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72825 शिक्षक भर्ती : हम अपने लक्ष्य से मात्र एक पायदान दूर : दुर्गेश प्रताप सिंह

सर्वप्रथम मैं अपने समस्त साथियों व शुभचिंतकों को ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने निराशा के दौर में भी अपने सकारात्मक विचारधारा से मुझे व मेरी टीम को आर्थिक व मानसिक संबल प्रदान किया
व हमारा कंधे-से-कन्धा मिलाकर हरकदम साथ देते रहे हैं, जिसके फलस्वरूप हम निरंतर एवं तीव्रतम गति से सफलता अर्जित करते हुए आज हम अपने लक्ष्य से मात्र एक पायदान दूर खड़े हैं!
साथियों आपको विदित होगा कि
1. पिछले 05 वर्षों से हम सभी लोग वर्ष २०११ में विज्ञापित 72825 शिक्षक भर्ती के चयन विवाद (टेट मेरिट अथवा अकादमिक) में उलझे हुए थे! उस संघर्ष की अगुवाई कर रहे विचित्र प्राणियों ने अपने स्वार्थपूर्ति हेतु आपको निरंतर भ्रमित रखा, कई सारे छद्दम वेश्धारियों ने 100 के ऊपर मात्र ३२००० अभ्यर्थियों की पेड न्यूज़ निकलवाई तो किसी ने स्टाम्प पेपर में 100 तक अनारक्षित की मेरिट लाने की घोषणापत्र जारी की !
फिलहाल ७२८२५पदों के सापेक्ष चयन विवाद का संघर्ष अनवरत जारी रहा और विवाद उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय के गलियारे तक जा पहुचा!
2. ७२८२५ पदों हेतु संघर्ष की अगुवाई कर रहे विचित्र प्राणियों के वादाओं पर विश्वास करके सभी लोग इसी ७२८२५ पदों पर नियुक्ति के दिवास्वप्न पाल के बैठे हुए थे! जबकि अगुवाई करने वाले सभी नेतागण एवं स्वयं आप भी अवगत थे कि वर्ष २०११ टेट परीक्षा में 2.92 लाख(पात्र-अपात्र सहित) अभ्यर्थी उत्तीर्ण थे व 100 अंक से ऊपर 1.24 लाख अभ्यर्थी थे!
जबकि चयन मात्र ७२८२५ पदों पर होना था!
3. दि० 17 दिसम्बर 2014 को मा० सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित 97/105 के आदेश ने इस भर्ती की दशा व दिशा में आशातीत सकारात्मक परिवर्तन किया! परन्तु आदेश के स्पष्ट न होने की वजह से इस असामाज्वादी सरकार ने ७२८२५ पदों की सीमा में कोई विस्तार नहीं किया!
4. दि० 25 फरवरी 2015 की सुनवाई की पुर्व संध्या पर प्रदेश भर में उपजे विभिन्न संकीर्ण मानसिकतावादी गुटों ने हमारी टीम (हिमांशु, दुर्गेश, जीतेन्द्र व अमित) का साथ छोड़ दिया था! वजह थी कि हमारी टीम में हिमांशु के 103 अंक थे और विगत 4-5 वर्षों के संघर्ष के दौरान सर्वप्रथम हमारी टीम ने अपने समस्त टेट उत्तीर्ण साथियों हेतु शिक्षक पदों पर नियुक्ति की प्रेयर अपनी IA 282-283/2015 के माध्यम से की थी!
उस समय उपजे स्वार्थी गुटों ने आप सभी के समक्ष दलील रखी कि हिमांशु (103) कोर्ट द्वारा निर्धारित 105/97 के दायरे में नहीं आता व हमारी टीम समस्त टेट उत्तीर्ण की मांग करती हैं जो कि संभव नहीं हैं!
5. दि० 25 फरवरी २०१५ की सुनवाई में एक इलाहाबादी गुट के इलाहाबादी अधिवक्ता ने जहाँ कोर्ट को RTE एक्ट के अवमानना से अवगत न कराकर 72825 पदों का विज्ञापन लहराने लगे वहीँ एक सर्विस रूल नामक प्राणी के अधिवक्ता ने मा० दीपक मिश्रा के आदेश को उन्ही के समक्ष गलत कहने लगे! फलस्वरूप न्यायाधीश महोदय नाराज हुए और भर्ती पुनः 72825 पदों तक सीमित रही! हमारी IA पर स्टैंड वरिष्टतम अधिवक्ता व पूर्व न्यायाधीश श्री अजीत सिन्हा जी के प्रयास से रिक्त पदों का काउंटर सरकार से तलब हुवा!
6. अतिशयोक्ति न होगी अगर यह कहा जाये कि आज वर्तमान परिदृश्य के निर्माता हमारी टीम (हिमांशु, दुर्गेश, जीतेन्द्र व अमित) के अलावा हमारे वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीमान अमित पवन जी (AOR) व अधिवक्ता श्री आनंद नंदन जी हैं!
दि० 25 फरवरी के मात्र आंशिक सफलता के उपरान्त हमारे अधिवक्ता श्री अमित पवन जी ने समस्त टेट उत्तीर्ण साथियों के नियुक्ति हेतु दि० 10 अप्रैल 2015 को RTE एक्ट के इतिहास की पहली परमादेश याचिका 167/2015 मा० सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल की, जो प्रदेश में ४ लाख से अधिक शिक्षक रिक्तियों पर वर्तमान में उपलब्ध समस्त योग्य/अर्ह अभ्यर्थियों की नियुक्ति की मांग करती हैं! मा० सर्वोच्च न्यायालय न सिर्फ हमारी याचिका को स्वीकृति प्रदान किया वरन सभी प्रतिवादियों को गंभीरतापूर्वक नोटिस भी जारी किया!
7. दि० 15 मई 2015:- जब उच्च न्यायालय शिक्षामित्र प्रकरण पर न्याय प्रदान करने पर शिथिल पड़ गया था तब सर्वोच्च न्यायालय में दो लोगों (बी०टी०सी० व एक अन्य) द्वारा शिक्षामित्रों के विरुद्ध याचिका दाखिल हुयी परन्तु सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित मेरिट पर खरा न उतरने पर पहले दिन ही ख़ारिज हो गया! तब हमारी टीम की परमादेश याचिका 167/2015 में IA 2 & 3 दाखिल कर मा० सर्वोच्च न्यायालय को शिक्षामित्रों के असंवैधानिक समायोजन व मा० उच्च न्यायालय के हीलाहवाली से अवगत कराया गया! पुनः सर्वोच्च न्यायालय ने योग्य बेरोजगारों की पीड़ा हमारी याचिका व IA के माध्यम से सुनी व प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया!
8. दि० 06 जुलाई 2015:- सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नोटिस जारी होने के बावजूद भी प्रदेश सरकार की तानाशाही के चलते शिक्षामित्रों के हो रहे अवैध समायोजन से पुनः हमारे अधिवक्ता श्री आन्नद नन्दन जी द्वारा मा० सर्वोच्च न्यायालय को अवगत कराते ही मात्र 5 मिनट में स्थगनादेश व शिक्षा विभाग के आला अधिकारीयों को तलब करने का आदेश जारी कर दिया !
9. दि० 21 जुलाई 2015 सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में सचिव बेसिक शिक्षा द्वारा आपकी परमादेश याचिका 167/2015 में शिक्षक रिक्तियों का ब्यौरा शपथपत्र के साथ दाखिल हुवा जिसमें 3.08 लाख प्राथमिक व 77,000 उच्च प्राथमिक शिक्षकों की रिक्तियां दर्शायी गयी! तदोपरांत 29 जुलाई को 22 हजार शिक्षकों के पद और सृजित किये गये ! अर्थात वर्तमान में ४ लाख से अधिक रिक्तियां उपलब्ध हैं!
10. दि० 27 जुलाई 2015 को कुछ चयनित नेताओं के अधिवक्ता ने इस भर्ती को मात्र 72825 पदों तक सीमित करने का एक असफल प्रयास किया! जबकि हमारी टीम ने IA 282-283, परमादेश याचिका 167 व शिक्षामित्रों पर स्थगनादेश लेकर समस्त टेट उत्तीर्ण साथियों की नियुक्ति के मार्ग प्रशस्त कर दिया था!
11. दि० 12 सितम्बर 2015 सर्वोच्च न्यायालय के कठोरतम निर्देश से गठित उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ ने न सिर्फ निरंतर 6 दिन मामले की सुनवाई की बल्कि पहली बार उच्च न्यायालय को सेकंड सैटरडे के सार्वजनिक अवकाश के दिन खोल कर पूरे दिन 91 पन्नों का ऐतिहासिक आदेश पारित किया!
हिंदुस्तान के न्यायायिक इतिहास में यह पहली और शायद अंतिम बार हुवा हैं जिससे लाखों असंवैधानिक नियुक्तियों को एक झटके में निरस्त कर दिया गया! इस ऐतिहासिक आदेश का पूरा श्रेय हमारी टीम की जिजीविषा व हमारे अधिवक्ता श्रीमान आनंद नंदन जी व अमित पवन जी को जाता हैं! जिन्होंने न सिर्फ सर्वोच्च न्यायालय से स्थगनादेश व विचाराधीन याचिकाओं को निश्चित समय में निस्तारित करने का आदेश पारित कराया वरन दिल्ली से आकर पूरी सुनवाई के दौरान अपना अमूल्य योगदान दिया!
12. दि० 02 नवम्बर 2015:- "Mr. Anand Nandan, I WILL GIVE YOU TODAY! (हँसते हुए) NOT TODAY BUT DEFINITELY I WILL GIVE YOU"- Hon'ble Deepak Mishra
यह प्रतिक्रिया थी मा० दीपक मिश्रा जी की, जब आपके अधिवक्ता श्री आन्नद नंदन जी ने आपकी परमादेश याचिका की प्रेयर के आधार पर प्रदेश में 4 लाख शिक्षक रिक्तियों पर योग्य बेरोजगारों की नियुक्ति की मांग की! मा० दीपक मिश्रा जी ने न सिर्फ सरकार के हलफनामे में रिक्त पदों के अंश को अपने आदेश में उल्लेखित किया वरन इन सभी पदों को भरवाने का आश्वासन भी दिया!
13. दि० 07 दिसम्बर 2015 को पहली बार मा० न्यायाधीश महोदय ने 1100 याचियों को लाभ कर हमारी परमादेश याचिका 167 के प्रेयर के पर आदेश जारी करते हुए समस्त टेट उत्तीर्ण साथियों के नियुक्ति के वर्षों के स्वपन को मूर्त रूप देना आरम्भ कर दिया! तदोपरांत पुनः दि० 24 फरवरी 2016 को हमारे अधिवक्ता से कही हुयी पंक्तियों पर अक्षरशः प्रगतिशील रहे और सरकार के 72825 पदों के विज्ञापन के दलीलों को नकारते हुए समस्त टेट उत्तीर्ण याचियों की पात्रता के जांचोपरांत आगामी सुनवाई पर कोर्ट में योग्य अभ्यर्थियों की लिस्ट दाखिल करने हेतु आदेशित किया!
साथियों जिस स्वपन एवं लक्ष्य (समस्त टेट उत्तीर्ण साथियों की नियुक्ति) हेतु हमारी टीम (दुर्गेश,हिमांशु,अमित व जीतेन्द्र) का जनवरी 2015 में गठन हुवा था!
आज हम उस लक्ष्य प्राप्ति में निरन्तर एवं तीव्रतम गति से सफलता के पथ पर अग्रसर हैं! हमारी टीम के मुख्य  नाविक हमारे अधिवक्ता श्रीमान अमित पवन जी व श्रीमान आनंद नंदन जी हैं जिन्होंने इस एक वर्ष के ऐतिहासिक संघर्ष में आने वाले अनेक झंझावातों में न सिर्फ हम बेरोजगारों की नैया पार लगायी हैं वरन सफलता के नित नए आयाम तय किये हैं! दि० 25 फरवरी 2015 से लेकर 06 जुलाई के बीच में हमारे पास इतना  रुपया भी नहीं होता था कि हम इन दोनों अधिवक्ताओं की पूरी फीस अदा कर पाए! फिर भी इन्होने आपकी और हमारी पीड़ा को समझा और अनवरत सफलता दिलाते रहे! समस्त टेट उत्तीर्ण साथियों को नियुक्ति दिलाने में हमारे इन दोनों अधिवक्ताओं का योगदान अतुलनीय हैं! मैं अपने समस्त बेरोजगारों की तरफ से अपनी टीम(दुर्गेश, हिमांशु, अमित, जीतेन्द्र) की एकता, आशावादी दृष्टिकोण एवं जिजीविषा व अपने अधिवक्ता के अतुलनीय योगदान का आजीवन आभारी रहूँगा! धन्यवाद
...................आपका दुर्गेश प्रताप सिंह
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