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जानिए कैसे विवादों में घिरती गई यूपी की सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा

उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग की सहायक अध्यापक के 68500 पदों की भर्ती परीक्षा शुरू से ही विवादों में रही. कभी कट ऑफ को लेकर तो कभी चयनित अभ्यर्थियों की सूची को लेकर हर कदम पर विवाद होते रहे. सबसे बड़ा विवाद तब शुरू हुआ, जब ये सामने आया की इस परीक्षा के रिजल्ट में ही खेल हुआ है.
कहीं अनुपस्थित अभ्यर्थियों को 86 अंक देकर पास किया गया तो कहीं 2 नंबर वाले को 91 अंक दिए गए. इसके उलट 122 नंबर पाने वाले अभ्यर्थियों को 22 नंबर देकर चयनित सूची से बाहर किया गया. ...जब अचानक कट ऑफ घटा दिया गया  इसी साल 9 जनवरी को जब शिक्षक भर्ती का टाइम टेबल जारी हुआ तो एससी-एसटी के लिए 40 प्रतिशत और जनरल-ओबीसी के लिए 45 प्रतिशत क्वालीफाइंग अंक रखे गए. तब ये परीक्षा 12 मार्च को होनी थी. लेकिन TET 2017 के रिजल्ट में गड़बड़ी का मामला हाईकोर्ट में होने के चलते परीक्षा को आगे बढ़ाकर 27 मई को कराया गया. वहीं इससे पहले 21 मई को बेसिक शिक्षा विभाग ने अचानक क्वालीफाइंग कट ऑफ घटाते हुए 30 प्रतिशत और 33 प्रतिशत कर दिया. यहीं से विवादों का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह आज तक थमने का नाम नहीं ले रहा है. हाईकोर्ट पहुंचे अभ्यर्थी तो वापस लिया कट ऑफ घटाने का निर्णय27 मई को परीक्षा के बाद एक अभ्यर्थी ने कम की गई कट ऑफ को हाईकोर्ट में चैलेंज कर दिया. इसके बाद हाईकोर्ट ने शासन के कट ऑफ कम करने के आदेश पर रोक लगा दी और सरकार को काउंटर फ़ाइल करने का समय दिया. इस विवाद में रिजल्ट फंसता देख उत्तर प्रदेश शासन के निर्देश पर परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने पुराने शासनादेश के आधार पर 40 और 45 प्रतिशत कट ऑफ पर ही 13 अगस्त को रिजल्ट जारी कर दिया. इस परीक्षा में कुल 41,556 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए. लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई. ...और जनरल के 6127 अभ्यर्थी बाहर हो गए! परीक्षा नियामक के रिजल्ट के आधार पर बेसिक शिक्षा परिषद ने 31 अगस्त को चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी की. लेकिन इस सूची में सिर्फ 34,660 अभ्यर्थियों का ही नाम था, जबकि 6127 अभ्यर्थियों को क्वालीफाई होने के बाद भी बाहर कर दिया गया. पता चला कि असल में रिजल्ट आने के बाद परिषद ने जिला आवंटन करते समय कुल 68,500 पदों की जगह 41,556 क्वालीफाई अभ्यर्थियों के आधार पर ही आरक्षण लागू कर दिया था. इसके चलते जनरल के 6127 अभ्यर्थी बाहर हो गए. इसे लेकर मामले में विरोध शुरू हो गया. 1 सितम्बर को चयन से बाहर हुए अभ्यर्थियों ने धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया. बेसिक शिक्षा निदेशालय पर दिन-रात बैठे अभ्यर्थियों को हटाने के लिए 2 सितम्बर को पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया. दबाव बढ़ा तो परिषद ने गलती सुधारते हुए 6127 अभ्यर्थियों की भी चयन सूची जारी कर दी. फेल काे किया पास, पास को किया फेल इसी बीच परीक्षा परिणाम में गड़बड़ी की पोल खुल गई. दरअसल कुछ अभ्यर्थियों की आंसर शीट कोर्ट में सामने आई. इसमें पता चला कि कैसे अभ्यर्थियों के रिजल्ट में हेर-फेर कर किसी के अंक घटकर डिसक्वालीफाई किया गया तो कैसे किसी को बिना परीक्षा दिए ही उत्तीर्ण कर दिया. मामला तूल पकड़ने पर शनिवार 8 सितम्बर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर सचिव, परीक्षा नियामक प्राधिकारी को निलंबित कर जांच बैठाई गई. इसके अलावा रजिस्ट्रार परीक्षा और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद् को भी हटा दिया गया. अब शुरू हुआ है जांचों का दौर वहीं मामले की जांच के लिए प्रमुख सचिव, गन्ना की अध्यक्षता में एक हाईपॉवर 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया. चौंकाने वाली बात ये रही कि जैसे ही इस कार्रवाई की खबरें आईं, इलाहाबाद में परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय से घोटाले के सबूत मिटाने के लिए अभ्यर्थियों की कॉपियां जलाने का मामला सामने आ गया. इसका वीडियो भी वायरल हो गया. अब कॉपी जलाने की जांच के लिए एक 3 सदस्यीय टीम को इलाहबाद भेजा गया है. उधर परीक्षा से पहले कट आॅफ घटाने और बाद में बढ़ाने के खेल में शासन फंसता दिख रहा है. कट ऑफ घटाने की मांग कर रहे हज़ारों अभ्यर्थियों का धरना प्रदर्शन रिजल्ट आने के बाद से अब तक लगातार जारी है. 8 सितम्बर से इन अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा निदेशालय पर प्रदर्शन शुरू कर दिया है. इस दौरान शनिवार को कुछ अभ्यर्थियों ने गोमती में कूद कर तो किसी ने कलाई की नस काटकर जान देने का भी प्रयास किया. कई बार इन अभ्यर्थियों को पुलिस की लाठियां भी कहानी पड़ी. (रिपोर्ट: शैलेश अरोड़ा) ये भी पढ़ें:  कानपुर: IPS सुरेंद्र दास की इलाज के दौरान मौत, सीएम योगी ने जताया शोक हर मोर्चे पर फेल हुई मोदी सरकार, मैं भी प्रधानमंत्री बनने की ख्वाहिश रखता हूं: आजम खान लखनऊ: प्रिंटर और स्कैनर से छापते थे नकली नोट, एसटीएफ ने 2 लोगों को गिरफ्तार।

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