प्राइवेट बीएड काॅलेजों को लाभ पहुंचाने के लिए एडेड काॅलेजों की सीटें शून्य की गई!

गोरखपुर। गोविवि और सिद्धार्थ विवि से संबद्ध एडेड काॅलेजों की बीएड सीटें शून्य कम करने का मामला गरमाते जा रहा हैै। काॅलेजों ने इसके खिलाफ कुलाधिपति और प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा से शिकायत की है। वहीं गुआक्टा ने आरोप लगाया है कि पश्चिम के प्राइवेट काॅलेजों को लाभ पहुंचाने के लिए विवि के जिम्मेदारों ने ऐसा किया है।

गुआक्टा के माध्यम से उच्चाधिकारियों को भेजे गए शिकायती पत्र में एडेड बीएड काॅलेजों के जिम्मेदारों ने आरोप लगाया है कि गोविवि और सिद्धार्थ विवि के कुलपतियों ने बीएड काॅलेजों के संबंध में गलत सूचनाएं भेजी है। इनका कहना है कि एडेड काॅलेजों में शिक्षकों की कमी नहीं है। क्योंकि राज्य सरकार के आदेशानुसार 70 साल तक केे शिक्षक मानदेय पर नियुक्त हो सकते हैं और ये लोग 30 जून 2016 तक नियुक्त हैं। फिर भी शिक्षक की कमी दिखाकर एडेड काॅलेजों की बीएड सीट शून्य कर दी गई है।
गुआक्टा के अध्यक्ष डाॅ.राजेश चंद्र मिश्र एवं महामंत्री डाॅ.एसएन शर्मा ने आरोप लगाया कि गोविवि को आपत्ति यह है कि एडेड काॅलेजों में विभागध्यक्ष नहीं हैं। लेकिन विवि के जिम्मेदार को पता होना चाहिए कि आयोग विभागध्यक्ष नियुक्त नहीं करता। सीनियर टीचर ही विभागध्यक्ष होते। पदाधिकारीद्वय ने सवाल किया कि कुलपति को यह बताना चाहिए कि किस राज्य विवि ने विभागाध्यक्ष पद भरने के लिए विज्ञापन कभी निकाला है।

इन लोगों ने यह भी बताया कि एनसीटीई ने राज्यों को यह भी निर्देश दिया है कि कम से कम एडेड काॅलेजों के मामले में कुछ शर्ताें में थोड़ी सी शिथिलता बरती जा सकती है। गुआक्टा ने आरोप लगाया है कि प्रदेश के किसी भी विवि ने बीएड प्रवेश में काॅलेजों को रोका नहीं है। सिर्फ गोविवि और सिद्धार्थ विवि ऐसा कर रहा। यह सब पश्चिम के प्राइवेट काॅलेजों के दबाव में किया गया है। इसकी एक उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए ताकि अनुदानित बीएड काॅलेजों में भी प्रवेश हो सके।
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