उत्तर प्रदेश की बेसिक शिक्षा में हर जिले में 6-7 प्रकार के समन्वयक पाये जाते हैं और इनके ऊपर भी प्रादेशिक समन्वयक होते होंगे और नीचे ब्लॉक समन्वयक भी होते हैं ।
पर किस चीज़ का समन्वय ??? यक्ष प्रश्न !!
बेसिक की जितनी योजनाओं में पैसा आता है ये सभी समन्वयक बड़े ही निपुणता से समन्वित कर लेते हैं और बदनाम कौन होता है ?
स्कूल का मास्टर !!!!
उत्तर प्रदेश सरकार से अनुरोध है की समन्वयक से पूर्व और बाद की बेसिक शिक्षा का तुलनात्मक अध्ययन करवा लें और देख लें इनके कारनामे ।
आलम ये है की इतना माल है जो बेसिक शिक्षा विभाग के बाहर के लोग समन्वयक बनने को आतुर रहते हैं और उन मास्टरों की क्या कहें जिन्हें स्कूलों में पढ़ाने में नींद आती है पर समन्वयक को वो भी आतुर रहते हैं , क्या वजह है इस आतुरता की ??
बहुत माल है भाई यहाँ !!
और मात्र 200-500 में ऑडिट भी एकदम क्लियर हो जाता है , ये हकीकत है बेसिक में फैले भ्रष्टाचार की ,फ़िर सरकारों और आदेशों की परवाह किसे !!!
सरकार से अनुरोध है की जितना पैसा इन समन्वयकों पर खर्च किया जाता है उतने से कम में सभी विद्यालयों के हेड मास्टर जी को लॅपटॉप दे दें जिससे सीधे लखनऊ से हर स्कूल जुड़ जाये और भ्रष्टाचार का खात्मा हो सके और संग संग सूचना क्रांति भी पहुँच में होगी प्राथमिक विद्यालयों के नौनिहालों को ।
मास्टर साहब पर्याप्त पढ़े-लिखे और सक्षम हैं उन्हें किसी समन्वयक की ज़रूरत नहीँ , ये अड़चन हैं बेसिक शिक्षा की .....
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स्कूल का मास्टर !!!!
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आलम ये है की इतना माल है जो बेसिक शिक्षा विभाग के बाहर के लोग समन्वयक बनने को आतुर रहते हैं और उन मास्टरों की क्या कहें जिन्हें स्कूलों में पढ़ाने में नींद आती है पर समन्वयक को वो भी आतुर रहते हैं , क्या वजह है इस आतुरता की ??
बहुत माल है भाई यहाँ !!
और मात्र 200-500 में ऑडिट भी एकदम क्लियर हो जाता है , ये हकीकत है बेसिक में फैले भ्रष्टाचार की ,फ़िर सरकारों और आदेशों की परवाह किसे !!!
सरकार से अनुरोध है की जितना पैसा इन समन्वयकों पर खर्च किया जाता है उतने से कम में सभी विद्यालयों के हेड मास्टर जी को लॅपटॉप दे दें जिससे सीधे लखनऊ से हर स्कूल जुड़ जाये और भ्रष्टाचार का खात्मा हो सके और संग संग सूचना क्रांति भी पहुँच में होगी प्राथमिक विद्यालयों के नौनिहालों को ।
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