सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर झूमे अभ्यर्थी , शीर्ष कोर्ट ने नियुक्ति बताया अवैध : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के चेयरमैन के पद पर अनिल कुमार यादव की नियुक्ति को गैरकानूनी करार देने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है। कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने ने इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने अनिल यादव
द्वारा हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को ठुकरा दिया। पीठ ने यूपीपीएससी के चेयरमैन पद पर अनिल यादव की नियुक्ति को गलत बताते हुए कहा कि इसके लिए जरूरी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। पीठ ने यादव की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अमरेंदर शरण से पूछा कि आखिरकार यादव को ही क्यों चेयरमैन पद के लिए उपयुक्त समझा गया। कोर्ट ने पाया कि इस पद के लिए कुल 83 आवेदक थे। पीठ ने अमरेंदर से पूछा कि आखिर मुख्यमंत्री ने यादव को क्यों चेयरमैन नियुक्त किया। जवाब में शरण ने कहा कि यादव बेहद योग्य व्यक्ति हैं। वे गोल्ड मेडलिस्ट हैं। उन्होंने पीएचडी की हुई है। साथ ही वह पहले भी यूपीपीएससी में रह चुके हैं। शरण ने कहा कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) में इस तरह की नियुक्ति होती है। इस पर पीठ ने कहा कि अगर यूपीएससी में इस तरह से नियुक्ति होगी तो उसे भी खारिज कर दिया जाएगा। पीठ ने कहा कि हर हालत में चयन की प्रक्रिया तो होनी चाहिए।
हालांकि पीठ ने यादव को थोड़ी राहत देते हुए कहा कि किसी अन्य जगहों पर होने वाली नियुक्तियों के लिए वह आवेदन कर सकते हैं। मेरिट के आधार पर उनके आवेदन पर विचार किया जा सकता है। 14 अक्तूबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपीपीएससी के चेयरमैन पद पर अनिल यादव की नियुक्ति को गैरकानूनी करार दिया है। फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि यादव की नियुक्ति मनमाने तरीके से की गई थी। हाईकोर्ट ने यह फैसला जनहित याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया था। थी। मालूम हो कि चेयरमैन पद पर यादव की नियुक्ति की कागजी प्रक्रिया एक ही दिन में पूरी कर ली गई थी। छुट्टी वाले दिन कागजी कार्रवाई हुई।
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