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हाईकोर्ट की सुनवाई में और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में यह है अन्तर

हम जीत की ओर अग्रसर हैं।
हाई कोर्ट की सुनवाई में और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में बहुत अन्तर है।
१. हाई कोर्ट में बहस की सुरुआत विपक्षियों की तरफ से हुआ था। जबकि सुप्रीम कोर्ट में बहस की शुरुआत हमारे पक्ष से की गयी
२. हाई कोर्ट में ncte ने हमारे खिलाफ बहस किया था जबकि सुप्रीम कोर्ट में ncte ने हमारे पक्ष में बहस किया।
३. हाई कोर्ट में विपक्षियों की पूरी बात सुनी गयी थी और हमारी बातें पूरी नहीं सुनी गयीं। जबकि सुप्रीम कोर्ट में हमारी पूरी बात सुनी गयी है और विपक्षियों को बहुत कम समय मिला बहस के लिए।
४. हाई कोर्ट में हमारे पक्ष की तरफ से वकील का कोई ब्रांडेड चेहरा नहीं और विपक्षियों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वकील भी बहस किये थे। जबकि सुप्रीम कोर्ट में हमारे पक्ष से लगभग सभी बड़े नामी गिरामी ब्रांडेड और टाॅप टेन के अधिवक्ता बहस किये और विपक्षियों की तरफ से ब्रांडेड में केवल एक आनंद नंदन जी व बाकी सभी सामान्य वकील बहस किये।
५. चंद्रचूड जी का अखिलेश सरकार से लोकायुक्त मामले पर विवाद चल रहा था जबकि सुप्रीम कोर्ट में ऐसा कुछ नहीं है।
६. हाई कोर्ट में हमारे पास लगातार सुनवाई के दौरान अच्छे अधिवक्ताओं तक की कमी हो गयी और राज्य सरकार व परिषद के वकील बहुत खराब प्रदर्शन किये जबकि सुप्रीम कोर्ट में mhrd, ncte, परिषद, राज्य सरकार और सभी बड़े से बड़े वकील एक स्वर में हमारे पक्ष को मजबूती के साथ रखा।
अभी और भी बहुत से अन्तर है तब और अब की सुनवाई में।
इसलिए निःसन्देह हम जीत के मुहाने पर खड़े हैं।
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