UPTET SHIKSHAMITRA: कल (दि0 09 मई 2017) की सुनवाई का विस्तृत सार :-दुर्गेश प्रताप सिंह की कलम से

आज (दि0 09 मई 2017) की सुनवाई के सार:-
आज का दिन हम बीएड टेट वालों का रहा, जिसका आधार हमारे विद्वान अधिवक्ता श्री अमित पवन व श्री आनन्द नंदन जी ने मा0 सर्वोच्च् न्यायालय के समक्ष रखा। कल हुई सुनवाई में गोयल जी द्वारा किये गए कुछ नेगेटिव कमेंट और शिक्षामित्र समायोजन रद्द होता दिखने के बावजूद भी मुझे काफी निराशा थी।
क्योंकि कल बीएड वालों की तरफ से भले ही सीनियर अधिवक्ता ने शिक्षामित्र समायोजन के विरुद्ध तो पक्ष रखा था लेकिन समायोजन रद्द होता दिखकर भी 31 मार्च 2014 के बाद शिक्षक रिक्तियोँ पर बीएड का लोकस मा0 न्यायालय के समक्ष रखना भूल गए। जिससे हम जीत कर भी हारा हुवा महसूस कर रहे थे। इसी संदर्भ में हमारे उपरोक्त दोनों अधिवक्ता भी चिंतित थे और बेसब्री से आज अपने बोलने के क्रम आने की प्रतीक्षा कर रहे थे।
आज कोर्ट स्टार्ट होते ही अधिवक्ता श्री अजीत सिन्हा जी ने 72825 पदों में महिला-पुरुष वर्गीकरण इत्यादि मुद्दा रखना आरम्भ किया। इस मुद्दे पर 72825 में चयनित संजय सहारनपुर भाई काफी चिंतित थे और अमित पवन जी के क्लाइंट भी थे, इसलिए मैंने क्लासिफिकेशन को वैध बताने वाले मा0 सर्वोच्च् न्यायालय द्वारा पूर्व में दिए गए आदेश की प्रति दे दी थी। आज सिन्हा जी द्वारा क्लासिफिकेशन का मुद्दा उठाते ही अधिवक्ता अमित पवन जी ने उक्त आदेश को न्यायाधीश महोदय को पढ़ाया और कोर्ट कन्विन्स होकर फ़ाइल बन्द कर दी।
इसके बाद शिक्षामित्र मुद्दे पर एक दो अधिवक्ता बोलने के बाद हमारे अधिवक्ता आंनद नंदन जी का क्रम आया, उन्होंने शिक्षामित्र प्रकरण और बीएड टेट याचियों के नियुक्ति से संबंधित हमारे द्वारा बनाई गई कंपाइलेशन को न्यायाधीश महोदय को सौंपा और शिक्षामित्रों के इनिशियल इंगेजमेंट को इल्लीगल बताते हुए उनकी ट्रेनिंग के मुद्दे को उठाकर बीएड टेट-2011 के राइट को 31 मार्च 2014 के बाद पुनर्जीवित किया और इसके समर्थन में कुछ जजमेंट भी सौपे, जिसमें एक जजमेंट को पढ़कर मा0 गोयल जी बोले कि ये(शिक्षामित्र) तो और भी worst कंडीशन में हैं। इसके पश्चात आनन्द नंदन ने कोर्ट को अभी भी 1,50,000 शिक्षक रिक्तियोँ के बारे में बताया और डाक्यूमेंट्स दिखाए। जिससे दोनों न्यायमूर्ति महोदय कन्विन्स दिखे। इसके साथ ही नंदन जी ने जेठमलानी जी द्वारा पूर्व में बोले गए शिक्षामित्रों के आत्महत्या वाले इशू के जवाब में कोर्ट को बताया कि हमारे क्लाइंट भी पिछले पाँच वर्षों से बेरोजगारी से पीड़ित होकर आत्महत्या कर रहे हैं और करीब 50,000 लोग यहाँ याची भी बने हुए हैं। जिन्हें 24 फरवरी व 17 दिसंबर के अंतरिम आदेशानुसार विचार करने को भी कहा गया लेकिन स्टेट ने कुछ नहीं किया।
इसके पश्चात स्टेट की तरफ से वेंकटरमणी जी पुनः शिक्षामित्र पक्ष रखना शुरू किया और बताया कि शिक्षामित्रों के समायोजन में थोड़ी बहुत कमी हैं इसलिए हम जो 10,000-20000 की आगामी विज्ञप्ति निकालेंगे उसमें इन सबको कंसीडर करने पर विचार करेंगे।
इसके बाद कपिल सिब्बल जी ने शिक्षामित्रों का पक्ष रखना शुरू किया और स्वयं यह मानते हुए कि शिक्षामित्र प्रकरण लॉ के एकॉर्डिंग कुछ कंमियाँ हैं लेकिन प्रैक्टिकली इसपर विचार करिये, क्योंकि अभी भी स्टेट में 1,50,000 शिक्षक रिक्तियाँ हैं और ये बाहर चले जायेंगे तो करीब 3 लाख से ज्यादा रिक्तियाँ हो जाएंगी और स्कूल खाली हो जाएंगे। सिब्बल जी द्वारा 1.50 लाख शिक्षक रिक्तियोँ वाली बात का हमारे दोनों वकीलों ने पुनः समर्थन किया और केस को लॉ के एकॉर्डिंग डिसाइड करके बीएड टेट 2011 के याचियों को लाभ देने की बात कही।
अंतिम में 16वें संशोधन से नियुक्त करीब 90 हजार शिक्षकों की तरफ से अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने अपना पक्ष रखने की बात कही। साथ ही साथ रामजेठमलानी जी के साथ ही साथ शिक्षामित्रों की तरफ से कई सारे अधिवक्ताओं ने अभी तक अपना पक्ष रखने का समय न मिलने का रोना रोया और समय की मांग की। लेकिन कल जस्टिस गोयल जी कहीं बाहर जा रहे हैं और कल से समर वेकेशन भी आरम्भ हो गया इसलिए अब 17 मई 2017 को शाम 4:10 पर कोर्ट खोलकर बचे हुए मामले सुने जाएंगे,जो 18 मई को भी चल सकता हैं।
साथियों आज हम काफी सफल रहे लेकिन अंतिम सुनवाई तक हमें केस पर अपनी पकड़ बनाये रखनी हैं इसलिए हमें किसी भी प्रकार की शिथिलता नहीं बरतनी चाहिए।
साथियों इस बार अंतिम रूप से आप सभी द्वारा टीम और मेरे द्वारा जारी खाते में यथसम्भाव सहयोग अपेक्षित हैं, जिसका सदुपयोग अधिवक्ता अमित पवन, अधिवक्ता आनन्द नंदन, एक वरिष्ठ अधिवक्ता के साथ ही साथ रिटेन सबमिशन इत्यादि का कार्य धनअभाव में बाधित न हो। इसलिए कृपया मेरे बैंक एकाउंट अथवा paytm एकाउंट में तत्काल अपना आर्थिक सहयोग प्रेषित करें। धन्यवाद्
_____आपका दुर्गेश प्रताप सिंह
नोट- आज कोर्ट द्वारा IA नम्बर नोट करने वाली बातें पूर्णतयः अफवाह हैं। कोर्ट को किसी की Ia नम्बर नोट करने की आवश्यकता नहीं होती जबकि उनके पास पहले से ही हर पेटिशन और उसमें दाखिल ia की आफिस रिपोर्ट सामने रखी होती हैं। फिलहाल अभी ऐसी बाते अफवाह मात्र हैं। बीएड वालों का लोकस जस्टिस महोदय के दिमाग में बन गया हैं और हमारे कंपाइलेशन को अपने पास रखकर उसमें पॉइंट्स को हाईलाइट भी कर दिया हैं। इसलिए अब जो भी होगा, अंतिम दिवस (17 व 18 को संभावित) को होगा।

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