अयोग्य की कलम से ....✍🏻
69000 शिक्षक भर्ती विवाद ....
1-आज़ बात 22वे संशोधन पे जिसके आधार पर भर्ती हो रही है जिसमे सरकार को अधिकार प्राप्त है नियुँतम अर्हर्ता तय करने का,
2-परन्तु विवाद यन्ही से जन्म लेता है की ये अधिकार परीक्षा होने के बाद नही तय किया जासकता परीक्षा होने के पूर्व ही निर्धारित करना होगा,
3-68500 मे ऐसा ही विवाद था जन्हा पर तो परीक्षा के एक हफ्ते पूर्व ही नियुँतम अर्हता 40और45% से 33और30 किया था सरकार ने जिसपर न्यापालिका ने अन्तरिम(अपूर्ण) रोक लगते हुये प्रक्रिया प्रथम शासनादेश 40और45 पर आगे बढ़ाने को बोला था,
3-जब ऐसा विवाद पिछली भर्ती मे हो चुका था फ़िर सरकार के उन नुमाइन्दों ने फ़िर वहीँ गलती दोहरायी और इस बार तो हद ही पार कर दी परीक्षा होने के बाद 60और65 का पत्र जारी किया,जबकि उन्हे पता था की फ़िर से मामला कोर्ट मे पहुँच जायेगा,
4-सबसे पहेले तो ऐसे अधिकारियों पे कार्यवाही होनी चहिये जो बेरोजगारों के जीवन से खिलवाड़ करते है ऐसे नियम बना के जो कोर्ट कचरी मे जाके ऊलझ जाते है और बेरोजगार नौकरी के नही कोर्ट के दहलीज पर खड़े मिलते है,
5-असल मामला तो ये है शिक्षामित्रों के भराँक से अपने चहेते वर्ग को बचाने के लिये नियुँतम अहर्ता बाद मे लगायी गयीं वो भी इतनी की शिक्षामित्र वँहा तक पहुँच ही ना पाये तो भराँक कँहा से मिलेगा और उनके चहेते वर्ग की सीट बची रहेगी,बाकी बची sc/st/obc/ph की सीट पर फ़िर से 68500 की तरह अपने चहेते के साथ पूर्ण समायोजन करदेंगे,
7-पूर्ण समायोजन होने पर केस भी नही कर सकते क्युँकि आपके रिज़ल्ट मे फेल लिखा होगा जैसा अरविन्द वर्मा बनाम 6127 केस मे भी हुवा है जन्हा उस केस को दिवाकर सिंग के केस के साथ टैग किया गया है क्युँकि उसमे याची कर्ता पास नही है,
6-कुछ ज्ञानी लोग शिक्षामित्रों के भराँक को लेके केस करने की सोच रहे है उनकी सोच को सलाम लेकिन एक बार 22वा संशोधन पढ़ लेते जिसके आधार पर भर्ती की लिखित परीक्षा हो रही है उस संशोधन मे 25 नंबर भराँक का जिक्र किया गया है उसके खिलाफ लड़ने का मतलब है भर्ती निरस्त कराने के लिये लड़ना जो मुमकिन नही है ....
बाकी ज्ञानी लोग इस पोस्ट से दूर रहे ....
धन्यवाद
सौजन्य-RG
69000 शिक्षक भर्ती विवाद ....
1-आज़ बात 22वे संशोधन पे जिसके आधार पर भर्ती हो रही है जिसमे सरकार को अधिकार प्राप्त है नियुँतम अर्हर्ता तय करने का,
2-परन्तु विवाद यन्ही से जन्म लेता है की ये अधिकार परीक्षा होने के बाद नही तय किया जासकता परीक्षा होने के पूर्व ही निर्धारित करना होगा,
3-68500 मे ऐसा ही विवाद था जन्हा पर तो परीक्षा के एक हफ्ते पूर्व ही नियुँतम अर्हता 40और45% से 33और30 किया था सरकार ने जिसपर न्यापालिका ने अन्तरिम(अपूर्ण) रोक लगते हुये प्रक्रिया प्रथम शासनादेश 40और45 पर आगे बढ़ाने को बोला था,
3-जब ऐसा विवाद पिछली भर्ती मे हो चुका था फ़िर सरकार के उन नुमाइन्दों ने फ़िर वहीँ गलती दोहरायी और इस बार तो हद ही पार कर दी परीक्षा होने के बाद 60और65 का पत्र जारी किया,जबकि उन्हे पता था की फ़िर से मामला कोर्ट मे पहुँच जायेगा,
4-सबसे पहेले तो ऐसे अधिकारियों पे कार्यवाही होनी चहिये जो बेरोजगारों के जीवन से खिलवाड़ करते है ऐसे नियम बना के जो कोर्ट कचरी मे जाके ऊलझ जाते है और बेरोजगार नौकरी के नही कोर्ट के दहलीज पर खड़े मिलते है,
5-असल मामला तो ये है शिक्षामित्रों के भराँक से अपने चहेते वर्ग को बचाने के लिये नियुँतम अहर्ता बाद मे लगायी गयीं वो भी इतनी की शिक्षामित्र वँहा तक पहुँच ही ना पाये तो भराँक कँहा से मिलेगा और उनके चहेते वर्ग की सीट बची रहेगी,बाकी बची sc/st/obc/ph की सीट पर फ़िर से 68500 की तरह अपने चहेते के साथ पूर्ण समायोजन करदेंगे,
7-पूर्ण समायोजन होने पर केस भी नही कर सकते क्युँकि आपके रिज़ल्ट मे फेल लिखा होगा जैसा अरविन्द वर्मा बनाम 6127 केस मे भी हुवा है जन्हा उस केस को दिवाकर सिंग के केस के साथ टैग किया गया है क्युँकि उसमे याची कर्ता पास नही है,
6-कुछ ज्ञानी लोग शिक्षामित्रों के भराँक को लेके केस करने की सोच रहे है उनकी सोच को सलाम लेकिन एक बार 22वा संशोधन पढ़ लेते जिसके आधार पर भर्ती की लिखित परीक्षा हो रही है उस संशोधन मे 25 नंबर भराँक का जिक्र किया गया है उसके खिलाफ लड़ने का मतलब है भर्ती निरस्त कराने के लिये लड़ना जो मुमकिन नही है ....
बाकी ज्ञानी लोग इस पोस्ट से दूर रहे ....
धन्यवाद
सौजन्य-RG