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माध्यमिक शिक्षा: 570 शिक्षकों में महज सौ हैं कार्यरत

सोनभद्र। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने कक्षा 10 और 12 बोर्ड परीक्षाओं की तिथि घोषित कर दिया। लेकिन कालेजों में परीक्षा की तैयारी का सफर सिफर है। इसकी वजह इंटर कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी है। कहीं दो तो कहीं चार शिक्षकों के सहारे बच्चों की पढ़ाई चल रही है।
जिले के 45 राजकीय इंटर कॉलेजों में शिक्षकों के 570 पद स्वीकृत हैं जिसमे से महज 100 शिक्षक ही कार्यरत हैं। महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक कॉलेजों में नियुक्त नही हैं, जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है।
केंद्र सरकार ने सोनभद्र को देश के 115 अति पिछड़े जिलों में शामिल किया है। लेकिन यहां माध्यमिक शिक्षा की व्यवस्था में अब तक सुधार की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। शिक्षकों की भारी कमी का खामियाजा छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है। खासतौर पर कक्षा दस और 12 के छात्र-छात्राओं को तो परीक्षा की तैयारी की चिंता सताने लगी है। यूपी माध्यमिक शिक्षा परिषद ने बोर्ड की परीक्षा कार्यक्रम घोषित कर दिया लेकिन कालेजों में अब भी पढ़ाई के नाम पर स्थित काफी खराब है। जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय से मिले आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में नौ राजकीय इंटर कालेज और 36 हाईस्कूल संचालित हैं। इनमें एलटी ग्रेड के शिक्षकों का कुल 405 पद स्वीकृत है। इसमें से महज 75 शिक्षक ही फिलहाल विद्यालयों पर तैनात हैं। इसी तरह प्रवक्ता के 165 पद स्वीकृत हैं जिसकी तुलना में कालेजों में महज 25 शिक्षक ही कार्यरत हैं। सबसे खास बात यह है कि महत्वपूर्ण विषय गणित, अंग्रेजी, विज्ञान आदि के शिक्षकों की संख्या काफी कम है। इसकी वजह से बच्चों की पढ़ाई काफी हद तक प्रभावित है। हालांकि कालेजों में शिक्षक-अभिभावक संघ की ओर से कुछ शिक्षकों को स्थानीय स्तर की व्यवस्था पर रखा गया है लेकिन गणित, विज्ञान, अंग्रेजी जैसे विषय की पढ़ाई नहीं हो पा रही है। इससे छात्र-छात्राओं को परेशानी झेलनी पड़ रही है।

जल्द ही सोनभद्र को मिलेंगे चार सौ शिक्षक
सोनभद्र। जिला विद्यालय निरीक्षक राजशेखर सिंह ने बताया कि जिले के राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों की कमी जल्द ही दूर हो जाएगी। उन्होंने बताया कि 10500 राजकीय शिक्षकों के भर्ती की परीक्षा हो चुकी है। जल्द ही इसका परिणाम घोषित हो जाएगा। उम्मीद है कि इसमें से चार सौ शिक्षक अक्टूबर माह तक जिले को मिल जाएंगे। इससे शिक्षकों की कमी दूर हो जाएगी और पठन-पाठन व्यवस्था ठीक हो जाएगी।

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