आप सभी लोगो को 22 की हियरिंग का बहुत बेसब्री से इन्तजार होगा और होना भी चाहिए चूंकि जज साहब ने केस को फाइनल करने को बोला है तो बेचैनी और भी बढ़ गई है।
अब बात करते है याचियों की जो हर तारीख में कोर्ट के फैसले की राह देखता है लेकिन निराशा ही मिलती है क्योंकि जज साहब भांग खा कर बैठते है तो उनको कुछ समझ नही आता इसलिए डेट डेट करते है।
और टेट मोर्चा के वकील भी अपनी बातो को जिनके लिए वकीलो ने हम बेरोजगार याचियों का पैसा लिया है जज से नही कह पाते या यु कहे की सहूर नही है।
सही भी है क्योंकि बिना पैसे के कोई वकील तो होगा नही।
चलो मानी तुम्हारी बात किन्तु पैसा कितना चाहिए और अभी कितना शेष है ये जानना क्या उन याचियों का हक़ नही है जिन्होंने पैसे दिए है।
एक बात और जो याची नेता ये कहते है की हम बहुत मेहनत करते है हर जिले में भाग भाग के मीटिंग करते है तो उनके लिए केवल इतना कहूँगा की पैसे खुद के लगते तो कही भागने की हिम्मत ना होती।
कुल मिलाकर पैसे की महिमा है। लेकिन पैसे लेकर भी अगर कोई ईमानदारी से काम ना करे तो ये उसके खून में मिलावट जैसा है। पैसा देने के लिए कोई याची मना नही करेगा पर विश्वाश खो देने के बाद बहुत मुश्किल होता है।
अगर हिसाब मांग ले कोई तो आँखे क्यों दिखाते हो साहब जैसा की फतेहपुर की मीटिंग में हुआ।
शिक्षामित्रो ने वकील बहुत बड़े बड़े किये है और पेमेंट भी कर दिया गया है उनके द्वारा ये ना बताओ हम याचियों को क्योंकि आपको भी पता है की उन्हें सैलेरी मिलती है और वो हर तारीख पर 1000 का सहयोग करते है और करेंगे किन्तु हम लोग बेरोजगार है इसलिए उतनी उम्मीद ना रखे किन्तु फिर भी अगर विशवास बनाये रखोगे तो मिलता रहेगा। अगर पैसे लूट लूट कर अपने अपने घर ना भर लिए होते तो आज हर याची खुद ही याची नेताओ को पैसे दे देता।
इस तरह इस बार पैसे के लिए हाथ न फैलाना पड़ता।
जब तक याची नेताओ के पास पैसा था तब ही कोई बड़ा और नामी वकील करके केस की सुनवाई कराते। अब जब हर याची बेरोजगार याची नेताओ के लूट से वाकिफ हो गया है तो बड़ा वकील करने के नाम पर पैसे मांगे जा रहे है।
अरे साहब आप सभी लोग एक साथ एक मंच पर क्यों नही आते हो क्यों नही एक अच्छा वकील करते हो क्यों नही एक दुसरे पर आरोप लगाना बंद करते हो।
22 की डेट के बाद कुछ बदलाव होगा याचियों में भी और याची नेताओ में भी।
मैं तो सच बोलता हु बुरे लोगो को बुरी लग जाएंगी।
साहिल गुप्ता (पत्रकार)
बीएड टेट संघर्स मोर्चा
फतेहपुर, उत्तर प्रदेश
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अब बात करते है याचियों की जो हर तारीख में कोर्ट के फैसले की राह देखता है लेकिन निराशा ही मिलती है क्योंकि जज साहब भांग खा कर बैठते है तो उनको कुछ समझ नही आता इसलिए डेट डेट करते है।
और टेट मोर्चा के वकील भी अपनी बातो को जिनके लिए वकीलो ने हम बेरोजगार याचियों का पैसा लिया है जज से नही कह पाते या यु कहे की सहूर नही है।
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सही भी है क्योंकि बिना पैसे के कोई वकील तो होगा नही।
चलो मानी तुम्हारी बात किन्तु पैसा कितना चाहिए और अभी कितना शेष है ये जानना क्या उन याचियों का हक़ नही है जिन्होंने पैसे दिए है।
एक बात और जो याची नेता ये कहते है की हम बहुत मेहनत करते है हर जिले में भाग भाग के मीटिंग करते है तो उनके लिए केवल इतना कहूँगा की पैसे खुद के लगते तो कही भागने की हिम्मत ना होती।
कुल मिलाकर पैसे की महिमा है। लेकिन पैसे लेकर भी अगर कोई ईमानदारी से काम ना करे तो ये उसके खून में मिलावट जैसा है। पैसा देने के लिए कोई याची मना नही करेगा पर विश्वाश खो देने के बाद बहुत मुश्किल होता है।
अगर हिसाब मांग ले कोई तो आँखे क्यों दिखाते हो साहब जैसा की फतेहपुर की मीटिंग में हुआ।
शिक्षामित्रो ने वकील बहुत बड़े बड़े किये है और पेमेंट भी कर दिया गया है उनके द्वारा ये ना बताओ हम याचियों को क्योंकि आपको भी पता है की उन्हें सैलेरी मिलती है और वो हर तारीख पर 1000 का सहयोग करते है और करेंगे किन्तु हम लोग बेरोजगार है इसलिए उतनी उम्मीद ना रखे किन्तु फिर भी अगर विशवास बनाये रखोगे तो मिलता रहेगा। अगर पैसे लूट लूट कर अपने अपने घर ना भर लिए होते तो आज हर याची खुद ही याची नेताओ को पैसे दे देता।
इस तरह इस बार पैसे के लिए हाथ न फैलाना पड़ता।
जब तक याची नेताओ के पास पैसा था तब ही कोई बड़ा और नामी वकील करके केस की सुनवाई कराते। अब जब हर याची बेरोजगार याची नेताओ के लूट से वाकिफ हो गया है तो बड़ा वकील करने के नाम पर पैसे मांगे जा रहे है।
अरे साहब आप सभी लोग एक साथ एक मंच पर क्यों नही आते हो क्यों नही एक अच्छा वकील करते हो क्यों नही एक दुसरे पर आरोप लगाना बंद करते हो।
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22 की डेट के बाद कुछ बदलाव होगा याचियों में भी और याची नेताओ में भी।
मैं तो सच बोलता हु बुरे लोगो को बुरी लग जाएंगी।
साहिल गुप्ता (पत्रकार)
बीएड टेट संघर्स मोर्चा
फतेहपुर, उत्तर प्रदेश
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