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टीजीटी - पीजीटी - 2011 की परीक्षा में गलत सवाल एवं वर्तनी की त्रुटियों की भरमार , चयन बोर्ड की साख दांव पर

इलाहाबाद : माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड मानों इन दिनों लोकसेवा आयोग उप्र के साथ कदमताल कर रहा
है। जिन चुनौतियों से आयोग जूझ रहा है, कमोबेश वैसे ही मामले चयन बोर्ड की परेशानी बढ़ा रहे हैं।
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यह जरूर है कि चयन बोर्ड अफसरों का पुराने प्रश्नपत्रों पर ऐतबार करना उन्हें महंगा पड़ गया है। इसके लिए उन्हें अभ्यर्थियों के सवालों का जवाब देना पड़ रहा है, साथ ही साख भी दांव पर लग गई है।

चयन बोर्ड की स्नातक शिक्षक (टीजीटी) व प्रवक्ता (पीजीटी) 2011 की परीक्षा में गलत सवाल एवं वर्तनी की त्रुटियों की भरमार रही है। यह परीक्षा पिछले पांच साल से न्यायालय में सुनवाई के चलते लंबित रही है, लेकिन जब आवेदन प्रक्रिया पूरी हो गई थी, उसी समय टीजीटी एवं पीजीटी के दावेदारों के लिए प्रश्नपत्र आदि छपवाकर रख दिए गए थे।

उस समय से सभी प्रश्नपत्र लॉकर में रखे थे। उस पर बोर्ड की परीक्षा समिति ने चर्चा करने के बाद यह निर्णय लिया कि उन्हीं प्रश्नपत्रों से परीक्षा कराई जाएगी। परीक्षा समिति ने यह निर्णय तो लिया, लेकिन छपे प्रश्नपत्रों को खुद जांचा और न ही विषय विशेषज्ञों से उस पर सहमति ली।

चयन बोर्ड अध्यक्ष हीरालाल गुप्त कहते हैं कि प्रश्नपत्र जांचने की इसलिए हिम्मत नहीं जुटाई गई कि कहीं वह लीक न हो जाए। आजकल वाट्सएप एवं अन्य माध्यमों से पेपर आउट भी होते हैं। इससे बचने के लिए गोपनीयता बरती गई। बोले, हालांकि किसी भी अभ्यर्थी का नुकसान नहीं होने पाएगा।

गलत सवाल हटेंगे और जिनकी वर्तनी में त्रुटियां हैं उस पर विषय विशेषज्ञों से लेकर रास्ता निकालेंगे और जल्द भर्ती पूरी कराएंगे।

प्रवक्ता जीव विज्ञान प्रश्नपत्र में जंतु विज्ञान के सवाल

चयन बोर्ड की प्रवक्ता 2013 परीक्षा में भी मनमानी हुई है। जीव विज्ञान के प्रश्नपत्र में सिर्फ जंतु विज्ञान के ही सभी 125 सवाल थे, जबकि उसमें आधे प्रश्न वनस्पति विज्ञान के भी होने चाहिए।
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अभ्यर्थियों का कहना है कि वर्ष 2000 से लेकर 2010 तक की परीक्षा में दोनों विषयों से बराबर सवाल आते रहे हैं, लेकिन 2011 एवं 2013 की प्रवक्ता परीक्षा में मनमाने तरीके से एक ही विषय से सवाल पूछे गए हैं।
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