शिक्षक भर्ती में तय पदों के सापेक्ष खाली रहेंगी हर वर्ग की सीटें, जनवरी को भर्ती व 18 अगस्त को चयन के शासनादेश में 68500 ही दर्ज

आमतौर पर भर्तियों में सीटें कम और सफल अभ्यर्थी अधिक होते रहे हैं। वहीं, शिक्षक भर्ती में तय सीटों पर अभ्यर्थियों का सफलता ग्राफ काफी कम रहा है। इससे हर किसी को यह उम्मीद बंधी थी कि उसका चयन तय है। विभागीय अफसरों के बयान भी अभ्यर्थियों के चेहरों पर मुस्कान बिखेरते रहे।
इसीलिए बीते शुक्रवार को जारी पहली चयन सूची देख हजारों अभ्यर्थियों को झटका लगा। हालांकि सरकार ने रविवार को दूसरी सूची जारी करा दी है लेकिन, तय पदों के सापेक्ष हर वर्ग की सीटें खाली रहनी तय हैं।
चयन सूची से बाहर हुए अभ्यर्थी समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर यह सब कैसे हुआ। हर कोई भर्ती के आरक्षण नियमों को ही कोसता नजर आया। ‘दैनिक जागरण’ ने राजफाश किया कि आरक्षण नहीं, चयन से पहले पद घटा देने से लिखित परीक्षा के सफल अभ्यर्थी बाहर हुए हैं। खास बात यह है कि शिक्षक भर्ती के नौ जनवरी और चयन के लिए 18 अगस्त को जारी शासनादेश में 68500 शिक्षक भर्ती का ही जिक्र स्पष्ट रूप से है। इसके बाद भी जिलों में पदों और उनका आरक्षण वार आवंटन 41556 के अनुरूप हुआ। एकाएक पद घटा दिए जाने से शिक्षक बनने का ख्वाब संजोए अभ्यर्थी चयन सूची से बाहर हो गए। यदि तय पद 68500 के हिसाब से उन पर आरक्षण लागू होता तो ओबीसी, एससी व एसटी ही नहीं सामान्य वर्ग तक की तमाम सीटें खाली रह जाती। वहीं लिखित परीक्षा में सफल 41556 अभ्यर्थियों में सारी अर्हताएं पूरी करने वाला कोई दावेदार शेष नहीं रहता। 1ज्ञात हो कि भर्ती के आरक्षण में 50 फीसद सीटें सामान्य वर्ग, 27 फीसद पिछड़ा वर्ग, 21 फीसद एससी और दो फीसद एसटी को दी जाती हैं। विशेष आरक्षण में तीन फीसद पद दिव्यांग, दो फीसद स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित और पांच प्रतिशत पद भूतपूर्व सैनिक को दिए जाने का प्रावधान है। 68500 पदों के हिसाब से 34 हजार से अधिक पद केवल सामान्य वर्ग के हैं। लिखित परीक्षा में सामान्य वर्ग के 15 हजार से अधिक ही सफल हुए हैं। ऐसे में सभी वर्गो के उम्दा मेरिट वालों का चयन यदि सामान्य की सीटों पर ही होता, तब भी सामान्य वर्ग के सफल अभ्यर्थी चयन सूची से बाहर नहीं होते।