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गौरतलब है कि शिक्षक भर्ती में गलत मूल्यांकन, पास को फेल किए जाने, बारकोड बदले जाने जैसे गंभीर मामले की जांच के लिए बनी कमेटी का नेतृत्व बेसिक शिक्षा सचिव मनीषा त्रिघाटिया कर रही हैं जबकि कमेटी में बेसिक शिक्षा निदेशक, एससीईआरटी निदेशक के साथ साथ परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव सुक्ता सिंह शामिल हैं। ज्ञातव्य है कि उक्त अनियमितताओं के लिए स्वयं परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव सुक्ता सिंह ही जिम्मेदार हैं।
ऐसे में कैसे संभव है कि स्वयं सचिव सुक्ता सिंह ही अपने खिलाफ लगे इन आरोपों की जांच करें
लिखित परीक्षा पास किए बिना ही 21 अभ्यर्थियों को नियुक्ति के लिए जिला आवंटित करके योग्यता के दावों के बीच फेल को नियुक्ति पत्र देने का रास्ता खोल दिया गया। इतना ही नहीं जिला आवंटन और नियुक्ति की निगरानी बेसिक शिक्षा परिषद कर रहा था। परिषद से जवाब मांगने की जगह इनके आला अफसरों ने आगे गड़बड़ी न हो इसके सुझाव देने की जिम्मेदारी दी गई है।
अफसरों ने अनसुनी की सीएम की बात
मुख्यमंत्री ने पांच सितंबर को सभी चयनित अभ्यर्थियों को हर हाल में नियुक्ति पत्र जारी करने के निर्देश दिए थे। अफसरों ने इसे भी अनसुना कर दिया। कई जिलों में अब भी सभी अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र नहीं मिल पाए हैं। कुछ जिलों में तो हाल यह है कि अभ्यर्थियों को जिले आवंटित कर दिए गए, लेकिन वहां पद ही नहीं है, जहां उन्हें नियुक्ति दी जा सके। सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने सभी बीएसए को पत्र लिखकर तीन दिन के भीतर प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों के खाली पदों का ब्योरा मांगा है। इसमें नई नियुक्तियों के पहले के खाली पद और अभी जारी नियुक्त पत्रों का अलग-अलग ब्योरा देना होगा। इसमें लापरवाही करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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