आज की सुनवाई का आदेश आ गया है। जैसा कि पूर्व में अनुमान लगाया गया था, कोर्ट ने भर्ती में पद जोड़ने से स्पष्ट मना कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट भी अपने कई आदेशों में साफ़ कह चुकी है कि भर्ती प्रक्रिया के मध्य अस्तित्व में आए पदों को उस भर्ती में नहीं जोड़ा जा सकता है।
इसके लिए नए सिरे से नए विज्ञापन की आवश्यकता होती है। यह ही नियम चयन प्रक्रिया में बदलाव पर भी लागू होता है। इस भर्ती में पद 2 परिस्थितियों में ही बढ़ सकते थे और वो दोनों ही परिस्थितियां प्रतिकूल थी जिस कारण मैंने शुरू में भी यह बोला था कि पद नहीं बढ़ पाएंगे।
कोर्ट ने कहा है कि :
It is always open to the respondents in their wisdom to advertise the newly created vacancies.
(अर्थात सरकार अपनी इच्छा से नए पदों पर नया विज्ञापन जारी करने के लिए स्वतन्त्र है।) इसके अतिरिक्त कोर्ट ने यह भी कहा :
The grounds for addition are contrary to the established canons of law.
(पद जोड़ने को लेकर दी गई दलील कानून के निर्धारित सिद्धांतों के विपरीत हैं।)
इस बात को मेरे बीएड वाले भाई भी बहुत अच्छी तरह से समझ लें कि भर्ती में पद बढ़ाने का बीटीसी + टीईटी के रहते कोई आदेश नहीं हो सकता है। जितने पदों पर विज्ञापन निकला है उतने पदों पर ही भर्ती होगी। उनके अतिरिक्त एक भी नियुक्ति केवल नए विज्ञापन से ही हो सकती है। बीटीसी के भाइयों को यह सुझाव देना चाहता हूँ कि अब 16448 पदों के साथ साथ अन्य रिक्त पदों को जोड़ते हुए ही विज्ञापन की मांग करें। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यह ही मांग उचित व न्याय संगत है। भड़काने वाले लोगों से दूरी बना लें। जो यह कहते हैं कि भर्ती नहीं होने दूंगा वह मानसिक बीमार हैं तथा उन्होंने वैसे भी, ऐसा कोई तीर नहीं है जो भर्ती फंसाने के लिए अब तक छोड़ा न हो। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि आज किसी भी चयनित ने पद बढ़वाने का विरोध नहीं किया है, केवल सरकारी वकील और जज साहब के मध्य ही जिरह हुई है। मैं पहले बोल चुका हूँ, बिना आवेदन लिए पद बढ़ाने की मांग असंवैधानिक है तथा भर्ती में अब आवेदन लिए नहीं जा सकते तो कुल मिलाकर पद बढ़ना असम्भव था।
उचित यह ही होगा कि सरकार से समस्त रिक्त पदों पर भर्ती का आदेश कराया जाए। उसके लिए नया विज्ञापन निकलवाया जाए जिसमें अर्हता की तिथि स्पष्ट रूप से उल्लिखित हो। खीज, जलन और गुस्से से बचें क्योंकि इससे किसी का लाभ नहीं होगा। अपनी ऊर्जा सही दिशा में लगाएं।
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इसके लिए नए सिरे से नए विज्ञापन की आवश्यकता होती है। यह ही नियम चयन प्रक्रिया में बदलाव पर भी लागू होता है। इस भर्ती में पद 2 परिस्थितियों में ही बढ़ सकते थे और वो दोनों ही परिस्थितियां प्रतिकूल थी जिस कारण मैंने शुरू में भी यह बोला था कि पद नहीं बढ़ पाएंगे।
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कोर्ट ने कहा है कि :
It is always open to the respondents in their wisdom to advertise the newly created vacancies.
(अर्थात सरकार अपनी इच्छा से नए पदों पर नया विज्ञापन जारी करने के लिए स्वतन्त्र है।) इसके अतिरिक्त कोर्ट ने यह भी कहा :
The grounds for addition are contrary to the established canons of law.
(पद जोड़ने को लेकर दी गई दलील कानून के निर्धारित सिद्धांतों के विपरीत हैं।)
इस बात को मेरे बीएड वाले भाई भी बहुत अच्छी तरह से समझ लें कि भर्ती में पद बढ़ाने का बीटीसी + टीईटी के रहते कोई आदेश नहीं हो सकता है। जितने पदों पर विज्ञापन निकला है उतने पदों पर ही भर्ती होगी। उनके अतिरिक्त एक भी नियुक्ति केवल नए विज्ञापन से ही हो सकती है। बीटीसी के भाइयों को यह सुझाव देना चाहता हूँ कि अब 16448 पदों के साथ साथ अन्य रिक्त पदों को जोड़ते हुए ही विज्ञापन की मांग करें। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यह ही मांग उचित व न्याय संगत है। भड़काने वाले लोगों से दूरी बना लें। जो यह कहते हैं कि भर्ती नहीं होने दूंगा वह मानसिक बीमार हैं तथा उन्होंने वैसे भी, ऐसा कोई तीर नहीं है जो भर्ती फंसाने के लिए अब तक छोड़ा न हो। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि आज किसी भी चयनित ने पद बढ़वाने का विरोध नहीं किया है, केवल सरकारी वकील और जज साहब के मध्य ही जिरह हुई है। मैं पहले बोल चुका हूँ, बिना आवेदन लिए पद बढ़ाने की मांग असंवैधानिक है तथा भर्ती में अब आवेदन लिए नहीं जा सकते तो कुल मिलाकर पद बढ़ना असम्भव था।
उचित यह ही होगा कि सरकार से समस्त रिक्त पदों पर भर्ती का आदेश कराया जाए। उसके लिए नया विज्ञापन निकलवाया जाए जिसमें अर्हता की तिथि स्पष्ट रूप से उल्लिखित हो। खीज, जलन और गुस्से से बचें क्योंकि इससे किसी का लाभ नहीं होगा। अपनी ऊर्जा सही दिशा में लगाएं।
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