NCTE या MHRD ने शिक्षा मित्रों को दे दी है टेट से छूट : हिमांशु राणा

ये न्यूज़ परेशानी का कारण नहीं होनी चाहिए वैसे तो ऐसा है नहीं लेकिन फ़र्ज़ करो अगर ऐसा हो गया तो कौन कौन जेल जाएगा क्यूँकि उपरोक्त उल्लेखित दोनो संस्थाएँ ही माननीय उच्च न्यायालय में हलफ़नामा लगाए हैं जिसमें इस प्रकार की किसी भी प्रकार की छूट से इंकार किया गया था
और यहाँ तक कह दिया गया था दोनो संस्थाओं के द्वारा कि उनसे तथ्य छिपाकर (कि शिक्षा मित्र अंट्रेंड अध्यापक हैं) इस असंवैधानिक और अवैध कार्य को अंजाम दिया गया है और माननीय सर्वोच्च न्यायालय भी 7 decemeber 2015 को साफ़ कह चुकी है कि हाईकोर्ट की सभी फ़ाइल यहाँ लाओ क्यूँकि कहीं न कहीं माननीय न्यायाधीश भी जानते हैं कि मामला राजनैतिक है तो कहीं सरकारों के खेल में शिक्षा के अधिकार अधिनियम - 2009 से खिलवाड़ न हो जाए क्यूँकि वे स्वयं कॉंट्रैक्ट के अध्यापकों को शिक्षा के शत्रु कह चुके हैं |
RTE act - 2009 के सेक्शन 38(3) में साफ़ उल्लेखित है कि किसी भी प्रकार से एक्ट में किसी भी प्रकार के मॉडिफ़िकेशन को लेकर संसद के दोनो सदनों से उस मॉडिफ़िकेशन को पारित कराना होगा तभी सम्भव है और अगर वो मॉडिफ़िकेशन किसी के भी हित को प्रभावित करता है तो उसे article 32 में सीधे माननीय सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दे सकता है जैसे collagium वाले केस में हुआ था और उस मॉडिफ़िकेशन को दरकीनार कर दिया गया था |

अब आप स्वयं समझदार है कि हाईकोर्ट में टेट से छूट को दरकीनार करने वाली संस्थाएँ कैसे अब हलफ़नामे को झुटला सकती हैं?
एक मुद्दा और है इनकी ट्रेनिंग का -
यहाँ थोड़ा सा शिक्षा मित्रों को टेट मोर्चे के अतश्री शिव कुमार पाठक का शुक्रिया करना चाहिए जिन्होंने बीटीसी वालों को खरे साहब के हाथों लूटवाया और खरे साहब जिस याचिका 28004/2011 पर खड़े हुए थे वो पूर्ण पीठ के आदेश में उल्लेखित ही नहीं है और ट्रेनिंग पर जब आदेश अलग से आया कि इस याचिका पर कोई अधिवक्ता नहीं खड़ा था तो भी पैरविकारों ने उस पर खरे साहब को खड़ा करके रिव्यू में जाने तक की नहीं सोची वो तो भला हो कि हमने एमपी सिंह की याचिका जो लखनऊ में सड़ रही थी और दुर्भाग्यवश उसमें मैं वादी था में direction एप्लिकेशन डालकर सुधार करने की कोशिश की और पाठक के नापाक इरादों को (ट्रेनिंग बचाने के) उसी अप्लिकेशन के साथ माननीय सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जो कि अभी दिल्ली में विचाराधीन है |
एकल पीठ के आदेश और संजय सिन्हा जी के द्वारा 1995 के किसी जीओ को आधार बनाकर पत्राचार बीटीसी = रेग्युलर बीटीसी करार देने के मुद्दे पर वरिष्ठ एओआर अमित पवन जी से विस्तृत चर्चा हुई जसी पर उन्होंने साफ़ किया कि जब हम Slp civil (cc) 1621-22/2016 Himanshu Rana Vs State of UP & oths etc etc ... में हम इनकी ट्रेनिंग के साथ साथ direction एप्लिकेशन के द्वारा इनके टेट को भी चैलेंज कर चुके हैं तो कोई दिक़्क़त नहीं अब शिक्षा मित्रों को लेकर जो भी होना है दिल्ली में तय होना है हाँ आरटीआई के माध्यम से पता कर लो कि कितने शिक्षा मित्र अब तक टेट उत्तीर्ण करके नौकरी कर रहे हैं बाद में काम आएगा आप लोगों के लिए क्यूँकि वो पद भी तो लेने होंगे |
फ़िलहाल 1995 के जिस जीओ को संजय सिन्हा साहब आधार बना रहे हैं उसके संदर्भ में बता दूँ 1995 का हाई एनसीटीई के एक जीओ आपसे साझा किया था एक दिन जिसमें साफ़ था कि इनकी बीटीसी अध्यापक बनने के लिए नहीं है और जब एनसीटीई 2009 act के appendix 9 के अनुसार ट्रेनिंग की अनुमति केवल कार्यरत/सेवरात/अंट्रेंड आदि category के अध्यापकों को है और एनसीटीई के साथ-साथ हाई कोर्ट भी अपने observations में इन्हे संविदा कर्मी कह चुका है तो अब कहाँ से ये स्वयं को सिद्ध कर पाएँगे appendix 9 के जैसे?
इसके अलावा 1995 के केंद्र सरकार के जीओ जिसको मैंने आपसे साझा किया था में उल्लेखित है कि पत्राचार बीटीसी भी ऐसी संस्था से हो जो यूजीसी के मापदंडों के अनुसार हो जबकि इनकी ट्रेनिंग समस्त नियमों को तांक पर रखकर scert से कराई गई और ट्रेनिंग सभी के लिए नहीं अपितु इस समूह (समाजवादी चीतों) विशेष के लिए ही थी जो कि अनुच्छेद 14 का खुला उल्लंघन है |
शिक्षा मित्रों का मामला अब पूरी तरह से पैक है दिल्ली में बस दरकार है तो पूरी तरह से सुनवाई की जो कि अब जल्दी ही होगी, धैर्य का परिचय दे क्यूँकि आप क़ानूनन जितने शक्तिशाली है वहीं विरोधी केवल दया की गुहार लगाएगा लेकिन वो ये भूल रहे हैं हिंदुस्तान में फ़ैसले न्याय पर होते हैं जो कि मिश्रा सर के शब्दों में ही कहें तो बहुत हाई निष्ठुर होता है एक हँसेगा तो एक एक की आँख में आँसू होंगे |
धन्यवाद
हर हर महादेव
आपका कार्यकर्ता
हिमांशु राणा
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines

No comments:

Post a Comment

Nhật xét mới nhất

Comments