेडमिक समर्थको की पोस्ट पढता हूँ तो ये एहसास होता है की टीम की तरफ़ से पोस्ट न आने केकारण लोग काफी गुस्से और तनाव में आकर अभद्र शब्दो का प्रयोग कर रहे है की अकेडमिक टीम लगातार पोस्ट क्योंनही डालती तो मैं सबसे पहले आप लोगों से माफी चाहता हूँ की मैं चाहकर भी अपनी व्यक्तिगत समस्या के कारण पोस्ट नही लिख पा रहा था लेकिन ईश्वर के आशीर्वाद सेअब मेरी समस्या समाप्त हो चुकी है
इसलिये अब जब तक केस का अंतिम निर्णय होने तक अब सोसल मीडिया पे लगातार उपलब्ध रहूंगादोस्तो कुछ दिनो से देख रहा हूँ फेसबुक पे कुछ ज्यादा ही बाद विवाद हो रहा है कुछ लोग खूब लम्बी लम्बी कानूनी पोस्ट लिख रहे है लेकिन दुख की बात ये है इनके वकील कोर्ट में 2लाइन भी नही बोल पाते है अगर इनकेवकील जितनी लम्बी लम्बी ये पोस्ट लिखते है उतना बोल देते तो केस का अंतिम निर्णय 2साल पहले ही हो चुका होता इसलिये मेरी नजरो में इन कानूनी पोस्टों का कोई महत्व नही है24 फरवरी से सुनवाई नही हो रही है डेट पे डेट मिल रहा है लोग निराश हताश और परेशान है उनकी परेशानी को समझने की जगह कुछ लोग उनका मानसिक उत्पीड़न कर रहे है की कुछ नही होगा ऐसा ही मानसिक उत्पीड़न हम लोगों का भी 7 दिसम्बर से पहले होता था लेकिन हम लोग कोशिश करते रहे और परिणाम आप सब देख रहे है इसलिये कोई निराशऔर हताश न हो7 दिसम्बर के बाद जितने लोग भी याची बने है उन सबसे कहूँगा जिस तरह मेरे समझाने के बाद भी बिना सोचे समझे किसी भी टीम से जो याची बनो हो आज़ उसी का परिणाम है जो आपका आर्थिक शारीरिक मानसिक शोषण हो रहा है अबआप जिस टीम से याची बने हो उनसे पूछिये केस मेरिट बेस पे सुना जायेगा तो वे क्या बहस करेंगे उनका पक्ष क्या होगा ?7दिसम्बर के बाद जब सभी टीमें रिज़र्व गाड़ी करके पुरे प्रदेश को याची राहत दिलाने की गारंटी दे रहे थे तब मैं रोज़ पोस्ट डालकर कहता था याची बनना जॉब की गारंटी नही है इसलिये जो भी याची बने काफी सोच समझकर बने और तब लोगों ने मेरी बात को गम्भीरता से नही लिया और ये भी नही सोचा की मैं ऐसा क्यों कह रहा हूँआज़ 1100 याचीयो का स्पष्ट आदेश होने के बाद भी 862 लोग ही जॉब पाये है बचे हुये 238 लोग जॉब नही पाये और आदेश हुए 8 महीने से ज्यादा हो गये है जब अभी तक बचे हुए याची लोगों को सरकार स्पष्ट आदेश के बाद जॉब नही दे रही है तो आगे उसकी मानसिकता समझी जा सकती हैपुरे प्रदेश में याची बनाने के लिये लोगों ने ऐसे ऐसे सपने दिखाये की लोग याची बनना जॉब की गारंटी समझने लगे और आज़ अगर वो मानसिक रूप से परेशान है तो इसका सीधा सीधा जिम्मेदार वे नेता लोग है जिन लोगों ने इनको बड़े बड़े सपने वादे दिखायेमेरी 7दिसम्बर के बाद जितनी भी पोस्ट है सब उठाकर देख लीजिये मैंने अपने प्रत्येक पोस्ट में लिखा है आप याची बने ना बने लेकिन जिनका अकेडमिक अच्छा हो वो नये बिज्ञापन की बहाली के लिये टीम से जुड़े क्योंकि याचीबनना जॉब की गारंटी नही है किन्तु नये विज्ञापन की बहाली होने पे आपका चयन पक्का हैकुछ दिन से शलभ तिवारी जी की पोस्ट पढ़ रहा हूँ आज़ कल वो याचीयो के हितैषी बनने का नाटक कर रहे है जो सच्चे टेट मेरिट समर्थको का नही हुआ वो याचीयो का क्या होगादरअसल ये भी मेरिट बेस पे बहस होने के कारण अवसाद में आ गये हैमैं भी अचयनित हूँ मैं भी अचयनित हूँ की रट्ट लगाने वाले अरशद से भी पूछे जब तुम 7दिसम्बर से पहले के याची हो तो तुमको जॉब क्यों नही मिली जब तुम याची होते हुई भी याची राहत का जॉब नही पा सके तो किस आधार परलोगों को याची बनाये और किस आधार पे उनको जॉब दिलाने के नाम पे याची बनायेठाकुर साहब के किसी याची को राहत नही मिला है अरशद इनकी IA में याची था और आज़ वो अचयनित है ठाकुर साहब से एक बार मेरी बहस हुई थी तो इन्होने लिखा ठाकुर अपने रहते गद्दारो की नियुक्ति कैसे होने देता और आज़ कल इन दोनो श्रीमान लोगों में खूब विवाद चल रहा है इनके साथ याची बने लोग ठाकुर साहब से पूछिये 7 दिसम्बर के पहले के याचीयो को जॉब दिला तो दिला न सके नये यचीयो को जॉब समायोजन क्या खाक दिला पावोगेशलभ तिवारी जी जब से जज महोदय ने केस को मेरिट पे सुनने को कहाँ है तब से आप कुछ जयादा ही फ़ड़फ़ड़ा रहे है औरआप चाहते है की सब का ध्यान मेरिट बेस से हटाकर याची राहत की तरफ़ कर दूँ और मोर्चे की रणनीति को सफल कर दूँ तो सुन लीजिये जब आप टेट मेरिट के समर्थको के नही हुए याचीयो के क्या होंगेमुझे नये विज्ञापन की बहाली के अलावा ना कुछ दिखाई देता है और ना ही सुनाई देता है इसलिये जितने भी नये विज्ञापन समर्थक है वो ध्यान रखे जिस तरह मजबुत पैरवी और संघर्षके के कारण आज़ तक टीम यहाँ पहुँची है वो सिर्फ कड़ी मेहनत और धैर्य के कारण ही सम्भव हैजो लोग आज़ सुनवाई नही होने के कारण मानसिक रूप से परेशान हो रहे है उनसे कहूँगा वो थोड़ा पीछे जाये और याद करे ऐसा ही हाईकोर्ट में हो रहा था डेट लगता था तो महापात्रा जी केस नही सुनते थे तब अंशुल मिश्रा जी ने क्या किया था सभी लोग राष्ट्रपति प्रधानमंत्री चीफ जस्टिस महोदय को पत्र लिखे और न्याय न मिलने पे इच्छा मृत्यु की माँग करेकुछ लोग सुप्रीम कोर्ट में सेटिंग का रोना रो रहे है उनसे कहूँगा अगर सुप्रीम कोर्ट में सेटिंग होतीं तो टाटा बिड़ला अम्बानी और कई करोड़पतियों पे चलने वाले केस का कोई डेट नही लगता25 मार्च 20147 दिसम्बर 2015 को जारी हुए अलग अलग हुए अंतरिम आदेश का पालन अभी तक नही हुआ है ईश्वर से प्रार्थना करिये की अब अंतरिम आदेश न होकर अंतिम फैसला हो जायेसभी दोस्तो से निवेदन है वो धैर्य रखे और कोशिश करते रहे इंसान जब मंजिल के करीब होता है तो ज्यादा निराश होता है इसलिये निराश होने की जगह पत्र लिखना शुरू करे और तब तक लिखते रहिये जब तक आप लोगों के पत्र को संज्ञान में लेकर फाइनल ऑर्डर नही किया जातादोस्तो आज़ मैं आप लोगों को विश्वाश दिलाता अब मैं पूर्व की भाँति ही इस संघर्ष में आप के साथ मिलकर कोशिश करने को तैयार हूँ क्योंकि सबको पता है कोशिश करने वालो की हार नही होतीं1
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