*त्रिपुरा केस - सुप्रीम कोर्ट*
■ इस याचिका में हाई कोर्ट के आर्डर के विरुद्ध त्रिपुरा सरकार गयी थी।
■ हाई कोर्ट में याचियों ने GOVERNMENT OF TRIPURA GENERAL ADMINISTRATION (PERSONNEL & TRAINING) DEPARTMENT, 30th August, 2003 की पूरी पालिसी को चैलेंज किया था और इसके आधार पर की गयी 10,323 teachers की भर्ती, जिसमें 1,100 postgraduate, 4,617 gradute और 4,606 undergraduate teachers के पद थे, उसको भी चैलेंज किया था।
■ हाई कोर्ट ने इस पालिसी को 07 मई 2014 को null एंड वोयड घोषित किया और इस भर्ती को भी सेट असाईड(रद्द) कर दिया। साथ ही कहा था कि विद्यार्थियों की कोई गलती नही है इसलिए ये शिक्षक 31 दिसम्बर तक काम करते रहे। तब तक सरकार योग्य शिक्षकों की भर्ती कर ले।
सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के आर्डर पे आज मोहर लगा दी।
■ इस पॉलिसी के अनुसार
1) 35 से 37 वर्ष के जनरल और 40 से 45 वर्ष के आरक्षितों को वरीयता दी जाती थी।
2) भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यको को वरीयता दी जाती थी।
3) 30% गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालो को वरीयता दी जाती थी।
इसके अतिरिक्त:
4) इंटरव्यू जोन(जिले) वाइज लिए गए जिसमे एक जोन में कम अंक वाला शिक्षक बन गया जबकि दूसरे में उससे अधिक अंक के साथ भी याची बेरोजगार रहा।
5) हर ज़ोन की अपनी चयन समिति थी जिसने अपने अनुसार मनमानी की।
6) ऐसे लोगो को प्राइमरी शिक्षक बना दिया गया जिनके पास 2 वर्षीय प्रशिक्षण भी नहीं था।
7) एक ही भर्ती में 3 बार (2002, 2006 और 2009) विज्ञापन निकाले गए और पदों की संख्या में भी हर बार हेर फेर हुआ।
8) त्रिपुरा में 1996 से 2013 तक प्राइमरी शिक्षकों की कोई भर्ती नही हुई।
9) मुख्य समस्या यह रही की 30% पदों को गरीबी रेखा से नीचे लोगो के किये आरक्षित किया गया और 70% में से 25% पदों को सीनियोरिटी के आधार पर भरा गया।
■ कोर्ट ने पूरी पालिसी में खामी बताकर सभी को रद्द किया और अपनी 19 पॉइंट्स में गाइडलाइन्स दी की इस आधार पर पालिसी बनाई जाये और सरकार न बनाये तो इन्ही 19 बिंदुओं के आधार पर नियुक्ति की जाये।
■ कोर्ट ने यह भी कहा कि यह निर्णय सभी भर्तियों पर प्रोस्पेक्टिवेली(यानि जो हो चुकी सो हो चुकी) लागू किया जायेगा।
लेकिन जिन्होंने भर्तियों को नियमो के आधार पर चैलेंज करके अधीन करवाया हुआ है वो सभी भर्ती रद्द होंगी।
आपका शुभचिंतक
AG
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
■ इस याचिका में हाई कोर्ट के आर्डर के विरुद्ध त्रिपुरा सरकार गयी थी।
■ हाई कोर्ट में याचियों ने GOVERNMENT OF TRIPURA GENERAL ADMINISTRATION (PERSONNEL & TRAINING) DEPARTMENT, 30th August, 2003 की पूरी पालिसी को चैलेंज किया था और इसके आधार पर की गयी 10,323 teachers की भर्ती, जिसमें 1,100 postgraduate, 4,617 gradute और 4,606 undergraduate teachers के पद थे, उसको भी चैलेंज किया था।
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■ हाई कोर्ट ने इस पालिसी को 07 मई 2014 को null एंड वोयड घोषित किया और इस भर्ती को भी सेट असाईड(रद्द) कर दिया। साथ ही कहा था कि विद्यार्थियों की कोई गलती नही है इसलिए ये शिक्षक 31 दिसम्बर तक काम करते रहे। तब तक सरकार योग्य शिक्षकों की भर्ती कर ले।
सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के आर्डर पे आज मोहर लगा दी।
■ इस पॉलिसी के अनुसार
1) 35 से 37 वर्ष के जनरल और 40 से 45 वर्ष के आरक्षितों को वरीयता दी जाती थी।
2) भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यको को वरीयता दी जाती थी।
3) 30% गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालो को वरीयता दी जाती थी।
इसके अतिरिक्त:
4) इंटरव्यू जोन(जिले) वाइज लिए गए जिसमे एक जोन में कम अंक वाला शिक्षक बन गया जबकि दूसरे में उससे अधिक अंक के साथ भी याची बेरोजगार रहा।
5) हर ज़ोन की अपनी चयन समिति थी जिसने अपने अनुसार मनमानी की।
6) ऐसे लोगो को प्राइमरी शिक्षक बना दिया गया जिनके पास 2 वर्षीय प्रशिक्षण भी नहीं था।
7) एक ही भर्ती में 3 बार (2002, 2006 और 2009) विज्ञापन निकाले गए और पदों की संख्या में भी हर बार हेर फेर हुआ।
8) त्रिपुरा में 1996 से 2013 तक प्राइमरी शिक्षकों की कोई भर्ती नही हुई।
9) मुख्य समस्या यह रही की 30% पदों को गरीबी रेखा से नीचे लोगो के किये आरक्षित किया गया और 70% में से 25% पदों को सीनियोरिटी के आधार पर भरा गया।
■ कोर्ट ने पूरी पालिसी में खामी बताकर सभी को रद्द किया और अपनी 19 पॉइंट्स में गाइडलाइन्स दी की इस आधार पर पालिसी बनाई जाये और सरकार न बनाये तो इन्ही 19 बिंदुओं के आधार पर नियुक्ति की जाये।
■ कोर्ट ने यह भी कहा कि यह निर्णय सभी भर्तियों पर प्रोस्पेक्टिवेली(यानि जो हो चुकी सो हो चुकी) लागू किया जायेगा।
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AG
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