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शिक्षकों की अनदेखी की यह इंतहा , ढाई लाख शिक्षक लाभ से वंचित

वर्षो से स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों की अनदेखी की यह इंतहा है। हाईस्कूल एवं इंटर वित्तविहीन कालेजों के शिक्षकों को सरकार मानों ‘भीख’ देने जा रही है। इन्हें प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत संविदा
शिक्षकों से भी कमतर आंका गया है।
यही वजह है कि उन्हें शिक्षामित्र, रसोईयां एवं शारीरिक शिक्षकों से भी कम मानदेय मिल सकेगा। माध्यमिक कालेजों के शिक्षकों को मजदूरों की दिहाड़ी से काफी कम प्रोत्साहन राशि वितरित किए जाने के निर्देश हुए हैं। इससे वित्तविहीन शिक्षक संगठन खफा हैं।1प्रदेश सरकार ने वित्तविहीन हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट कालेजों में पढ़ा रहे शिक्षकों को मानदेय देने का एलान किया था।
शिक्षकों को उम्मीद थी कि इस कदम से उनकी मुफलिस जिंदगी संवर सकेगी, क्योंकि अध्यापक की योग्यता रखने के बाद भी वित्तविहीन कालेजों में उन्हें मासिक भुगतान काफी कम मिल रहा है। चार वर्ष इंतजार के बाद सरकार ने मानदेय के बजाय प्रोत्साहन राशि तय की, लेकिन मिलने वाली धनराशि देखकर वह अवाक रह गए हैं। दरअसल, इधर प्रदेश सरकार शिक्षामित्र, रसोईयां एवं अन्य सभी विभागों में कार्यरत संविदा कर्मियों को इतना धन दे रही है कि उनका जीविकोपार्जन हो सके, लेकिन प्रोत्साहन राशि अब तक दी जानी वाली सबसे कम धनराशि है। इसकी वजह यह है कि सरकार ने शिक्षकों की योग्यता एवं सेवा का मूल्यांकन करने के बजाए तय बजट को सभी अर्ह शिक्षकों को बांटने में ही तत्परता दिखाई है।1प्रोत्साहन राशि तय किए जाने के नियम भी तुगलकी हैं। इसमें कहा गया कि यह राशि उन्हीं को मिलेगी, जो शिक्षक 2010 से नियमित रूप से वित्तविहीन कालेजों में पढ़ा रहे हो, साथ ही उस कालेज के कम से कम 50 बच्चे यूपी बोर्ड की परीक्षा में बैठते आए हों, यानी छह वर्ष की अनवरत सेवा करने वालों को प्रतिदिन का भुगतान पचास रुपये के इर्द-गिर्द ही है। 1यही नहीं एक कालेज में प्रधानाध्यापक के अलावा छह शिक्षकों को ही प्रोत्साहन दिया जाना है, जबकि उम्दा वित्तविहीन कालेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की तादाद काफी अधिक है। सरकार केवल एक लाख 92 हजार शिक्षकों को प्रोत्साहन राशि देने जा रही है और करीब ढाई लाख शिक्षक लाभ से वंचित हो गए हैं।

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