शासन ने पद व विभाग ने काम तय कर दिया है लेकिन, उनकी सेवा शर्ते, नियुक्ति और तबादला कौन करेगा, यह तय नहीं हो पा रहा है। सूबे में राजपत्रित अधिकारी की सेवा नियमावली छह साल में नहीं बन पाई है, वहीं उनके मातहत शिक्षकों की तबादला नीति विभाग जारी करने की तैयारी में है।
ब्लाक स्तर पर प्राथमिक शिक्षा की जवाबदेही खंड शिक्षा अधिकारियों पर है। विद्यालयों में पठन-पाठन से लेकर संसाधन मुहैया कराने व शिक्षकों की उपस्थिति का जिम्मा उसी पर है। पहले यह पद प्रति उप विद्यालय निरीक्षक यानी एसडीआइ के नाम से जाना जाता रहा है। जुलाई 2011 में इसका काडर रिव्यू हुआ और उप विद्यालय निरीक्षक यानी डीआइ और प्रति उप विद्यालय निरीक्षक यानी एसडीआइ के संवर्गो को मिलाकर खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) पदनाम का नया संवर्ग बनाया गया। 1पदनाम बढ़ने पर बीईओ का ग्रेड वेतन भी 2800 से बढ़ाकर 4800 रुपये हुआ। इस बदलाव पर यह कहा गया कि बीईओ प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक व प्रधानाध्यापकों को निर्देशित करते हैं, तब उनका वेतन शिक्षकों से कम नहीं होना चाहिए। साथ ही उन्हें राजपत्रित अधिकारी का दर्जा भी दिया गया। ताज्जुब यह है कि राजपत्रित अधिकारी का दर्जा मिलने के बाद भी अब तक उनकी सेवा नियमावली नहीं बन सकी है। काडर विशेष के प्रति अनदेखी का असर भी दिख रहा है। प्रदेश में खंड शिक्षा अधिकारियों के 1031 पद हैं उनमें से मात्र 765 बीईओ विभिन्न ब्लाकों में तैनात हैं, 272 खाली पड़े हैं। उन ब्लाकों का जिम्मा पड़ोसी बीईओ को अतिरिक्त प्रभार के रूप में सौंपा गया है।
बीएसए की अगुवाई का विरोध
जिले में बेसिक शिक्षा अधिकारी बीईओ को ब्लाक में इधर से उधर करते रहे हैं। काडर बदलने के बाद से यह संवर्ग इसका विरोध कर रहा है। इस संबंध में कई बार अलग-अलग आदेश तक जारी हुए। हालांकि विभागीय अफसरों ने जिले की व्यवस्था बनाये रखने के लिए बीएसए को ही जिले में फेरबदल करने का आदेश दिया है।
पीसीएस के जरिये चयन अधर में
उप्र लोकसेवा आयोग ने 2006 में स्क्रीनिंग टेस्ट के जरिये बीईओ का चयन किया था। उनका ग्रेड वेतन बढ़ने व राजपत्रित अधिकारी होने पर चयन पीसीएस परीक्षा के जरिये कराने की योजना बनी। पहले एसडीआइ अपर शिक्षा निदेशक बेसिक के मातहत होते रहे हैं, उनकी तबादला व नियुक्ति वही करते थे। अब पद बढ़ने पर बीईओ का नियोक्ता अधिकारी शिक्षा निदेशक बेसिक को होना है लेकिन, अभी जिम्मा अपर निदेशक के पास है। यह तय न होने से विभाग उनका अधियाचन नहीं भेज पा रहा है।
खंड शिक्षा अधिकारियों की छह साल में भी नहीं बनी सेवा नियमावली
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ब्लाक स्तर पर प्राथमिक शिक्षा की जवाबदेही खंड शिक्षा अधिकारियों पर है। विद्यालयों में पठन-पाठन से लेकर संसाधन मुहैया कराने व शिक्षकों की उपस्थिति का जिम्मा उसी पर है। पहले यह पद प्रति उप विद्यालय निरीक्षक यानी एसडीआइ के नाम से जाना जाता रहा है। जुलाई 2011 में इसका काडर रिव्यू हुआ और उप विद्यालय निरीक्षक यानी डीआइ और प्रति उप विद्यालय निरीक्षक यानी एसडीआइ के संवर्गो को मिलाकर खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) पदनाम का नया संवर्ग बनाया गया। 1पदनाम बढ़ने पर बीईओ का ग्रेड वेतन भी 2800 से बढ़ाकर 4800 रुपये हुआ। इस बदलाव पर यह कहा गया कि बीईओ प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक व प्रधानाध्यापकों को निर्देशित करते हैं, तब उनका वेतन शिक्षकों से कम नहीं होना चाहिए। साथ ही उन्हें राजपत्रित अधिकारी का दर्जा भी दिया गया। ताज्जुब यह है कि राजपत्रित अधिकारी का दर्जा मिलने के बाद भी अब तक उनकी सेवा नियमावली नहीं बन सकी है। काडर विशेष के प्रति अनदेखी का असर भी दिख रहा है। प्रदेश में खंड शिक्षा अधिकारियों के 1031 पद हैं उनमें से मात्र 765 बीईओ विभिन्न ब्लाकों में तैनात हैं, 272 खाली पड़े हैं। उन ब्लाकों का जिम्मा पड़ोसी बीईओ को अतिरिक्त प्रभार के रूप में सौंपा गया है।
बीएसए की अगुवाई का विरोध
जिले में बेसिक शिक्षा अधिकारी बीईओ को ब्लाक में इधर से उधर करते रहे हैं। काडर बदलने के बाद से यह संवर्ग इसका विरोध कर रहा है। इस संबंध में कई बार अलग-अलग आदेश तक जारी हुए। हालांकि विभागीय अफसरों ने जिले की व्यवस्था बनाये रखने के लिए बीएसए को ही जिले में फेरबदल करने का आदेश दिया है।
पीसीएस के जरिये चयन अधर में
उप्र लोकसेवा आयोग ने 2006 में स्क्रीनिंग टेस्ट के जरिये बीईओ का चयन किया था। उनका ग्रेड वेतन बढ़ने व राजपत्रित अधिकारी होने पर चयन पीसीएस परीक्षा के जरिये कराने की योजना बनी। पहले एसडीआइ अपर शिक्षा निदेशक बेसिक के मातहत होते रहे हैं, उनकी तबादला व नियुक्ति वही करते थे। अब पद बढ़ने पर बीईओ का नियोक्ता अधिकारी शिक्षा निदेशक बेसिक को होना है लेकिन, अभी जिम्मा अपर निदेशक के पास है। यह तय न होने से विभाग उनका अधियाचन नहीं भेज पा रहा है।
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