839 याचियों की भर्ती मामले में हिमांशु राणा की पोस्ट

नमस्कार मित्रों ,
भयभीत साथियों की वजह से पहली बार आज पोस्ट डाल रहा हूँ 839 प्रकरण पर |
दरसल ये प्रकरण है क्या इसके लिए आप उत्तरप्रदेश के महाज्ञानी को समझने की कोशिश कीजिये :-

इस व्यक्ति का चयन हो जाता अगर ये अपनी बुद्धि न लगाता और उसके लिए बार-बार कोर्ट में भी प्रयास किया लेकिन कहते हैं नौकरी (रोटी-रजक) केवल एक बार दस्तक देती है उसे चाहे अपना लो या ठुकरा दो इन महाशय ने दूसरा ऑप्शन पकड़ा और ठुकरा दी |
इसके पश्चात इन्होने रायता फैलाना शुरू किया कि अब सबको ले डुबो और ये जो आज फ़ालतू का रायता मा० उच्च न्यायालय में फैला रहे हैं उसको ये भली-भाँती मा० सर्वोच्च न्यायालय में भी फैलाकर आये थे खैर महादेव के आगे इनकी एक न चली और अब ये शिक्षामित्रों से ठीक पूर्व की तरह फाइनेंस लेकर दोबारा चालू हो गए हैं (फर्जीवाड़े पर लेते थे कि टेट को रद्द कराऊंगा) |
अभी हाल ही में मा० न्यायाधीशगण टंडन साहब एवं अवस्थी साहब जी के बेंच में इन्होने कल जिरह करवाई जिसमे केवल वादी यानी इनके झमूरे ऋषि श्रीवास्तव के अधिवक्ता को सुना गया जिसमे इनके अधिवक्ता ने कहा कि नई विज्ञापन मात्र एक पन्ना है जिस पर चयन नहीं हो सकता है और उसी विज्ञापन के आवेदक जो पुराने में आवेदक नहीं थे उनको अंतरिम आदेश पर नौकरी दी गई है |
यहाँ सोचने की बात ये हैं कि ये दोनों गुरु-चेला जहाँ नए विज्ञापन की बात करते हैं वहीँ अपने अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट के सामने उसे खत्म बता रहे हैं तो ये तो इनकी बात है , नए विज्ञापन पर मात्र ये जेब भर रहे हैं जबकि इनकी मंशा इनके अधिवक्ता द्वारा कोर्ट में कह दी गयी है तो इनके झांसे में न आएं और वैसे भी नया विज्ञापन उस दौरान अंतरिम आदेशों की वजह से हुए डेवलपमेंट्स (नियुक्तियों) को लेकर मा० सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गौण कर दिया गया है |
यहाँ केवल कितने भी प्रतिवादी इस बार allow किये गए हैं अपना पक्ष रखने के लिए अगली डेट पर सरकार द्वारा लगाए गए 84 पन्नों के हलफनामे को दिखाएं और पूरी संख्या जो अंतरिम आदेश के तहत नियुक्ति पाई थी को अंतिम आदेश में मा० सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हाथ लगाने से मना कर दी गई है को गिनाकर बहार आ जाएं , एक बात और रखें कि वादी ने अपना पक्ष मा० सर्वोच्च न्यायालय ने भी रखा था और ये बार-बार परेशान कर रहा है पर कॉस्ट लगाईं जाए |
एक मुद्दा जो 95 अभ्यर्थियों के लिए उठ रहा है कि आवेदक नहीं थे को कहना चाहिए कि जब ये अंतरिम आदेश हुआ तब तक हमारी अपील मा० सर्वोच्च न्यायालय में खारिज नहीं हुई थी और जब अंत में सरकार ने ये बात रखी तो मा० सर्वोच्च न्यायालय ने हाथ लगाने से मना कर दिया |
बाकी अन्य मुद्दों के लिए सचिव बेसिक शिक्षा परिषद् , प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा उत्तरप्रदेश शासन जाने कि उन्होंने कहाँ किसको जॉब दी हमें क्या लेना देना ?
फिलहाल मस्त रहे और अखबारों को पढ़कर नौकरी को ठीक उसी तरह एन्जॉय करें जैसा मा० सर्वोच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश 17 नवंबर 2016 को कहा था तारीख पर भागे नहीं जितना कहा है उतना करें अगर इनके अधिवक्ता बहस वाले दिन आने में अक्षम हो तो तुरंत मानसिक प्रताडन को लेकर कॉस्ट लगाने की बात कहें |
अभी तक केवल वादी को समय मिला था जिसने अखबारों में गलत खबर प्रचार करके मुद्राओं का जुगाड़ किया है बाकी ये गुरु-चेले किसी काबिल न है और गुरु पर तो तरस आता है मुझे जिसने आई हुई नौकरी हाथ से निकाल दी पूछो तो कहता है मुझे करनी नहीं जबकि मा० उच्च न्यायालय में कई बार याचिका कर चुका है मैं भी याची था |
839 वालो को ये ही कहूंगा कि दूकान न लगा लिया करो ज़रा-ज़रा सी बात पर खासतौर से आई०ए० 300 वाले नौकरी मा० सर्वोच्च न्यायालय ने दी है ग्राम प्रधान ने नहीं लेकिन कम से कम कार्य करते हो तो प्रचार तो मत किया करो लड़ो अगर कोई टास्क मिला है या सहयोग करो वरना शांति पकड़ो |
मैं आज पहली बार लिखा हूँ क्यूंकि कुछ लोग परेशान थे अन्यथा मैं न डरता इन बेवकूफों से और देखो गुरु-चेलों के अंधभक्तों नए विज्ञापन को बहाल कराने के नाम पर जो आप इनकी जेबें भरते हो उसी को ये अपने अधिवक्ता से खत्म बता रहे है |
हर हर महादेव 🚩🚩🚩🚩🚩
📝Himanshu Rana
नोट :- इस वक्त शिक्षामित्रों को कुछ चाहिए तो मेरी नौकरी जिसके लिए गुरु-चेला अर्थात श्रीवास्तव बंधू केवल जरिया हैं तो ये उनसे पैसा लेकर इसी में लगे हैं |

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