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शिक्षक बनने का पता नहीं गुलजार हो गईं को¨चग

लखीमप र: जिले में शिक्षक बनने की चाह में को¨चगों की बाढ़ आ चुकी है। हर गली, हर मुहल्ले में आइएएस, पीसीएस बनाने के दावे व इश्तहार चस्पा हैं।
अब इनमें टीईटी का प्रशिक्षण ले रहे युवा भविष्य में शिक्षक बनने के सुनहरे सपने भी दिखाए जा रहे हैं। भर्ती की सूचना आते ही ऑनलाइन फार्म डालने की होड़ सी लगी है। रात-रात साइबर कैफे खुलने लगे हैं। जबकि कई को¨चग तो यह सुविधाएं भी अपने यहां ही दे रही हैलेकिन रोजगार की अंधी दौड़ में युवा या कितन युवा शिक्षक बन भी पाएंगे या नहीं यह बता पाना मुश्किल है।
ये है जिले में को¨चग का आंकड़ा


जिले में अगर को¨चग की बात करें तो कुल 185 को¨चग सेंटर है जिसमें करीब 90 को¨चग टीईटी की है। इसमें करीब 65 को¨चग ऐसी है जिनके भवन किराए पर है शेष निजी भवनों में चल रही है। इसमें सौ विद्यार्थियों की संख्या वाली 30 को¨चग है। 50 विद्यार्थियों की संख्या वाली 50 को¨चग है। शेष अन्य है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी जो को¨चग गए हैं वह सभी पंजीकृत हैं और पर्याप्त मात्रा में वहां पर प्रशिक्षु जा रहे हैं। इतना ही नहीं प्रशिक्षुओं को पूरी उम्मीद है कि टीईटी की परीक्षा में हर हाल में उत्तीर्ण करके रहेंगे। सभी को¨चगों में यदि देखा जाए तो 80 प्रतिशत नए प्रशिक्षु है। इसके अलावा कुछ निजी स्कूलों के शिक्षक भी हैं क्योंकि यह को¨चग है, स्कूलों के समय के अतिरिक्त चलाई जाती है इसलिए इनसे पढ़ाई पर कोई असर भी नहीं पड़ता और इसमें अच्छी खासी भीड़ भी होती है। शिक्षकों का भी कहना है कि को¨चग और उस स्कूल का समय एक होने के कारण प्रशिक्षण में दिक्कतें आती है इसलिए दोनों का समय अलग होना जरूरी है।

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