मुख्यमंत्री के अयोग्य कहने पर वितविहीन शिक्षकों में उबाल

बागपत। माध्यमिक वित्त विहीन शिक्षकों ने मुख्यमंत्री के कथित बयान की निंदा की। शिक्षकों का कहना है कि जब वह अयोग्य हैं तो प्रदेश में चल रहे वित्त विहीन स्कूलों को बंद किया जाए। उनके द्वारा पढ़ाए गए विद्यार्थियों की डिग्री को फर्जी घोषित कराएं। कोई भी कार्य न लिया जाए।
जिला कार्यालय पर वित्त विहीन शिक्षकों की बैठक हुई। जिलाध्यक्ष रमेश यादव ने कहा कि लखनऊ में शिक्षकों पर लाठी चार्ज करने और मुख्यमंत्री ने दिए बयान की निंदा की। प्रदेश में 87 प्रतिशत माध्यमिक शिक्षा का भार वित्त विहीन शिक्षक उठा रहे हैं। जब ये अयोग्य हैं तो उनसे शिक्षण कार्य लेना नहीं चाहिए। नए विद्यालय खोलकर 50 हजार वेतन पर नियुक्ति की जाए। उनके द्वारा पढ़ा छात्र-छात्राएं जो पदों पर उनकी नियुक्तियों का भी सेवा से मुक्त करें। जनता ने चंदे से विद्यालय बनाए है, इनमें बच्चों को दिया दी जा रही है। सरकार अच्छी शिक्षा का ढिंढोरा पीट रही है। कोई भी ऐसा वित्त विहीन शिक्षक नहीं है जो अहर्ता न रखते है। मुख्यमंत्री द्वारा अयोग्य कहना शिक्षक समुदाय का अपमान है। जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मानदेय पाने की लड़ाई जारी रहेगी। शिक्षकों को सम्मान नहीं लौटाया तो 2019 के चुनाव में बीजेपी को वोट नहीं देंगे। महामंत्री अशोक बंधु भारद्वाज, अरूण त्यागी, अनीश जैन, कुलदीप देव, अजय कौशिक, ओमप्रकाश, संजीव शर्मा मौजूद रहे।
अग्रवाल मंडी टटीरी स्थित डीएवी इंटर कॉलेज में शिक्षकों की बैठक हुई। यहां भी वित्तविहीन शिक्षकों को मुख्यमंत्री के अयोग्य कहने पर निंदा की। दबथुआ गुट के जिलाध्यक्ष प्रधानाचार्य ओमबीर सिंह ने कहा कि शिक्षक चाहे सवित्त हो या वित्त विहीन सभी शिक्षा छात्रों को देते हैं। शिक्षक दिवस पर इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए। उनकी समस्या का समाधान कराया जाए। इसमें राकेश वर्मा, अशोक कुमार, वीरेंद्र सिंह, सुरेंद्र सिंह, विक्रम सिंह, विकास, अजयवीर मौजूद रहे।
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