वेतन के लिए लगाया हाईकोर्ट का फर्जी आदेश : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

हाईकोर्ट का फर्जी आदेश लगाकर माध्यमिक शिक्षा विभाग से वेतन प्राप्त करने वाले फर्जी अध्यापक की जमानत अर्जी अदालत ने खारिज कर दी है। शिक्षक पर हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू द्वारा जारी फर्जी आदेश लगाने का आरोप है।
जस्टिस काटजू के निर्देश पर ही इस मामले की जांच की गई और शिकायत सही पाए जाने पर कैंट थाने में आरोपी महेंद्र कुमार यादव, उमाशंकर यादव और ओंकारनाथ के खिलाफ जालसाजी और धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया गया।

शनिवार को आरोपी उमाशंकर के जमानत प्रार्थनापत्र पर सुनवाई के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश एसके सिंह ने अर्जी खारिज कर दी। एडीजीसी रूद्र कुमार ने बताया कि ओंकारनाथ श्रीवास्तव के पिता महानंद श्रीवास्तव एक इंटर कालेज के प्रधानाध्यापक थे।
जांच में सामने आई हकीकत, जमानत खारिज
उन्होंने ओंकारनाथ की नियुक्ति अपने कालेज में कर दी, मगर इस नियुक्ति का अनुमोदन जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा नहीं किया गया जिससे उसे वेतन नहीं मिल रहा था।
वेतन पाने के लिए ओंकारनाथ ने मुख्य स्थायी अधिवक्ता कार्यालय में कार्यरत महेंद्र कुमार यादव और उमाशंकर के साथ मिलकर हाईकोर्ट का एक फर्जी आदेश बनाया। आदेश जस्टिस मार्कण्डेय काटजू के नाम से चार जनवरी 2001 को जारी किया गया। मजे की बात यह है कि उस दिन जस्टिस काटजू की कोर्ट थी ही नहीं।
किसी अन्य पक्ष द्वारा जब इस आदेश की नकल प्राप्त करने की अर्जी दी गई तो पता चला कि जस्टिस काटजू ने ऐसा कोई आदेश ही नहीं दिया है। जस्टिस काटजू के संज्ञान में मामला आने पर उन्होंने महानिबंधक से जांच कराई और तत्कालीन ओएसडी लिटिगेशन टीएम खान द्वारा पांच अक्टूबर 2001 को कैंट थाने में इसकी रिपोर्ट दर्ज कराई गई। कोर्ट ने जमानत प्रार्थनापत्र पर सुनवाई के बाद इसे खारिज कर दिया।

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