इलाहाबाद फूलपुर संसदीय
क्षेत्र के उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी की हार के बाद अब भाजपा जहां एक
तरफ समीक्षा करने में जुटी है । तो वहीं भाजपा के हारने पर विरोधियों सहित
कभी उनके समर्थक रहे युवा भी सामने आ रहे हैं ।केशव प्रसाद मौर्या अपना
संसदीय क्षेत्र हार चुके हैं, या कहें कि भाजपा फूलपुर हार चुकी है ।
- Bed अभ्यर्थी ने योगी से आग्रह किया कि शिक्षामित्रों को समायोजित किया जाय
- उत्तरप्रदेश शिक्षामित्र जरूर देखें सब आपके साथ हैं
- शिक्षामित्रों का बढ़ेगा 20% वेतन लेकिन देनी होगी परीक्षा.Shiksha mitra latest news..
- शिक्षामित्रों की ट्विटर पर उठाई जा रही आवाज रंग ला रही है
- माननीया मंत्री अर्चना पांडे जी से मिले शिक्षामित्र मुख्यमंत्री जी से मिलवाने का मिला आश्वासन
- केंद्रीय विद्यालयों में निकली शिक्षकों की पार्ट टाइम भर्तियां
लगातार चल रहा कुलपति हटाओ आनदोलन
विश्वविद्यालय में बीते तीन सालों से लगातार आंदोलन बवाल और उपद्रव जैसी स्थिति बनी हुई है । केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रतनलाल हांगलू को विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया । कुलपति बनने के महीने भर बाद से छात्र संघ बनाम कुलपति की लड़ाई शुरू हो गई । जो अब तक जारी है ,इस आंदोलन की चपेट में पूरा शहर आया ,आगजनी हुई उग्र प्रदर्शन हुए । लेकिन केंद्र सरकार मूकदर्शक बनी रही रही । जिसका असर इस चुनाव में देखने को मिला है।
विश्वविद्यालय में बीते तीन सालों से लगातार आंदोलन बवाल और उपद्रव जैसी स्थिति बनी हुई है । केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रतनलाल हांगलू को विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया । कुलपति बनने के महीने भर बाद से छात्र संघ बनाम कुलपति की लड़ाई शुरू हो गई । जो अब तक जारी है ,इस आंदोलन की चपेट में पूरा शहर आया ,आगजनी हुई उग्र प्रदर्शन हुए । लेकिन केंद्र सरकार मूकदर्शक बनी रही रही । जिसका असर इस चुनाव में देखने को मिला है।
अनियमित्ताओ के बावजूद सरकार का चुप रहना
कुलपति की मनमानी के चलते लगातार विरोध के बाद भी कुलपति का बना रहना, भाजपा को महंगा पड़ा । एक तरफ जहां भाजपा विचार परिवार से जुड़ने वाले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इलाहाबाद से दिल्ली तक एक आंदोलन खड़ा किया । कि कुलपति को हटाया जाए, कुलपति के खिलाफ कई बार एमएचआरडी की ओर से टीमें गठित की गई और विश्वविद्यालय आयी और वापस चली गई । टीमो के आने के बाद कोई भी निष्कर्ष नही निकला। हद तो तब हो गई जब कुलपति ने सरकार के खिलाफ भी बड़े फैसले लिए लेकिन सरकार कुछ नहीं कर सकी।
कुलपति की मनमानी के चलते लगातार विरोध के बाद भी कुलपति का बना रहना, भाजपा को महंगा पड़ा । एक तरफ जहां भाजपा विचार परिवार से जुड़ने वाले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इलाहाबाद से दिल्ली तक एक आंदोलन खड़ा किया । कि कुलपति को हटाया जाए, कुलपति के खिलाफ कई बार एमएचआरडी की ओर से टीमें गठित की गई और विश्वविद्यालय आयी और वापस चली गई । टीमो के आने के बाद कोई भी निष्कर्ष नही निकला। हद तो तब हो गई जब कुलपति ने सरकार के खिलाफ भी बड़े फैसले लिए लेकिन सरकार कुछ नहीं कर सकी।
कुलपति पर थी कार्यवाही की मांग
विश्वविद्यालय के आंदोलन में छात्र बनाम कुलपति की लड़ाई राष्ट्रपति भवन पहुंची । जांच के आदेश दिए गए छात्रों में उम्मीद जगी, कि फिर कुलपति के खिलाफ एक्शन होगा ।लेकिन कुलपति अपने मनमाने तरीके से काबिज रहे ।सरकार किसी निर्णय पर नही पहुची।आंदोलन के बाद शिक्षक भर्ती का मामला शुरू हुआ ।इस भर्ती में नियुक्तियों पर सवाल उठे आंदोलन हुआ । छात्र जेल गए, कुलपति के खिलाफ कार्यवाही नही की गई ।
पूर्व सरसंघ चालाक पर आयोजित कार्यक्रम पर रोक
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रहे, संघ के सरसंघचालक रज्जू भैया के जन्मदिन पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम को आयोजन से कुछ घंटे पहले कुलपति ने रोक दिया ।कहा कि यह कार्यक्रम कैंपस में नहीं होगा । अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को 30 सालों बाद मिला अध्यक्ष छात्रसंघ रोहित मिश्रा को मिला जिसको कुलपति ने पांच सालो के लिये निकाल दिया संघ का वैचारिक संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष के निकाले जाने से छात्र बेहद नाराज हुए ।कुलपति के खिलाफ सरकार से कोई भी कार्यवाही न किए जाने पर छात्रों ने इस चुनाव में भाजपा को बाय काट कर दिया ।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रहे, संघ के सरसंघचालक रज्जू भैया के जन्मदिन पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम को आयोजन से कुछ घंटे पहले कुलपति ने रोक दिया ।कहा कि यह कार्यक्रम कैंपस में नहीं होगा । अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को 30 सालों बाद मिला अध्यक्ष छात्रसंघ रोहित मिश्रा को मिला जिसको कुलपति ने पांच सालो के लिये निकाल दिया संघ का वैचारिक संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष के निकाले जाने से छात्र बेहद नाराज हुए ।कुलपति के खिलाफ सरकार से कोई भी कार्यवाही न किए जाने पर छात्रों ने इस चुनाव में भाजपा को बाय काट कर दिया ।
छात्रावास खाली होने से बढ़ी नाराजगी
वहीं इलाहाबाद विश्वविद्यालय में लंबे समय से चली आ रही हॉस्टल की परंपरा को कुलपति हांग्लू ने तोड़ा । इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 10 से ज्यादा रनिंग छात्रावासों को वासआउट कराया गया । पहली बार ऐसा हुआ कि जब छात्रावास खाली कराए गए । छात्रावासों की अपनी परंपराएं तोड़ी गई । छात्रों का भी कहना था, कि पुराने और अवैध छात्रों को निकाला जाए । लेकिन वास आउट नही काराया जाए ।तमाम परीक्षाओं को समस्याओं को दर किनार करके महिला और पुरुष छात्रावास खाली करा दिए गए ।
वहीं इलाहाबाद विश्वविद्यालय में लंबे समय से चली आ रही हॉस्टल की परंपरा को कुलपति हांग्लू ने तोड़ा । इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 10 से ज्यादा रनिंग छात्रावासों को वासआउट कराया गया । पहली बार ऐसा हुआ कि जब छात्रावास खाली कराए गए । छात्रावासों की अपनी परंपराएं तोड़ी गई । छात्रों का भी कहना था, कि पुराने और अवैध छात्रों को निकाला जाए । लेकिन वास आउट नही काराया जाए ।तमाम परीक्षाओं को समस्याओं को दर किनार करके महिला और पुरुष छात्रावास खाली करा दिए गए ।
हराने का लक्ष्य हुआ पूरा
2014 के चुनाव में जहां डिप्टी सीएम होने से पहले केशव प्रसाद मौर्या के साथ इलाहाबाद विश्वविद्यालय का युवा कंधे से कंधा मिलाकर मोदी लहर में उनके साथ खड़ा था । वही इस उपचुनाव में छात्र संघ सहित विश्वविद्यालय के छात्रावास में रहने वाले सामान्य छात्र भाजपा के विरोध में उतर आए ,और भाजपा को सबक सिखाया । नाम न लिखने की शर्त पर विवि के एक वरिष्ठ छात्र नेता ने कहा कि भाजपा को हराने का हमारा मिशन कामयाब हुआ।
2014 के चुनाव में जहां डिप्टी सीएम होने से पहले केशव प्रसाद मौर्या के साथ इलाहाबाद विश्वविद्यालय का युवा कंधे से कंधा मिलाकर मोदी लहर में उनके साथ खड़ा था । वही इस उपचुनाव में छात्र संघ सहित विश्वविद्यालय के छात्रावास में रहने वाले सामान्य छात्र भाजपा के विरोध में उतर आए ,और भाजपा को सबक सिखाया । नाम न लिखने की शर्त पर विवि के एक वरिष्ठ छात्र नेता ने कहा कि भाजपा को हराने का हमारा मिशन कामयाब हुआ।
कहा कि जब हमें सबसे ज्यादा इनकी जरूरत
थी, उन्होंने हमारी तरफ नहीं देखा । और हमने इन्हें सबक सिखा दिया ।कहा कि
2014 में दिन रात एक कर के हम सब महीनों अपनी किताबों को हाथ नहीं लगाया ।
कि भाजपा को जिताने के लिये युवा दृष्टिकोण रखने वाली सरकार को जीतना है ।
लेकिन हमारी उपेक्षा इन को भारी पड़ी ।कहा आगामी समय में अगर हमारी उपेक्षा
की तो फिर इन्हें सत्ता से भी हाथ धोना पड़ेगा ।
sponsored links:
- अब अल्पसंख्यक विद्यालयों में भी अध्यापकों की भर्ती हेतु होगी लिखित परीक्षा, नहीं होगा सीधे चयन
- बड़ी खबर : यूपी में 9342 पदों पर होगी एलटी-टीजीटी टीचर्स की भर्ती, याचिका ख़ारिज
- 26 हजार नौजवानों को मिलेगा सरकारी शिक्षक बनने का मौका
- UPPSC में 10768 सहायक शिक्षकों के पदों पर अधिकारिक भर्ती जल्दी करें आवेदन
- जल्द ही बेसिक शिक्षा विभाग में 1 .37 लाख भर्तियां पूरी..........मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
- 14 प्रश्न हटने के बाद- परीक्षा परिणाम पर क्या पड़ेगा प्रभाव?
- 68500 शिक्षक भर्ती परीक्षा के सम्बन्ध में नया सर्कुलर जारी , देखें आदेश की प्रति